5 Dariya News

पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा किसानों को पराली न जलाने की अपील

सरकार द्वारा पराली जलाने की समस्या को नकेल डालने के लिए कार्य योजना तैयार

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चंडीगढ़ 27-Sep-2017

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में सूबा सरकार ने बहु -चरणीय पहुँच के द्वारा सूबे में पराली जलाने की जानलेवा समस्या से निपटने के लिए विशाल कार्य योजना तैयार की है और इस के साथ ही मुख्यमंत्री ने किसानों को पराली जलाने के हानिकारक अमल से दूर रहने के लिए कहा है।यह कार्य योजना विज्ञान, प्रोद्यौगिकी और वातावरण विभाग ने मुख्यमंत्री के निर्देशों पर तैयार की है जिन्होंने किसानों को पराली जलाने की अपील की है क्योंकि इस से सूबे में बड़े स्तर पर प्रदूषण पैदा होता है।पंजाब में हर साल पैदा होती 19.7 मिलियन टन धान की पराली में से 75 प्रतिशत के जलाये जाने कारण इस समस्या ने खतरनाक स्थिति धारण कर ली है जिससे भू के उपजाऊ तत्वों को नुक्सान पहुँचता है और हवा के मानक में कमी आती है। धान की कुल पराली से सिर्फ 21.8 प्रतिशत पराली बायोमास प्रोजेक्टों, कागज -गत्तो की मिलों और पशुओं के चारें /अन्य मकसदों के लिए इस्तेमाल की जाती है। इससे बहुत थोड़े हिस्से का मशीनरी और अन्य साजो -सामान से प्रबंधन किया जाता है।विभाग ने अपनी कार्य योजना के हिस्से तौर पर हर साल 15.40 मिलियन टन पराली का प्रबंधन फसली विभिन्नता, कृषि अवशेष ,साजो -सामान और औद्योगिक प्रयोग के द्वारा करने का सुझाव दिया है। बायोमास बिजली प्लांट, बायो रिफाइनरीज और डैमोनस्ट्रेशन प्लांटों में बड़े स्तर पर निवेश किया जा रहा है जिससे इस का प्रयोग औद्योगिक सुविधा के लिए किया जा सके और कृषि अवशेष से ऊर्जा तैयार की जा सके।   

एक सरकारी प्रवक्ता अनुसार इस के अलावा मुख्यमंत्री ने किसानों को पराली जलाने के लिए पे्ररित करने के लिए कम से -कम समर्थन मूल्य पर 100 रुपए प्रति क्विंटल रियायत मुहैया करवाने के लिए केंद्र सरकार को पहले ही एक प्रस्ताव भेजा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह अगले सप्ताह केंद्रीय कृषि और वित्त मंत्रियों से इस संबंध में आगे ओर बातचीत करेंगे।इसी दौरान ही सूबा सरकार ने इस समस्या पर काबू पानेे के लिए कानूनी रूप -रेखा को मजबूत बनाने के लिए अनेकों अन्य कदम भी उठाये हैं। विभाग ने साल 2013 दौरान फसलों की हर तरह की अवशेषों  को जलाने पर पाबंदी लगाने के लिए वायु एक्ट -1981 की धारा 19 (पाँच) तहत आदेश जारी किये थे।प्रवक्ता ने आगे बताया कि सभी डिप्टी कमीश्नरों ने अपने -अपने जिले में पराली और खेती के साथ सम्बन्धित ओर अवशेष जलाने पर पाबंदी लगाने के लिए सी.आर.पी.सी. के तहत आदेश जारी किये हैं। गाँवों की पंचायतों को भी फसलों की अवशेष को न जलाने के लिए प्रस्ताव पारित करने के आदेश दिए गए हैं। जो भी व्यक्ति इसका उल्लंघन करेगा वह अगले साल पंचायत की जमीन की बोली देने के योग्य नहीं होगा। इस के अलावा विभाग ने स्थानीय पुलिस /एस.डी.एम. को पराली जलाने की किसी भी घटना की लिखित सूचना देने के लिए पंचायतों को जिम्मेदार बनाने का फैसला किया है।इस के साथ ही विभाग ने आगे के बुरे प्रभावों संबंधीे किसानों को जागरूक करने के लिए एक बड़ी मुहिम भी आरंभ की है। यह मुहिम कृषि, पी.पी.सी.बी., जिला अथॅारिटी, पशु पालन, देहाती विकास पर पंचायत विभाग, सहकारिता विभाग, शिक्षा विभाग और पी.ए.यू. जैसे संस्थानों के सहयोग के साथ आरंभ की गई है। 

वास्तव में पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी ने कृषि विज्ञान केन्द्रों में किसान मेले आयोजित करवाए जिन में दो लाख किसानों  हाजिर हुये। अप्रैल 2017 दौरान 28 प्रचार वैन भी चलाईं गई और इस के अलावा अखबारों व टी.वी. में इश्तिहार भी दिये।पराली जलाने की घटनाएँ पर पंजाब रिमोट सेंसिंग सैंटर लुधियाना द्वारा निगरानी रखने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इस की सेवाओं पी.पी.सी.बी. ने प्राप्त की हैं जिससे पराली को आग लाने की घटनाओं की सूचना प्राप्त की जा सके। पी.आर.एस.सी. ने एस.एम.एस अलर्ट व्यवस्था के साथ निगरानी विधि विधान को विकसित किया है। इसके साथ एस.एम.एस. /ई -मेल रोजाना ही डिप्टी कमिशनर और जिले स्तर के अन्य स्थानीय कार्यकत्ताओं को इलाके में आग से सम्बन्धित भेजी जाती है। इसके अलावा डिप्टी कमीशनरों ने जिला स्तरीय निगरान समितियाँ भी बनाईं हैं जिन के सदस्यों को आग लगने वाले स्थानों का दौरा करने के लिए तैनात किया गया है। यह कर्मचारी दोषी किसानों विरुद्ध उचित कार्यवाही करेंगे। गेहूँ की कटाई के सीजन दौरान 61.47 लाख रुपए का वातावरण मुआवजा किसानों पर लगाया गया था और उस दौरान नाड़ जलाने की 10905 घटनाएं  घटी थी।एक ओर पहलकदमी करते हुए पराली जलाने पर नियंत्रण रखने के लिए पटियाला को माडल जिलेे के तौर पर विकसित किया जा रहा है। कृषि विभाग ने पराली प्रबंधन के सम्बन्ध में किसानों को साजो -सामान और मशीनरी उपलब्ध कराने के लिए 1.14 करोड़ रुपए जारी किये हैं। इसके साथ ही प्रदर्शनियाँ और अन्य कामों के साथ जागरूकता मुहिम भी आयोजित करवाई गई है।