5 Dariya News

बीएचयू हिंसा मामला : 2 अधिकारी निलंबित, सपा के लोगों को प्रवेश से रोका गया

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लखनऊ/वाराणसी 25-Sep-2017

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में शनिवार की रात छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज के मामले में आखिरकार सोमवार को बीएचयू स्थित लंका थाने के एसओ और इलाके के सीओ को निलंबित कर दिया गया। वहीं, सपा के प्रतिनिधिमंडल ने जब पीड़ित छात्राओं से मिलने का प्रयास किया, तो पुलिस ने पहले ही उन्हें हिरासत में ले लिया। इस बीच एहतियात के तौर पर काशी विद्यापीठ और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय समेत जिले के सभी डिग्री कॉलेजों को भी दो अक्टूबर तक बंद कर दिया गया है। उप्र के पुलिस महानिरीक्षक लोक शिकायत विजय सिंह मीणा ने बताया कि बीएचयू हिंसा मामले में लंका थाने के एसओ और सीओ को निलंबित किया गया है, जबकि इस मामले में चार एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें छात्राओं से छेड़खानी और पत्रकारों से मारपीट का मुकदमा भी शामिल है।बीएचयू में छेड़खानी के खिलाफ सोमवार को आंदोलनरत छात्राओं से मिलने जा रहे करीब 125 सपा कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। 

पुलिस सूत्रों ने बताया कि बीएचयू परिसर में गत शनिवार रात हुई हिंसक घटनाओं के बाद उत्पन्न तनाव के मद्देनजर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इन कार्यकर्ताओं को एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया गया है। उन्हें स्थानीय पुलिस लाइन में रखा गया है और आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है।सपा प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर विधान पार्षद लीलावती कुशवाहा एवं रामवृक्ष यादव समेत पार्टी का नौ सदस्यीय दल बीएचयू पहुंचा था। दल के सदस्य पीड़ित छात्राओं से मिलकर हालात का जायजा लेना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया और लंका इलाके में मुख्य प्रवेशद्वार पर उन्हें हिरासत में ले लिया। उन्होंने बताया कि पुलिस ने लगभग 125 नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है। दल में सपा के एमएलसी शतरुद्र प्रकाश, रामवृक्ष सिंह यादव, लीलावती कुशवाहा, विधायक प्रभुनारायण सिंह, गीता सिंह, राहुल सिंह, दिग्विजय सिंह देव और राजकुमार जायसवाल को शामिल किया गया था। दिग्विजय सिंह देव 26 सितंबर को अखिलेश यादव को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।सपा नेताओं को पीड़ित छात्राओं से मिलने से रोके जाने पर उनके समर्थकों ने केंद्र की नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उधर, छात्राओं पर लाठीचार्ज एवं हिंसक घटनाओं के लिए कुलपति प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी को जिम्मेवार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग को लेकर छात्र-छात्राओं के कई समूहों ने सोमवार को भी अलग-अलग स्थानों पर धरना-प्रदर्शन किया।इस मामले में कुलपति प्रो़ त्रिपाठी ने कहा कि बाहरी लोगों ने आंदोलन को भड़काया है। इनमें अधिकांश छात्राएं दिल्ली व इलाहाबाद से आई थीं। बीएचयू की छात्र-छात्राएं इस आंदोलन में शामिल नहीं हैं।

 पूरी घटना सुनियोजित तरीके से की गई, ताकि बीएचयू की शांति व्यवस्था भंग हो।बीएचयू की घटना के बाद प्रदेश के डीजीपी सुलखान सिंह ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के लिए निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों के अनुसार, विश्वविद्यालय प्रशासन छात्र-छात्राओं के आक्रोश पर लगातार नजर रखे। उनकी समस्याओं का समय रहते निपटारा किया जाए, ताकि बीएचयू जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। साथ ही सभी जिलों के कप्तानों को भी ऐसी किसी भी घटना को लेकर अलर्ट रहने की हिदायत दी गई है। इस बीच, बीएचयू में छात्राओं के प्रदर्शन की कवरेज करने गए पत्रकारों पर हुए लाठीचार्ज की रिपोर्ट मुख्यमंत्री ने वाराणसी के कमिश्नर से मांगी है। त हो कि शनिवार देर रात छेड़खानी के विरोध में धरने पर बैठी छात्राओं को हटाने के लिए वाराणसी पुलिस ने उन पर बल प्रयोग किया था। लाठीचार्ज की सूचना पाकर कवरेज के लिए बीएचयू पहुंचे पत्रकारों को भी पुलिस ने नहीं बख्शा और जमकर पिटाई की। पिटाई के बाद पुलिसकर्मियों ने घायल पत्रकारों को बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में उपचार के लिए भी नहीं जाने दिया।इस मामले को लेकर लखनऊ में पत्रकारों ने मुख्यमंत्री के आवास का घेराव किया, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडिल के जरिए सूचना दी कि पत्रकारों पर हुए हमले की रिपोर्ट वाराणसी के कमिश्नर से मांगी गई है। इससे पहले, एडीजी (कानून व्यवस्था) आनंद कुमार ने बताया कि इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री ने कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।बीएचयू मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कहा है कि बल से नहीं, बातचीत से सरकार को मसले का हल निकालना चाहिए। बीएचयू में छात्रों पर लाठीचार्ज निंदनीय है। दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।