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हिमाचल चुनाव : मनाली में नींव बनाने और बचाने की जंग

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कुल्लू, मनाली 06-Nov-2017

बरसों पुरानी खूबसूरती और अपनी हरियाली के लिए मशहूर पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश का कुल्लू और मनाली पर्यटन स्थल किसी पहचान का मोहताज नहीं है। देश के साथ विदेश से भी पर्यटक यहां घूमने और मस्ती के लिए आते हैं। पर्यटन क्षेत्र होने के साथ क्षेत्र की राजनीति का भी यहां की फिजाओं में खासा प्रभाव रहा है। 2008 में परिसीमन के बाद कुल्लू और मनाली दोनों विधानसभा क्षेत्र अलग-अलग हो गए थे। हिमाचल प्रदेश की विधानसभा सीट संख्या-22 मनाली विधानसभा। मंडी विधानसभा क्षेत्र के अंर्तगत और 2008 में परिसीमन के बाद कुल्लू से अलग होकर अस्तित्व में आई मनाली विधानसभा में मौजूदा समय में कुल आबादी 84,238 है जिसमें से 64,270 मतदाता इस दफा अपने मतों का प्रयोग कर इस क्षेत्र से विधायक और पार्टी की किस्मत का फैसला करेंगे। मनाली में प्रसिद्ध हिडिम्बा देवी का मंदिर है जिसे 1553 में स्थापित किया गया था साथ ही बीचों बीच बहती व्यास नदी इस क्षेत्र की सुंदरता की कहानी बयां करती है। 2008 में परिसीमन के बाद उभरा मनाली विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक पृष्ठभूमि की दृष्टि से राजपूत बहुल क्षेत्र है। 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कुल्लू के पूर्व विधायक रहे गोविंद सिंह ठाकुर ने भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी। 2017 विधानसभा चुनाव में भी गोविंद सिंह ठाकुर ने भाजपा के बैनर तले नामांकन दाखिल किया है। 49 वर्षीय ठाकुर हिमाचल के पूर्व मंत्री कुंज लाल ठाकुर के बेटे हैं। आरएसएस से जुड़ाव के चलते राजनीति में कदम जमाने वाले गोविंद भाजपा युवा मोर्चा में अपनी सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। 2007 में पहली बार कुल्लू से विधानसभा के लिए गए चुने गए ठाकुर ने 2012 में मनाली से भी विधानसभा चुनाव जीता था। 

वहीं कांग्रेस ने भाजपा उम्मीदवार गोविद के खिलाफ हरिचंद शर्मा को मैदान में उतारा है। हरिचंद शर्मा कुल्लू जिला परिषद के पांच साल तक अध्यक्ष रहे थे। हरिचंद शर्मा वर्तमान में राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के प्रदेश संयोजक हैं। हरि चंद्र के नेृतत्व में कुल्लू ने लगातार चार बार राजीव गांधी पंचायती राज सशक्तीकरण पुरस्कार जीता है। 1985 से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले शर्मा 1986 से 1995 तक सर्कल कांग्रेस कमेटी के प्रधान रहे। 1998 से 2000 तक वह जिला युवा कांग्रेस कुल्लू के अध्यक्ष रहे और 2011 में उन्हें जिला अध्यक्ष का पद दिया गया जिसपर वह पांच साल तक काबिज रहे। पार्टी ने लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता को देखते हुए मनाली विधानसभा से उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा बहुजन पार्टी के जीत राम और निर्दलीय उम्मीदवार गजेंद्र ठाकुर चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मनाली विधानसभा यूं तो अपनी खुबसूरती के लिए मशहूर है लेकिन चुनावी सरगर्मियों ने क्षेत्र को और मशहूर कर दिया है। एक तरफ जहां राज्य में मुख्यमंत्री कौन होगा इस बात की चर्चा जोरों पर है तो वहीं दूसरी तरफ परिसीमन के बाद सामने आई इस मशहूर सीट से किस पार्टी का उम्मीदवार अपनी जीत की इबारत लिखेगा यह देखना दिलचस्प रहेगा। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव 9 नवंबर को होना है और मतों की गिनती 18 दिसंबर को की जाएगी।