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सिंचाई घपला: मोहाली की अदालत द्वारा ठेकेदार गुरिन्दर सिंह को जमानत से मनाही

ठेकेदार ने टैंडरों के द्वारा बड़ा पैसा कमाया हुआ और बड़ी रकमें खातों में से निकलवाई, विजिलेंस ने दी दलील

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एस.ए.एस. नगर (मोहाली) 11-Sep-2017

पंजाब के सिंचाई विभाग में हुए बड़े घपले संबंधी आज मोहाली की अतिरिक्त जिला सैशन अदालत ने ठेकेदार गुरिन्दर सिंह की जमानत की अर्जी को खरिज कर दिया। इस संबंधी जानकारी देते विजिलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि ब्यूरो ने अदालत से अपील की है कि सिंचाई विभाग में टैंडर अलाट करने में हुई अनियमितताओं की जांच के लिए ब्यूरो द्वारा भ्रष्टाचार नियंत्रण कानून की धारा 13 (1) डी और 13(2) सहित आई.पी.सी की धारा 406, 420, 467, 468, 471, 477 -ए और 120 -बी अधीन गुरिन्दर सिंह ठेकेदार और सिंचाई विभाग के चार सीनियर आधिकारियों विरुद्ध विजिलेंस ब्यूरो, फ्लाइंग स्क ायॅड -आई,  एस ए एस नगर में केस दर्ज किया गया है।उन्होंने कहा कि सरकारी वकील ने केस की पैरवी दौरान अदालत को बताया कि ब्यूरो की तरफ से सिंचाई विभाग में बहु -करोड़ी प्रोजैेक्टों के टैंडरों को गलत ढंग से अलाट करने की चल रही जांच में यह सामने आया है कि विभाग के अधिकारियों द्वारा कुछेक विशेष ठेकेदारों को टैंडरों की शर्तों में विशेष छूट दी गई और अधिकारियों ने सैंकड़े करोड़ो के कामों की अलाटमैंट में दोषी गुरिन्दर सिंह ठेकेदार को फालतू वित्तीय लाभ देते सरकारी खजाने को बड़ा वित्तीय नुकसान पहुँचाया है।

प्रवक्ता बताया कि दोनों पक्षों की दलीलों को रिकार्ड करने के बाद जिला अदालत ने आदेश किया है कि मुलजिम की हिरासती पूछताछ पता लगाना बहुत जरूरी है कि किस तरह सिर्फ एक ठेकेदार को मिलीभुगत के साथ काम अलाट हुए थे। ठेकेदार की दलीलों को रद्द करते हुए सुनवाई दौरान अदालत ने उक्त दोषी की जमानत रद्द करत हुए कहा कि दोषी जमानत का हकदार नहीं क्योंकि जांच एजेंसी ने यह पता लगाना है कि टैंडर हासिल करके मुलजिम ने किस तरह वित्तीय लाभ कमाऐ और इस विजिलेंस केस के दर्ज होने के बाद बैक लाकरोंं को साफ करने और बड़ी रकमें खाते में से निकलवाने पीछे इस का क्या इरादा था।प्रवक्ता ने बताया कि विजिलेंस ने ठेकेदार की जायदादों की पड़ताल दौरान पाया है कि ठेकेदार गुरिन्दर सिंह ने करोड़ों रुपए की लागत के साथ चण्डीगढ़, मोहाली, लुधियाना, पटियाला और नोएडा में गैर कानूनी तौर पर 30 से अधिक जायदादें बनाईं हुई हैं। उन्होंने बताया कि साल 2006 -07 दौरान गुरिन्दर सिंह ठेकेदार की कंपनी की सालाना आमदन सिर्फ 4.74 करोड़ रुपए थी जो कि साल 2016 -17 दौरान अधिक कर 300 करोड़ रुपए हो गई। इसके इलावा इस ठेकेदार ने मिलीभुगत के साथ निर्माण संबंधी कायों के मानक में और इस्तेमाल किये गए मैटीरियल में भी घपलेबाजी की।

उन्होंने बताया कि ड्रेनेज विभाग के कामों का एस्टीमेट भी मुख्यमंत्री के साथ तैनात तकनीकी सलाहकार से स्वीकृत नहीं करवाया गया और गलत तथ्यों के आधार पर यह छूट कागजो में दिखाई गई। इन कामों में यह भी देखा गया कि ठेकेदार को जो टैंडर अलाट हुए वह विभाग द्वारा तय रेटों से अधिक रेटों पर दिए गए जबकि ओर ठेकेदारों ने टैंडर भरने समय 20 -30 प्रतिशत रेट कम भरे थे। इसके इलावा कई टैंडर इकहरी बोली पर ही अलाट कर दिए गए।प्रवक्ता ने बताया कि पड़ताल दौरान देखा गया कि पिछले सालों दौरान सरकार के सीनियर अधिकारियों की मिलीभुगत के साथ ई -टैंडरिंग के नियमों को आँखों से औझल करते छोटे टैंडरों को मिला कर बड़े टैंडर बनाऐ और गुरिन्दर सिंह ठेकेदार को वित्तीय लाभ पहुँचाए। यहाँ तक कि ई -टैंडरों की गोपनीयता को भी ठेस पहुचांई लगाई गई। विभाग ने इस ठेकेदार को लगभग 1000 करोड़ रुपए के टैंडर अलाट किये जो विभागीय रेटों की अपेक्षा 10 -50 फीसदी अधिक रेटों पर दिए गए।