5 Dariya News

मंत्रीमंडल ने भूमिगत पाईपें बिछाने के लिए रास्ते का अधिकार देने पर मोहर लाई

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चंडीगढ़ 16-Oct-2017

किसानों को सिंचाई के लिए किसी अन्य मालिकाना वाली ज़मीनों  में से भूमिगत पाईपें बिछाने का हक देते हुए पंजाब मंत्रीमंडल ने आज 'रस्ते के अधिकार Ó (राइट आफ वेअ) के लिए मौजूदा कानून में संशोधन करने की मंजूरी दे दी है।पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रीमंडल की मीटिंग दौरान पंजाब लैंड इम्प्रूवमैंट स्कीमज एक्ट -1963 में संशोधन करके नयी धारा 14 -ए इस एक्ट के अध्याय -3 में जोडऩे की सहमति दे दी है।इस बारे विस्तार में बताते हुए एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस संशोधन के साथ भूमि और जल संरक्षण विभाग को 'रास्ते का अधिकार देगी और किसानों को उनकी फ़सल या ढांचो में किसी किस्म का नुक्सान होने की सूरत में मौजूदा मार्कीट की कीमतों के मुताबिक मुआवज़ा अदा किया जायेगा।इस कदम के साथ विभाग या सम्बन्धित किसान अन्य मालिकाना वाली ज़मीन में सिंचाई के लिए भूमिगत पाईपें निशानदेही के अनुसार ज़मीन के सतह से न्यूनतम तीन फुट नीचे बिछा सकेगा।प्रवक्ता ने बताया कि यह संशोधन इस लिए ज़रूरी था क्योंकि ज़मीन मालिक या एजेंसियां अपनी ज़मीन में से भूमिगत पाईपें निकालने की इजाज़त नहीं देती थीं जिससे किसान अन्य ओर पड़ती ज़मीन को सिंचाई सुविधा देने से वंचित रह जाता है। मौजूदा कानून की अनुपस्थिति के कारण जिन किसानों के पास सिंचाई का एक ही साधन है या फिर उनकी ज़मीन विभिन्न स्थानों पर है, को बहुत ज़्यादा मार पड़ रही है। इस कानून के न होने के कारण ही सरकारी फंडो वाले प्रोजेक्टों पर भी प्रभाव पड़ता है।इस स्कीम को अमल में लाने को यकीनी बनाने के लिए डिप्टी कमिश्नर की अध्यक्षता में जि़ला स्तरीय समिति का गठन किया जायेगा जिस में माल विभाग, कृषि विभाग, वनविभाग, लोक निर्माण तथा भूमि और जल संरक्षण विभाग के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस प्रस्तावित समिति को ज़मीन मालिक को दिया जाने वाला मुआवज़ा तय करने का जिम्मा सौंपा जायेगा।यह जि़क्रयोग्य है कि सिंचाई के लिए भूमिगत पाईपें बिछाने से राज्य में जल संसाधनों की उचित प्रयोग की जा सकता है और राज्य का भूमि और जल संरक्षण विभाग इस दिशा में पहले ही बड़े स्तर पर काम कर रहा है। राजस्थान सरकार ने साल 2010 में राजस्थान लैंड टीनैंसी एक्ट में ऐसी संशोधन की हुई है।