5 Dariya News

घोषणा, घोषणा व घोषणा ही है कैप्टन की 7 माह की कारगुजारी: भाजपा

कांग्रेस के 7 माह के कार्यकाल में 284 किसानों ने की आत्महत्याएं, घोषणाएं अनेक, 7 माह में पूरी न कर पाए एक: भाजपा

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चंडीगढ़ 21-Oct-2017

झूठी घोषणाओं व वादा खिलाफी की सरकार बनकर रह गई है पंजाब की कांग्रेस सरकार। यह कहना है भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष हरजीत सिंह ग्रेवाल व प्रदेश सचिव विनीत जोशी का, जो आज कांग्रेस सरकार के 7 माह पूरे होने पर आज चंडीगढ़ में पत्रकार वार्ता कर रहे थे। 18 मार्च को पहली कैबिनेट मीटिंग में पंजाब की कांग्रेस सरकार ने 100 से ज्यादा निर्णय लिए, जिनमें से पूरा कोई भी न हुआ। चाहे वह ड्रग माफिया, रेत माफिया या करप्शन खत्म करना हो, वीआईपी कल्चर खत्म करना हो, समयबद्ध तरीके से किसानों की कर्ज माफी हो, कांट्रेक्ट व ठेके पर रखे कर्मचारियों को पक्का करना हो, सरकारी स्कूलों व कालेजों में फ्री वाई-फाई देना हो, हर तहसील में एक डिग्री कालेज खोलना हो, बार्डर एरिया के लिए स्पेशल पैकेज हो, युवाओं को तुरंत प्रभाव से नौकरी देना हो, स्मार्टफोन देना हो। यह सब घोषणाएं बनकर रह गई हैं।किसानों के प्रति पंजाब सरकार की नीयत साफ नहीं दिखती, अगर हम ध्यान से देखें तो किसानों के कर्जा माफी को लेकर अब तक घोषणाओं/अखबारी बयानबाजी के अलावा कुछ नहीं किया।18 मार्च 2017 को हुई पहली कैबिनेट मीटिंग में समयबद्ध तरीके से किसानों की कर्ज माफी के लिए प्रतिबद्धता दिखाने के अलावा कुछ नहीं किया।तीन माह बीतने के बाद 14 जून की कैबिनेट मीटिंग में किसानों की कर्जा माफी के लिए 'हक कमेटी बनाने की घोषणा करते हैं। 19 जून शाम 5 बजे विधानसभा में कैप्टन अमरिंदर सिंह पूर्ण कर्जा माफी के वादे से मुकरते हुए 2 लाख रुपए तक की कर्जा माफी का ऐलान करते हैं।20 जून को वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल कैप्टन की 2 लाख की घोषणा के अनुसार बनते 9500 करोड़ रुपए ऋण माफी के लिए सिर्फ 1500 करोड़ का बजट किसानों की ऋण माफी के लिए रखते हैं और उसके बाद किसानों की कर्ज माफी के लिए कोई भी सार्थक कदम नहीं उठाती है। 

3 माह बाद जब चुनाव आयोग गुरदासपुर लोकसभा चुनाव की घोषणा कर चुनाव आचार संहिता लागू करता है, तो 20 सितंबर को कैबिनेट मीटिंग कर कर्जा माफी की नोटिफिकेशन को प्रवानगी देते हैं, जिसकी कैबिनेट द्वारा प्रवानगी देने की कोई जरूरत नहीं होती, पर चुनाव थे, गुरदासपुर के किसानों को दिखाना था कि हम किसानों के प्रति गंभीर हैं, जो काम एग्रीकल्चर डिपार्टमैंट का था, वह कैबिनेट के माध्यम से करके अखबारों की सुर्खियां बनाई। आज 20 सितंबर की घोषणा को भी एक माह गुजर चुका है और अब तक 2 लाख तक की कर्जा माफी के लिए भी पंजाब सरकार ने कोई सार्थक कदम नहीं उठाया है, वहीं पंजाब में कांग्रेस सरकार के 7 माह के कार्यकाल में अब तक 284 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। फिर इसे हम घोषणाओं की सरकार क्यों न कहें जोशी व ग्रेवाल ने पूछा?गुरदासपुर चुनाव होते ही अपना असली रंग दिखाते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसान नेताओं के साथ 16 अक्तूबर को सी.एम. हाऊस में बेरूखी भरा व्यवहार करते हुए स्पष्ट कह दिया कि पूर्ण कर्जा तो माफ नहीं होगा तथा 2 लाख रुपए का कर्जा कब तक माफ होगा, इसका भी कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया, जिसके रोष स्वरूप किसान नेता बैठक उपरांत मुख्यमंत्री के निवास पर ही धरना लगाकर बैठ गए। गुरदासपुर उपचुनाव में कांग्रेस को जीताने का तोहफा देते हुए कैप्टन सरकार ने अपने कर्मचारियों को डीए नहीं दिया और कई श्रेणियों के सरकारी कर्मचारियों को मासिक वेतन नहीं दिया। 

इतना ही नहीं स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने एक केबल आप्रेटर से राजनीतिक बदला लेने हेतु कैबिनेट पर दबाव डलवाकर आम जनता पर मनोरंजन टैक्स का बोझ डलवा दिया।पंजाब की कांग्रेस सरकार सरकारी तंत्र से खासकर पुलिस के माध्यम से राजनीतिक बदले लेने के लिए व्यस्त है, गुरदासपुर चुनाव में सरकारी मशीनरी का खुलकर दुरुपयोग किया गया और पिछले 7 माह से लूट, चोरी, बलात्कार, मारपीट व हत्याएं की घटनाएं आम हो गई हैं। लुधियाना में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुख्य शिक्षक रविन्द्र गौंसाई की हत्या चरमराती कानून व्यवस्था का एक ताजा उदाहरण है। हम याद कराना चाहेंगे कि पंजाब में आतंकवाद की शुरूआत ऐसी ही घटनाओं से हुई थी और उस समय भी पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी तथा अब भी पंजाब में कांग्रेस की सरकार है।चुनावी वादे अनुसार प्रदेश की जीडीपी का 6 प्रतिशत एजूकेशन पर खर्च करना तो दूर अब पंजाब सरकार 800 प्राइमरी स्कूलों को बंद कर रही है। हर एक किलोमीटर के घेरे में प्राइमरी स्कूल का होना अनिवार्य है, तो पंजाब सरकार अपने ही तय मापदंडों को तोड़ रही है। जिन स्कूलों में बच्चों को भेजा जाएगा, क्या उन स्कूलों में बैंच, मिड-डे-मिल के कुक, बर्तन आदि हैं, क्या बच्चों की फ्री ट्रांसपोर्टशन की व्यवस्था है आदि चीजों पर विचार किए बिना सिर्फ सरकारी पैसे को बचाने का, गरीब विरोधी, सर्व शिक्षा अभियान विरोधी कदम है।