5 Dariya News

1962 में चीन की चुनौती पर भारत ने आँखें बंद किए रखी -कैप्टन अमरिंदर सिंह

भारतीय सेना स्थिति के साथ निपटने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं थी

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चंडीगढ़ 09-Dec-2017

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि 1962 की भारत-चीन जंग समय भारतीय सेना स्थिति के साथ निपटने के लिए न तो पूरी तरह तैयार थी और न ही इस के पास साजो-समान था। इस सम्बन्ध में भारत ने भी चीन की चुनौतियों से आँखें बंद किए रखी। उन्होंने मौजूदा केंद्र सरकार से अपील की है कि वह देश की पूर्वी सीमा से ताज़ा हमलों की संभावनों के मद्देनजऱ फ़ौज की तैयारी और इस की पूरी सामर्थ्य को यकीनी बनाए।1962 में भारत की हुई शर्मनाक हार के लिए नयी दिल्ली पर दोष लगाते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि चीन के हमले के स्पष्ट संकेत मिलने के बावजूद कोई भी यह विश्वास करने के लिए तैयार नहीं था कि चीन हमला करेगा।मिल्ट्री साहित्य मेले के आज आखिरी दिन 1962 की भारत-चीन जंग के सम्बन्ध में एक विचार चर्चा दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीनियर पत्रकार वीर सिंघवी के एक सवाल के जवाब में कहा कि यह जंग उसी तरह ही ख़त्म हुई जिस तरह हर कोई उम्मीद कर रहा था।भारत सरकार की 'फरवर्ड पालसी और ख़ुफिय़ा एजेंसियाँ की पूरी निकामी पर दोष लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय पूरी तैयारी के साथ जंग में नहीं गए। उन्होंने विचार-विमर्श दौरान प्रगटाए गए इन विचारों पर सहमति जतायी कि सिफऱ् एक जनरल ही जंग का रूख मोड़ सकता है। दिल्ली के राजनैतिक नेताओं ने अपनी मनपसंद के अफसरों को मुख्य पदों पर लगाया। यहां तक कि सरकार ने कोर कमांडर भी असमर्थ अधिकारी को लगाया और उसे फ़ायदा पहुँचाया।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि यह बहुत दुविधा वाली स्थिति थी और इसका अंत उसी तरह ही हुआ जिस तरह हरेक को आशा थी। उन्होंने कहा कि जंग के मौके पर सभी ब्रिगेड कमांडरों को तबदील कर दिया गया। भारतीय सैनिकों के पास हथियार बहुत खराब थे। उनके पास कोई गोला-बारूद नहीं था। उनके पास राशन भी नहीं था और न ही गर्म कपड़े थे। एक समय उनको जीवित रहने के लिए पानी और नमक पर गुज़ारा करना पड़ा।यह स्थिति बहुत विलक्षण थी। वास्तव में किसी को भी मिल्ट्री इकायों के तौर पर लडऩे नहीं दिया गया और विकल्प की आज्ञा दी गई। उन्होंने कहा कि ब्रिगेडें जंग के लिए बढिय़ा तरीके से तैयार थी जिनको वापिस हटने के लिए कहा गया।एक पूर्व सैन्य अधिकारी मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे वह रुझान और फ़ौज का काम करने की विधि बदल गई है परंतु चीन की सीमा पर मौजूदा स्थिति 1962 जैसी ही विस्फोटक है। मौजूदा स्थिति के साथ निपटने के लिए सैनिकों को पूरी तरह सामर्थ होने को यकीनी बनाना केंद्र सरकार का काम है। 1962 की जंग भारत के लिए एक चेतावनी था जिस से सबक सीखने की ज़रूरत है।इस अवसर पर हिस्सा लेने वालों अन्य में ब्रिगेडियर डी.के.खुल्लर, ब्रिगेडियर जी.एस.गोसल, ब्रिगेडियर ए.जे.एस. बेहल और लैफ्टिनैंट जनरल एस.एस. बराड़ शामिल थे और उन्होंने अपने अनुभव सांझे किये।