5 Dariya News

भंयकर लड़ाई और सैन्य जीवन की गाथाओं के साथ समाप्त हुआ 'मिल्ट्री पारले

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चंडीगढ़ 29-Nov-2017

यहाँ सरकारी म्युजिय़म और आर्ट गैलरी में करवाए जा रहे दो दिवसीय 'मिल्ट्री पारले(सैन्य विचार चर्चा) की आज शानो -शौकत से समाप्ति हो गई। इसका आयोजन आगामी 7 से 9 दिसंबर तक पंजाब सरकार और चंडीगड़ प्रशासन द्वारा करवाए जाने वाले मिल्ट्री लिटरेचर फेस्टिवल की तैयारी के तौर पर किया गया था। इस अवसर पर सैन्य में सेवा निभा चुके पूर्व अधिकारियों द्वारा  भंयकर लड़ाई के अलावा फ़ौजी जीवन के हास्यरस से भरपूर किस्से -कहानियाँ पर भी रौशनी डाली गई।इस मौके पर लैफ्टिनैंट जनरल जे.एल मल्होत्रा ने अपने उद्घाटनी भाषण में नागालैंड और पुंछ में सिख फौजियों की बहादुरी का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि कैसे फौजियों ने ज़ख्मी होने के बावजूद भी हौसला नहीं छोड़ा और दुश्मन फौजें की गोलाबारी का डट कर जवाब दिया।इस मौके पर  वीरचक्र और विशिष्ट सेवा मैडल विजेता कर्नल गुरमुख सिंह ने मिल्ट्री लिटरेचर फेस्टिवल के प्रयास के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की प्रंशसा की। उन्होंने कहा कि ऐसे समागमों को वार्षिक करवाया जाना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने भारत भर में अपने फ़ौजी जीवन दौरान हुई तैनाती के तजुर्बे सांझे किये और सख्त मेहनत और भावनाओं की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।भारतीय फ़ौज में कम्यूनिकेशन स्किल की अहमीयत पर ज़ोर देते कर्नल आर डी सिंह ने कहा कि जिस सैन्य अधिकारी में ज्ञान और आत्म विश्वास की कमी है वह अपने सिपाहियों में जंगी भावना का संचार नहीं कर सकता। इस अवसर पर उन्होंने वाईपीएस मोहाली के विद्यार्थियों को स्व: विश्वास पैदा करने संबंधी कई नुक्ते भी सुझाए। इस मौके पर उन्होंने बच्चों से सामान्य ज्ञान के सवाल भी पूछे और सही जवाब देने वालों को चाकलेटों बाँटी।कर्नल अवनीश शर्मा ने इस अवसर पर आम लोगों की नजऱ में भारतीय फ़ौजी संबंधी मौजूद आम धारणाओं का जि़क्र किया। 

उन्होंने कई अनसुने किस्से सुनाते हुए कहा कि फ़ौजी तो ऐसे हालातों में भी हँसी का जज़्बा रखते हैं जब उनकी जान खतरे में हो। उन्होंने इस अवसर पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध जंग, जीवन में पारदर्शता, जंग और शान्ति काल दौरान पाकिस्तानी सिपाहियों का व्यवहार और सिविल सोसायटी और फौजियों के मध्य अतर को भरने जैसे कई विभिन्न विषयों पर भी प्रकाश डालो। इस मौके पर कैप्टन अमरजीत कुमार ने 1971 जंग के अपने अनुभव बयान करते हुए बताया कि उस समय पर मुक्ति वाहिनी ने उस समय के पूर्वी पाकिस्तान में कैसे सशस्त्र ढंग के साथ अपनी आज़ादी की लड़ाई छेड़ी। उन्होंने यह भी बयान किया कि कैसे सिख फौजियों ने इस जंग दौरान बहादुरी के कारनामे दिखाए और कैसे बहादुरी सम्मान जीतने वाले फ़ौजी अपनी जान की परवाह किये बिना डट कर लड़े।इस मौके पर मेजर जनरल सुरजीत सिंह ने दर्शकों को भारतीय फ़ौज में हो रहे नवीन तकनीकी सुधारों संबंधी भी रौशनी डाला। इस मौके पर उन्होंने स्लाइडों के द्वारा यह भी दिखाया कि कैसे एक रस्सी के द्वारा 150 किलो का सामान गंगटोक और उत्तरी सिक्कम ले जाया गया था जब कि तूफ़ान कारण पुल टूट गया था। इस मौके पर अन्य पूर्व फौजियों ने फ़ौज से सम्बन्धित विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार प्रगटाए उनमें फ्लाइट लैफ्टिनैंट जी एस जवन्दा, कर्नल जे डी एस जिंद, ब्रिगेडियर हरवंत सिंह, कर्नल कृष्ण यादव, मेजर जनरल एच सी सचदेव, कैप्टन रेनू अग्रवाल, मेजर जनरल बी एस ग्रेवाल, ब्रिगेडियर आई एस जाखल और लैफ्टिनैंट जनरल पी एन हून शामिल थे।समागम की समाप्ति मौके पर पंजाब के मुख्यमंत्री के सीनियर सलाहकार लैफ्टिनैंट जनरल टी एस शेरगिल्ल ने प्रबंधकों और ख़ास तौर पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि मिल्ट्री पारले की कामयाबी के साथ आगामी मिल्ट्री लिटरेचर फेस्टिवल की कामयाबी का आधार बंध गया है। उन्होंने कहा कि मिल्ट्री लिटरेचर फेस्टिवल दौरान तकरीबन 1200 बच्चों को परमवीर चक्र विजेता फौजियों से बातचीत का मौका मिलेगा जो कि उन्होंने की जि़ंदगी का एक यादगारी अनुभव होगा। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि मिल्ट्री पारले को एक किताबी शक्ल देने संबंधी भी विचार किया जा रहा है।