5 Dariya News

दिल में सुराख के मरीज को मिला नया जीवन

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नई दिल्ली 05-Jan-2018

इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पीटल ने दिल में सुराख हो जाने से अचानक अपने दफ्तर में बेहोश हुए 55 साल के एक अकाउंटेंट को नया जीवन दिया है। चिकित्सकों का कहना है दिल के दौरे के साथ मरीज का हृदय फट गया था, शरीर के अंदर रक्तस्राव के कारण मरीज को बचाना बेहद मुश्किल था, लेकिन छह घंटे की सर्जरी के बाद मरीज की हालत में चमत्कारिक सुधार आया। चिकित्सकों का मानना है कि ऐसा सिर्फ 1-2 प्रतिशत मरीजों के मामले में ही होता है। एक कंपनी के अकाउंटेंट विनोद कुमार क्रिसमस के दिन अपने ऑफिस में जब बेहोश हो गए, तो उन्हें सरिता विहार स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पीटल लाया गया। इमरजेंसी में डॉक्टरों ने विनोद को तत्काल वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखा और तुरंत सर्जरी कर उन्हें एक तरह से पुनर्जीवित किया। विनोद के परिवार ने चिकित्सकों को बताया कि कुछ दिनों से वह कमजोरी और बुखार जैसा महसूस कर रहे थे।शुक्रवार को आयोजित प्रेसवार्ता में मरीज विनोद को भी बुलाया गया। उन्होंने बताया कि वह शराब नहीं पीते, कोई नशा नहीं करते, फिर भी उन्हें 55 साल की उम्र में ऐसा दुर्लभ रोग कैसे हो गया, यह सोचकर वह हैरान हैं। 

उनकी सर्जरी करने वाले चिकित्सकों ने कहा कि काम के बोझ के कारण तनाव और लगातार प्रदूषण झेलते रहने के कारण दिल के अंदर जख्म हो जाना संभव है।असपताल के सीनियर कंसल्टेंट व सर्जन (कार्डियो थोरैकिक और वैस्कुलर) डॉ. मुकेश गोयल ने कहा, "इकोकार्डियोग्राफी से पता चला कि उनके हृदय के आस-पास काफी गाढ़ा पदार्थ इकट्ठा हो गया था, जो दिल को दबा रहा था। मरीज की नाजुक स्थिति के कारण आपातस्थिति में ऑपरेशन की योजना बनाई गई, ताकि हृदय के आस-पास से तरल पदार्थ को तुरंत निकाला जाए। लेकिन सर्जरी के दौरान पस जैसे गाढ़े पदार्थ की जगह खून के थक्के तेजी से बड़ी मात्रा में बाहर आए और फिर ताजा खून तेजी से बाहर आने लगा।"डॉ. गोयल ने आगे कहा, "हमें यह समझ में आ गया कि उनके हृदय में कहीं कोई जख्म है। उन्हें तुरंत हार्ट-लंग मशीन पर रखा गया, जो हृदय और फेफड़े का काम संभालती है और उसी दौरान कार्डिएक सर्जरी संभव होती है।"उन्होंने बताया कि हृदय का अच्छी तरह निरीक्षण किया गया और बाएं वेंट्रिकल के पीछे एक इंच लंबा जख्म पाया गया। यह अपने आप, अचानक हो गया था और हार्ट अटैक के 1-2 प्रतिशत मरीजों में ही ऐसा होता है। इसके बाद उनके हृदय को नियंत्रित करने के लिए पोटाशियम इंजेक्ट किया गया, जिससे जख्म ठीक हो गया।

"सीनियर कंसल्टेंट (कार्डियोलॉजी) डॉ. महेश चंद्र गर्ग ने कहा, "विनोद को हृदय की कोई बीमारी नहीं थी। यहां तक कि ईसीजी ने भी हार्ट अटैक की संभावना से इनकार किया। चूंकि उनका ब्लड प्रेशर कम होता जा रहा था, इसलिए रक्तचाप को स्थिर करने के लिए दवाइयों की ऊंची खुराक देने की जरूरत हुई।"डॉ. गोयल ने कहा कि इस घटना से कुछ महत्वपूर्ण बातों पर रोशनी पड़ती है, "हार्टअटैक कई तरह से हो सकता है और असामान्य स्थिति महसूस करने को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। खासकर, अगर आप 40 साल से ऊपर के हैं। जरूरी है कि आप सातों दिन, चौबीसों घंटे कार्डिएक इमर्जेसी चलाने वाले अस्पताल में जाएं, जहां अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट और हार्ट सर्जन हमेशा उपलब्ध हों।"अस्पताल के प्रबंध निदेशक अशोक बाजपेयी ने कहा, "इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पीटल्स, दिल्ली की कार्डिएक टीम देश की सबसे अच्छी है और इस मामले में मैं उनके काम की तारीफ करता हूं। यह सर्जरी सही अर्थों में एक मील का पत्थर है, जिससे विनोद कुमार को नया जीवन मिला है।"