5 Dariya News

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किया भव्य प्रदर्शनी का आवलोकन

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जगाधरी (यमुनानगर) 12-Nov-2017

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के 350वें राज्य स्तरीय प्रकाश पर्व के समापन समारोह पर जगाधरी की अनाज मंडी में आयोजित भव्य और ज्ञानवर्धक प्रदर्शनी का अवलोकन किया। हरियाणा के सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग द्वारा लगाई गई इस प्रदर्शनी में लगभग 73 डिस्प्ले बोर्डों पर सिख धर्म के पहले गुरु नानक देव जी द्वारा आरम्भ की गई सिख फिलोसफी से लेकर बाबा बंदा सिंह बहादुर द्वारा यमुनानगर और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर 7200 एकड़ क्षेत्र में स्थापित की गई पहली सिख राजधानी तक के इतिहास को चित्रों सहित प्रदर्शित किया है। इसके अलावा, इस प्रदर्शनी में 25 डिस्प्ले बोर्ड पर यमुनानगर व आस-पास के जिलों में लौहगढ़ के किले अवशेष व प्राचीन इतिहास को विशेष तौर पर प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी के आरम्भ में हरियाणा के राज्यपाल प्रो० कप्तान सिंह सोलंकी और मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के संदेश प्रदर्शित किए गए हैं। प्रदर्शनी में गुरु नानक देव जी द्वारा आरम्भ की गई सिख फिलोसफी, गुरु नानक देव जी द्वारा तत्कालीन शासक बाबर के अत्याचारों के विरोध पर बाबर को जाबर कहना, राजा अकबर द्वारा दूसरे गुरू श्री अंगद देव, तीसरे गुरु श्री अमर दास व चौथे गुरु रामदास जी को सम्मान देना, सिख धर्म में गुरु अर्जुन देव जी की पहली कुर्बानी, गुरु हरराय जी द्वारा 13 वर्ष तक लौहगढ़ किले के निर्माण कार्य की देखरेख करना, 20 जुलाई 1652 को लौहगढ़ में 8वें गुरू श्री गुरु हरिकृष्ण जी का जन्म होना, गुरु तेग बहादुर जी द्वारा 1644 से 1664 तक लक्खी शाह बंजारा, पीर बुदुशाह के साथ लोहगढ़ किले का निर्माण करवाना इत्यादि घटनाओं को प्रदर्शित किया गया है।

प्रदर्शनी में पटना साहिब में श्री गुरु गोबिंद सिंह के जन्म, गुरु हरराय द्वारा राजा फतेह सिंह को संतान का वरदान देना, श्री गुरु गोबिंद सिंह की बाल्य काल की घटनाओं, श्री गुरु तेग बहादुर का 1666 से 1671 तक असम भ्रमण के बाद पटना में वापसी व बाल श्री गुरु गोबिंद सिंह से पहली मुलाकात, वर्ष 1675 में आनंदपुर साहिब में कश्मीरी पंडितों द्वारा धर्म की रक्षा के लिए श्री गुरु तेग बहादुर जी का प्रार्थना करना, धर्म की रक्षा के लिए श्री तेग बहादुर की कुर्बानी, भाई जैता द्वारा श्री गुरु तेग बहादुर जी का शीश दिल्ली से आनंदपुर साहिब तक ले जाना व श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को यह शीश सौंपना, श्री गुरु गोबिंद सिंह का पौटासाहिब में 4 वर्ष तक का विश्राम, इस काल में लौहगढ़ किले के निर्माण को अंतिम रूप देना, भंगाणी का युद्ध, इस युद्ध में सढ़ौरा के पीर बुदुशाह द्वारा अपने पुत्र शहीद करवाना तथा श्री गुरू गोबिंद सिंह के कपालमोचन से वापसी के दौरान 13 दिन तक लाहड़पुर में ठहराव, भाई मनी सिंह की शहीदी 1699 में श्री गुरु गोबिंद सिंह द्वारा आनंदपुर साहिब में सिख धर्म की स्थापना, श्री गुरू गोबिंद सिंह के चारों साहिबजादों की शाहादत, श्री गुरु गोबिंद सिंह द्वारा गुरू ग्रंथ साहिब को पूर्ण गुरू का दर्जा देना इत्यादि घटनाओं का प्रदर्शन किया गया है।इस प्रदर्शनी में नांदेड़ साहब में श्री गुरु गोबिंद सिह और बंदा सिंह बहादुर की पहली मुलाकात, बंदा सिंह बहादुर द्वारा दिल्ली से लाहौर तक सिख राज की स्थापना, लौहगढ़ में सिख राज की पहली राजधानी स्थापित करने तक के सफर को प्रदर्शित किया गया है। इस प्रदर्शनी में यमुनानगर के लौहगढ़, रायपुर-रानी क्षेत्र के मसूमपुर सहित करनाल, कुरूक्षेत्र, अम्बाला और पंचकूला के अलग-अलग क्षेत्रों में लौहगढ़ किले और 52 गढ़ो के मिले अवशेषों और प्राचीन निशानियों को प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी के अंत में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में 3 जून 2016 को लौहगढ़ में बाबा बंदा सिंह बहादुर के 300वें शहीदी दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम के चित्रों को प्रदर्शित किया गया है।