5 Dariya News

दो दिवसीय सैन्य कला व चित्र प्रदर्शनी शुरू

भारतीय सेना के शानदार इतिहास और प्राप्तियों को जीवंत करती विलक्षण तस्वीरों और कलाकृतियों का प्रदर्शन

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चण्डीगढ़ 18-Nov-2017

आज यहां के म्यूजियम आर्ट गैलरी में प्रर्दशित की गई दुर्लभ चित्रों और कलाकृतियों द्वारा राष्ट्र की सुरक्षा एवं निर्माण में भारतीय सेना और उसके योगदान का शानदार सफर प्रत्यक्ष रूप में देखने को मिला।मिल्ट्री लिटरेचर फैस्टीवल 7 से 9 दिसंबर, 2017 को हो रहा है जिसके  शुरूआत के तौर पर दो दिवसीय सैन्य कला और फोटोग्राफी प्रदर्शनी लगाई गई है जहां भारतीय सेना द्वारा प्रथम विश्व युद्ध से लेकर बड़ी कार्रवाईयों को मूर्तिमान किया गया है। आज शुरू हुई इस दो दिवसीय प्रर्दशनी में सेना से संबंधित तस्वीरें, कलाकृतियां, पदक, सिख राज के समय की  सेना से संबंधित गोलाबारूद, अधिकारियों के निजी सामान और 1971 की सैन्य  कार्रवाई के दौरान पाकिस्तानी सेना से कब्जे में लिए गये झंडों सहित लगभग 200 वस्तुएं इस प्रर्दशनी में  शामिल हैं।फ्लाइंग अधिकारी निर्मलजीत सिंह सेखों, पीवीसी (मरणोपरांत) की मूर्ति की प्रदर्शनी के साथ-साथ विश्व युद्धों की जपानी तलवारों सहित अन्य विलक्षण वस्तुओं का प्रर्दशन किया गया है। इसी तरह मेजर जनरल जी नागरा जो 1971 के ऑपरेशन के दौरान जीओसी 101 थे, की व्यक्तिगत तस्वीरें भी शामिल है।1947-48,1962,1965,1971 तथा 1999 के युद्धों क ी क्रमवार विभिन्न प्रर्दशनीयां देखने वाले का सिर गर्व से उंचा करती हैं जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का सेना के जवानों से मिलने की विलक्षण तस्वीरों को रूपमान किया गया है। इसी तरह भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन की पैटन नगर में जवानों के साथ मुलाकात, नष्ट किये हुए पाकिस्तान के पैटन टैँक और युद्ध विराम से ठीक पहले जनरल जे चौधरी द्वारा सैनिकों को दी जा रही बधाई की दुर्लभ तस्वीरें भी प्रदर्शित की गई हैं।1971 के युद्ध के दौरान पाकिस्तान की सेना द्वारा आत्मसम्र्पण करने के बाद लेफि. जनरल नियाजी द्वारा विजि़टर बुक में हस्ताक्षर करने और और ईस्ट पाकिस्तानी सेना का झंडा कब्जे में लेने के पलों की तस्वीरें देशभक्ति की भावना को और प्रबल कर देती हैं। यह झंडा मेजर जनरल नागरा के  परिवार द्वारा संरक्षित किया हुआ है।सिखों के शानदार सैन्य इतिहास वाले सैक्शन में बर्तानवी राज दौरान सिखों द्वारा लड़े युद्धों का इतिहास इस प्रर्दशनी में समाया हुआ है। 

यह प्रदर्शनी भारतीय सैनिकों की तरफ से दुनिया भर में हासिल की गई विजयों को दिखाने के लिए विशेष तौर पर बनायी गई है ताकि प्रत्येक व्यक्ति इस तरतीब की झलक ले सके। प्रदर्शनी में सिखों के सैन्य इतिहास का वर्णन किये जाने का सेहरा पंजाब डिजिटल लाइब्रेरी को जाता है। एक विशेष दीवार सारागड़ी युद्ध के योद्धाओं को समर्पित की गई है जो शूरवीर सिखों की हिम्मत और दिलेरी की मिसाल पेश करती है जिन्होंने शहादत का जाम पिया। इस युद्ध में थोड़ी सी संख्या में बहादुर सिख सैनिकों ने 10,000 से अधिक अफगान कबाईलियों को हराया।इस प्रदर्शनी के दौरान लैफ्टिनैंट जनरल (सेवा मुक्त) जे. ऐस. ढिल्लों जिनका बेटा 5वीं पीढ़ी में फ़ौज का अधिकारी है, ने अपने नौकरी वाले दिनों को याद करते हुये इस प्रयास की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी पंजाब के नौजवानों को अपने शानदार पृष्ठभूमि संबंधी अवगत्  कराने का महान उद्यम है।इस प्रबंधकीय टीम के मैंबर कर्नल आहलुवालिया ने बताया कि पंजाबियों को उनकी बहादुरी और देश भक्ति के जज़बे के तौर पर जाना जाता है और उन्होंने भारतीय सेना में बहुत बड़ा योगदान दिया है। पिछले सांझे पंजाब के दिनों दौरान 40 प्रतिशत पंजाबी सेना में सेवा निभाते थे। वर्षों बीत जाने के बाद रक्षा सेनाओं में शामिल होने के प्रति नौजवानों की रूचि घटती गई और इस फेस्टिवल की प्रदर्शनी सहित अन्य समागमों का उद्धेश्य नौजवानों में फ़ौज की सेवा की चिंगारी फिर जगाना है।एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि अलग -अलग वर्गों के 400 से अधिक लोग आज इस प्रदर्शनी में पहुँचे जिन्होंने फ़ौज के शानदार इतिहास की विलक्षण प्राप्तियों को तस्वीरों और अन्य  कलाकृतियों द्वारा देखा। यह नुमायश आज आम लोगों के लिए 9 बजे से 5 बजे तक खुली थी और कल रविवार भी यही समय रहेगा जहां और बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने की आशा है।