5 Dariya News

खजुराहो जल सम्मेलन में अन्ना हजारे का दूसरी क्रांति का आह्वान

5 Dariya News

खजुराहो (मध्य प्रदेश) 02-Dec-2017

मध्य प्रदेश के खजुराहो में दो दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन के पहले दिन सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने राजनेताओं पर जमकर हमला बोला और देश में जल, जंगल और जमीन बचाने के लिए दूसरी क्रांति का आह्वान किया। जल जन जोड़ो अभियान की तरफ से मेला मैदान में आयोजित इस सम्मेलन का उद्घाटन राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया।अन्ना ने कहा, "निर्वाचित जनप्रतिनिधि और सरकारें आम आदमी की सेवक हैं, वास्तव में मालिक तो जनता है। मगर मालिक ही सो गया है, इसलिए सेवक लूट में लग गया है। अन्ना सम्मेलन में जब पहुंचे, तबतक मुख्यमंत्री जा चुके थे।"अन्ना ने आगे कहा, "देश आजाद हुआ और उसके बाद लोकतंत्र आया, निर्वाचित प्रतिनिधि हमारे सेवक हैं, मगर वे मालिक बन बैठे हैं। सरकारें भी तभी डरती हैं, जब उन्हें लगने लगता है कि उनकी सरकार गिर सकती है, तो वे जनता की बात सुनने को मजबूर होती हैं। एक कहावत है- जब तक नाक नहीं दबाओं तब तक मुंह नहीं खुलता।"अन्ना ने अपने जीवन के संघर्ष की चर्चा करते हुए कहा कि जब वह 25 वर्ष के थे, तभी उन्होंने तय कर लिया था कि वह समाज के लिए काम करेंगे, इसीलिए शादी नहीं की। उसके बाद समाज के लिए अभियान चलाया। लेकिन "मैं युवाओं से यह नहीं कहूंगा कि वे भी शादी न करें, मगर इतना जरूर कहूंगा कि वे देश और समाज के लिए काम करें।"इसके पहले चौहान ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि वह "यहां मुख्यमंत्री नहीं, एक जल प्रेमी की हैसियत से आए हैं। जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने तालाबों का मुद्दा उठाया है। प्रशासन को निर्देश है कि वह तालाबों का सीमांकन, चिह्न्करण कराने के बाद वहां हुए अतिक्रमण हटाए।"चौहान ने कहा, "बुंदेलखंड में हजारों तालाब हुआ करते थे, मगर अब वे अस्तित्व खो चुके हैं। नए तालाब, छोटे बांध आदि बनाए गए हैं। इसके साथ ही पौधारोपण किया जा रहा है। सरकार ने नर्मदा के संरक्षण के लिए नदी सेवा यात्रा निकाली।"मुख्यमंत्री ने जल सम्मेलन में मौजूद लोगों से कहा कि वे इस सम्मेलन में निकले निष्कर्ष से उन्हें अवगत कराएं।राजेंद्र सिंह ने गांवों की स्थिति और जल स्त्रोतों के संरक्षण का मुद्दा उठाया। उन्होंने देश में नदियों और तालाबों की स्थिति का जिक्र किया और कहा, "यहां अतिक्रमण का बोलबाला है, गंदगी मिल रही है। वहीं जलस्त्रोत अपना अस्तित्व खो रहे हैं। देश में कभी साढ़े सात लाख तालाब हुआ करते थे, मगर अब ऐसा नहीं है। इसका असर जिंदगी पर पड़ रहा है। पानी तो है, मगर पीने लायक नहीं रह गया है।"सम्मेलन में देश भर के पर्यावरण प्रेमी हिस्सा ले रहे हैं। मेला मैदान में बुंदेलखंड की स्थिति को दर्शाने वाली प्रदर्शनी भी लगाई गई है।