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नई शिक्षा नीति दिसंबर तक : सत्यपाल सिंह

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तिरूअनंतपुरम 23-Oct-2017

केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति का निर्माण अंतिम चरण में है और दिसम्बर तक इसकी घोषणा हो जाएगी। तिरूअनंतपुरम में सोमवार को 'राष्ट्रीय अकादमी सम्मेलन' का उद्घाटन करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य देश में औपनिवेशिक प्रभाव वाली शिक्षा प्रणाली में संशोधन करना है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अधिकांश शिक्षा विशेषज्ञों ने ब्रिटिश और पश्चिमी विद्वानों का अनुसरण किया है और जानबूझकर भारतीय संस्कृति की उपेक्षा की है। शिक्षा प्रणाली और सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यह है कि भारतीय मानसिकता को किस प्रकार औपनिवेशिक प्रभाव से मुक्त किया जाए। सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है। मंत्री ने कहा कि यह पहली शिक्षा नीति है, जिसकी परत-दर-परत और सूक्ष्मता से परिचर्चा की गई है।डॉ. सिंह ने कहा कि शिक्षा प्रणाली की कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं- प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, उच्च शिक्षा के खर्च में कमी लाना तथा इसे लोगों के लिए सुलभ बनाना। उन्होंने कहा कि कौशल विकास सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है।उच्च शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में छात्रों द्वारा विदेश जाने में कमी लाने के लिए डॉ. सिंह ने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि देश में उच्च शिक्षा तक पहुंच मात्र 25.6 प्रतिशत है, जबकि यह अमेरिका में 66 प्रतिशत, जर्मनी में 80 प्रतिशत और चीन में 60 प्रतिशत है। देश की महंगी उच्च शिक्षा का जिक्र करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि उच्च शिक्षा व्यवस्था में सुधार होना चाहिए और इसे कम खर्चीला बनाया जाना चाहिए।डॉ. सिंह ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम में बदलाव की जरूरत है। अधिनियम में अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था है। परंतु यदि माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं तो इसका क्या समाधान है, इसलिए देश की प्राथमिक शिक्षा में विभिन्न प्रकार के परिवर्तनों की आवश्यकता है।सम्मेलन का आयोजन विचार केंद्रम के निदेशक पी. परमेश्वरम के नवथी समारोह के तहत भारतीय विचार केंद्रम के द्वारा किया गया।