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माता-पिता की वेदना मेरी प्रेरणा बन गई : महादेव समजिसकर

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नई दिल्ली 13-Jan-2018

इस साल 21 जनवरी को आयोजित होने वाले टाटा मुंबई मैराथन में 15वीं बार हिस्सा ले रहे 75 वर्षीय महादेव समजिसकर कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुके हैं, लेकिन उन्हें प्रेरणा उनके माता-पिता की वेदना से मिली। इस उम्र में भी पूरी ऊर्जा के साथ मुंबई मैराथन में हिस्सा लेने के लिए उत्सुक महादेव को स्वस्थ रहने की प्रेरणा उनके माता-पिता के खराब रहे स्वास्थ्य से मिली। आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने अपने विचारों को साझा किया। महादेव ने 62 साल की उम्र में अपने जीवन को एक नया मोड़ देने का फैसला किया और मैराथन में प्रतिभागिता के लिए तैयारी करनी शुरू कर दी। इसकी प्रेरणा के बारे में महादेव ने कहा, "मैं इसका श्रेय अपने माता-पिता को देता हूं। अपनी वृद्धावस्था में ही वह काफी अस्वस्थ हो गए थे। एयर इंडिया में अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद मैंने अपने माता-पिता की सेवा की। 80 और 85 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।"उन्होंने कहा, "वह एक जिंदा लाश की तरह जी रहे थे और इस अवस्था को देखकर मैंने फैसला लिया कि मैं अपना जीवन ऐसे नहीं जियूंगा। इसलिए, उनके निधन के पश्चात मैंने अपने आप पर ध्यान देना शुरू किया।"

एयर इंडिया में एक पूर्व वरिष्ठ उड़ान संचालन प्रबंधक के रूप में सेवानिवृत्त हुए महादेव को उनके माता-पिता के निधन के बाद एयर इंडिया से नौकरी के कई प्रस्ताव आए, लेकिन उन्होंने इन प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया और एक नए जीवनशैली की ओर अग्रसर हुए। महादेव हर रोज बोरीवली नेशनल पार्क में दौड़ लगाते हैं। 2003 से उन्होंने मुंबई मैराथन में दौड़ना शुरू किया। 2004 में उन्होंने इस मैराथन को तीन घंटे में पूरा किया। अपने इस प्रदर्शन में सुधार के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और इसके अगले संस्करण में रेस को पूरा करने में दो घंटे 10 मिनट का भी समय लिया। महादेव केवल मुंबई की ही नहीं, बल्कि कई अलग-अलग राज्यों की मैराथन में भी हिस्सा ले चुके हैं। इसमें दिल्ली एयरटेल हॉफ मैराथन और पुणे और कोलकाता में होने वाली मैराथन शामिल हैं। इस साल वह 15वीं बार टाटा मुंबई हाफ मैराथन में हिस्सा लेंगे। वह 21 किलोमीटर वाली मैराथन में दौड़ेंगे। 13 साल के इस सफर में वह अब 40 हॉफ और तीन मिनी अल्ट्रारन मैराथन में हिस्सा ले चुके हैं। केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशी सरजमीं पर भी महादेव ने अपने जज्बे का परिचय दिया है। खुशमिजाज और जोश से भरपूर महादेव ने 2015 में आस्ट्रेलिया मास्टर्स चैम्पियनशिप में 800 मीटर और 5,000 मीटर वॉक में दो स्वर्ण पदक अपने नाम किए। इस उम्र में जहां उनकी उम्र के लोग दौड़ने में असक्षम होते हैं, उन्होंने पदक जीते। 

केवल यहीं नहीं, इस चैम्पियनशिप की 1500 मीटर रन में उन्होंने रजत पदक जीता। पिछले साल उन्होंने न्यूजीलैंड में आयोजित वर्ल्ड मास्टर्स गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। दिल्ली हॉफ मैराथन में उनका अपना सबसे अच्छा समय दो घंटे, तीन मिनट और 41 सेकेंड रहा। इस साल सितम्बर में वह मलेशिया में एशिया पेसेफिक मास्टर्स खेलों में हिस्सा लेंगे। इसके लिए सरकार के समर्थन पर हंसते हुए महादेव ने कहा, "मुझे सरकार से मदद की बिल्कुल उम्मीद नहीं हैं। मैं खुद ही इतना सक्षम हूं कि अपने आप यह कार्य कर सकूं। मैं भारतीय एथलेटिक्स संघ का सदस्य हूं, लेकिन क्या फर्क पड़ता है। मैं बस इससे खुश हूं कि मैं इस टूर्नामेंट में अपने देश का प्रतिनिधित्व करूंगा।"अपनी दिनचर्या के बारे में महादेव ने कहा कि वह सुबह पांच बजे उठते हैं और इसके बाद सैर के लिए जाते हैं। वह जिम भी करते हैं और उन्होंने जूडो भी सीखा है। उन्होंने कहा कि वह लंबी नहीं अच्छी जिंदगी जीना चाहते हैं। महादेव ने कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं कभी मैराथन में हिस्सा लूंगा या इस उम्र में इस कदर फिट रहूंगा, लेकिन एक फैसले ने मेरी जिंदगी बदल दी और इससे मुझे बहुत प्यार है। मैं अपने आस-पास के लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करता हूं। मुझे दौड़ता देख वह खुद मेरे पास आकर इसका कारण पूछते हैं और मैं वहीं बताता हूं, जो मैं करता हूं।"टाटा मुंबई हॉफ मैराथन का आयोजन 21 जनवरी को होगा और इस साल इस मैराथन में हजारों लोग हिस्सा ले रहे हैं।