5 Dariya News

भाई को बचाने की जंग हार गया : नीरज वोहरा के निधन पर फिरोज नाडियावाला

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मुंबई 14-Dec-2017

एक वर्ष से अधिक समय से बीमार नीरज वोहरा की देखभाल कर रहे निर्माता फिरोज नाडियावाला ने गुरुवार को अपने 'भाई और दोस्त' के निधन पर शोक व्यक्त किया।पर्दे पर और पर्दे के बाहर लोगों को हंसाने वाले वोहरा, राम गोपाल वर्मा की 'रंगीला' और 'दौड़' के लेखक के रूप में सामने आए। उन्होंने 'फिर हेरा फेरी' के निर्देशन अलावा, 'अकेले हम अकेले तुम', 'दौड़', 'सत्या' और 'वेलकम बैक' जैसी फिल्मों में हास्य भूमिकाओं से अपना प्रभाव छोड़ा।उनका निधन गुरुवार तड़के हुआ। वह 54 वर्ष के थे।नाडियावाला ने बताया, "वे गुरुवार तड़के 4 बजे चल बसे। मैं अपने भाई और दोस्त को मौत के चंगुल से बचाने की लड़ाई में हार गया। उनके स्वास्थ्य में काफी सुधार हो रहा था लेकिन शुक्रवार (8 दिसंबर) अचानक उनकी तबियत बिगड़ गई।"उन्होंने कहा, "हम उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने वाले थे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हमने उन्हें खो दिया।"पिछले एक साल से, नाडियाडवाला वोरा की चिकित्सा का खर्च उठा रहे हैं। वह कोमा में थे।वोरा को नाडियाडवाला के घर में खास कमरा दिया गया था, जहां उनके लिए सभी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध थीं।उनके बारे में बात करते हुए नाडियाडवाला ने कहा, "एक वर्ष पहले 19 अक्टूबर को मैं नीरज को दिल्ली के एम्स से मुंबई अपने घर लाया था, वहां चिकित्सकों ने कहा था कि कुछ ही घंटों में उनकी मौत हो जाएगी।"उन्होंने कहा, "स्पष्ट तौर पर मुझे नहीं पता कि यह करने के लिए मुझमें शक्ति कहां से आई। 

मैं उन्हें मरता हुआ नहीं छोड़ सकता था। उनकी देखभाल के लिए कोई नहीं था। नीरज के एक भाई हैं, लेकिन वह आर्थिक रूप से उनकी जिम्मेदारी निभाने में असमर्थ थे।"उन्होंने कहा, "मैं नीरज को 12 वर्षो से जानता था। मैंने उनके साथ कई फिल्मों में काम किया और हमारा करीबी रिश्ता था। मैं उन्हें मरने के लिए कैसे छोड़ सकता था? अगर मैं इतना कठोर हो जाता तो खुद को क्या जवाब देता।"उस दिन को याद करते हुए, जब उन्होंने कहा, "एम्स के डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था। मैंने नीरज को दिल्ली से मुंबई लाने के लिए तुरंत एयर एंबुलेंस मंगाई।"उन्होंने कहा, "मैं बेहद घबरा भी रहा था। अगर नीरज का दिल्ली से मुंबई की यात्रा के दौरान, या लैंडिंग के बाद भी निधन हो गया होता, तो मैं गंभीर कानूनी और नैतिक परेशानी में पड़ जाता।"उन्होंने कहा, "सौभाग्य से भगवान मेरे साथ थे। उनकी इच्छा थी कि नीरज जीवित रहे और मैं उनके जीवन को बचाने का जरिया बनूं। मैं दिल से मानता हूं कि हम सभी ईश्वर के बनाए हुए प्राणी हैं, जो उसकी इच्छा पूरी करने के लिए धरती पर आए हैं।"नाडियाडवाला ने बताया कि वोरा धीरे-धीरे ठीक हो रहे थे।

उन्होंने कहा, "मैंने अपने घर में उनके लिए एक अलग कमरा रखा था। वह पिछले साल से उसी कमरे में थे। वहां उनके माता-पिता की तस्वीरें हैं, उनके पिता शास्त्रीय संगीतकार थे जो वीणा बजाते थे। हम उनके लिए वही संगीत बजाते थे।"उन्होंने कहा, "हम उनके लिए हनुमान चालीसा पढ़ते थे .. नीरज से जुड़ी हर चीज वहां थी। इसके साथ ही उनकी देखरेख के लिए दो नौकर दिन में और दो रात में उनके साथ होते थे। उनके लिए आहार विशेषज्ञ, न्यूरो सर्जन भी थे। उनके लिए एक कुक भी रखा गया था।"नाडियाडवाला ने कहा, "इन सबकी देखरेख के बीच नीरज धीरे-धीरे ठीक हो रहे थे, लेकिन अब वह नहीं रहे।"उन्होंने कहा, "मैं निश्चित था कि वोरा जल्द ठीक होंगे, लेकिन भगवान कुछ और चाहता था। उनकी अंत्येष्टि पूरे विधि-विधान से होगी। आज शाम 4 बजे सांता क्रूज में विद्युत शवदाहगृह में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।"