5 Dariya News

पंजाब द्वारा अगले साल से पराली जलाने के अमल को रोकने के लिए चेन्नई आधारित कंपनी के साथ समझौता

न्यूवे कंपनी 10 महीनों में 400 प्लांट स्थापित करेगी, पराली को बायो -ऊर्जा में तबदील किया जाएगा

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चंडीगड़ 15-Nov-2017

पराली जलाने से रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए पंजाब सरकार ने चेन्नई आधारित एक कंपनी के साथ सहमति पत्र (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर किये है जिस के अनुसार राज्य में पराली से बायो -ऊर्जा बनाने के लिए 400 प्रोसैसिंग प्लांट स्थापित किये जाएंगे। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा पराली जलाने की समस्या को रोकनो के लिए की जा रही सख्त कोशिशों के नतीजे के तौर पर यह समझौता हुआ है। यह प्लांट धान के अगले सीजन से पहले चालू हो जाएंगे। इस से पराली को जलने  पर रोक लगेगी जिसने मौजूदा सीजन दौरान वातावरण पर बहुत प्रभाव डाला है।इस सहमति पत्र पर पंजाब सरकार द्वारो पंजाब ब्यूरो आफ इनवेस्टमैंट प्रमोशन के सी.ई.ओ. आर.के. वर्मा और न्यूवे के एम.डी. के. इयप्पन ने हस्ताक्षर किये। इस समझौते के अनुसार यह प्लांट न्यूवे इंजीनियर्ज एम.एस.डबल्यू प्राईवेट लिमटिड द्वारा अगले 10 महीनों के दौरान 10,000 करोड़ रुपए की लागत के साथ स्थापित किये जाएंगे।इन प्लांटों के 10 महीने अंदर सफलतापूर्वक कार्यशील होने को यकीनी बनाने के लिए राज्य सरकार सुविधा और समर्थन मुहैया करवाएगी। इस प्रोजैक्ट के साथ अकुशल  और अर्धकुशल श्रेणियों में तकरीबन 30,000 नौजवानों को सीधा रोजग़ार प्राप्त होगा।यह कंपनी प्रदूषण को रोकनो के लिए अति -आधुनिक प्रौद्यौगिकी का प्रयोग करेगी और यह यकीनी बनाया जायेगा कि कोई अवशेष  बाकी न रहे।

एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि यह प्रौद्यौगिकी वातावरण की समस्या के उपयुक्त हल यकीनी बनाऐगी क्योंकि पराली जलाने से राज्य में कई तरह की समस्याएँ पैदा हुई हैं। गौरतलब है कि यह कंपनी म्यूंसीपल अवशेष को इस प्रौद्यौगिकी के प्रयोग के साथ बायो -ऊर्जा में तबदील करने के लिए पहले ही एक योजना चला रही है।समझौते के अनुसार यह कंपनी अगले साल पैदा होने वाली तकरीबन 20 मिलियन टन पराली के लिए 400 कलस्स्टर यूनिट स्थापित करेगी। प्रत्येक यूनिट की 50,000 टन प्रोसैेसिंग सामर्थ्य होगी। प्रत्येक यूनिट रोज़मर्रा 150 से 175 टन पराली की प्रोसेसिंग करेगा।पंजाब सरकार प्रत्येक कलस्टर के लिए सात एकड़ ज़मीन अलाट करेगी जिस में से चार से पाँच एकड़ ज़मीन प्रत्येक साल 50,000 टन पराली की स्टोरेज के लिए इस्तेमाल की जायेगी। इस का रियायती समय 33 साल का होगा। राज्य सरकार इस कंपनी को रियायती दरों पर बिजली मुहैया कराएगी। इस के अलावा नयी औद्योगिक नीति में दीं गई रियायतों भी इस को उपलब्ध करवाई जाएंगी।पराली को ऊर्जा में तबदील करते समय पैदा होने वाले कार्बन का प्रयोग विभिन्न उद्योगों जैसे कि सीमेंट, लोहा और स्टील, गन्ना, पेपर, थर्मल शक्ति प्लांटों और मेथेनाल /एथेनॉल के उत्पादन के समय लाभदायक होगी।प्रवक्ता के अनुसार इस पहलकदमी की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने विभाग को यह प्रोजैक्ट समय सीमा के अंदर लागू करने को यकीनी बनाने के लिए कहा है। प्रवक्ता अनुसार यह एम.ओ.यू. कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार की उन कोशिशों का ही हिस्सा है जो वह राज्यमें पराली को न जलाये जाने के लिए कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने पराली जलाने वाले किसाना के लिए मुआवज़े की भी केंद्र से माँग की है। मुख्यमंत्री ने सम्बन्धित विभागों को इस समस्या के साथ निपटने के वैकल्पिक तरीको को पता लगाने के लिए भी कहा है।