5 Dariya News

नर्मदा-परिक्रमा से पूरा हो रहा बुजुर्गो का सपना!

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खरगौन (मध्य प्रदेश) 05-Jan-2018

मांगी बाई (75) एक हाथ में डंडा थामे, सिर पर सामान भरा बैग, जिसे गठरी के तौर पर रखे हुए नर्मदा नदी के किनारे चली जा रही है। उसके मुंह में दांत नहीं हैं, चेहरा झुर्रियों में बदल चुका है, उसके बावजूद वह 'नर्मदे हर' का जयकारा लगाए जा रही है। मांगी बाई बताती है कि वह कालू महाराज के आश्रम से नर्मदा परिक्रमा में शामिल हुई है। यह नर्मदा परिक्रमा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपनी पत्नी अमृता सिंह के साथ कर रहे हैं। उसे लगा कि नर्मदा की परिक्रमा का इससे अच्छा अवसर नहीं मिलेगा, लिहाजा वह भी अन्य महिलाओं के साथ इस यात्रा में शामिल हो गई।ओंकारेश्वर के एक संभ्रांत परिवार की महिला सुशीला बाई (60) को लगता है कि उनका यह जीवन तर जाएगा, नर्मदा मैया की परिक्रमा से उनका वह सपना पूरा हो रहा है, जो उन्होंने कभी देखा था। वे आगे कहती हैं कि नर्मदा नदी में स्नान मात्र से चारों धाम का पुण्य मिल जाता है, वे तो पिछले दो माह से नर्मदा नदी में स्नान कर रही हैं। अब वे अपने दुख, कष्ट और अनजाने में हुए अपराध से मुक्ति पा जाएंगी।

दशहरे से नरसिंहपुर के बरमान घाट से शुरू हुई दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा में लगभग 200 लोग लगातार उनके साथ चल रहे हैं।यात्रा में साथ चल रहे पूर्व मंत्री सुभाष सोजतिया ने आईएएनएस को बताया कि इस यात्रा में शामिल लोगों की सारी व्यवस्थाएं लोगों के सहयोग से की जा रही हैं। सुबह नाश्ता करने के बाद यात्रा शुरू होती है, दोपहर का भोजन और फिर रात्रि के भोजन के बाद सभी विश्राम करते हैं।इस यात्रा की खूबी यह है कि इसमें शामिल लोगों में से अधिकांश 60 वर्ष की औसत आयु से अधिक के हैं, सभी में गजब का उत्साह है। मूंदी बाई (58) कहती है कि वह दिन भर चलने के बाद थक जरूर जाती है, मगर वह थकान नर्मदा नदी के जल का स्पर्श करते ही सारी थकान खत्म हो जाती है।पूर्व विधायक श्याम होलानी का कहना है कि दिग्विजय सिंह की यह यात्रा अद्भुत है, जो व्यक्ति 10 वर्ष राज्य का मुख्यमंत्री रहा हो, वह नर्मदा की परिक्रमा कर रहा है। बीते 100 दिनों में उन्होंने अपनी यात्रा में किसी भी वाहन का सहारा नहीं लिया है। उनकी यह यात्रा पूरी तरह अकल्पनीय है। इस नर्मदा परिक्रमा से वे बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रसन्न हैं, जिन्होंने नर्मदा में स्नान तो किए मगर, उसकी परिक्रमा का अवसर नहीं मिला। जिंदगी के अंतिम पड़ाव में मिले इस सौभाग्य के प्रति वे नर्मदा मैया के प्रति कृतज्ञ हैं।