5 Dariya News

कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा भू-जल की समस्या से निपटने के लिए केंद्रीय स्कीम के लिए सहमति

ग्राउंड वॉटर अथॉरिटी स्थापित करने के लिए स्वीकृति, समस्या का हल करने के लिए विभिन्न विभागों में तालमेल के निर्देश

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चंडीगढ़ 18-Aug-2017

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार की इंसैंटीवेशन स्कीम फॉर ब्रिजिंग इरीगेशन गैप (आई.एस.बी.आई.जी.) लागू करने की प्रक्रिया शुरू करने के अतिरिक्त सूबे के भू-जल की समस्या से निपटने के लिए ग्राउंड वॉटर अथॉरिटी स्थापित करने की सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है।भू-जल की स्थिति का जायज़ा लेने और केंद्रीय स्कीम को लागू करने के लिए विचार -विमर्श करने हेतू बुलाई गई एक उच्च स्तरीय मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने पंजाब के 40 प्रतिशत हिस्से के तौर पर 3448 करोड़ रुपए के हिस्से की सहमति दे दी है। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 8658 करोड़ रुपए है। उन्होंने सूबे की सहमति संबंधित आधिकारियों को भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय को तुरंत भेजने के निर्देश दिए।मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास एम.पी. सिंह के नेतृत्व में चार सचिवों की एक कमेटी  बनाने के लिए स्वीकृति दे दी है जो आई.एस.बी.आई.जी. के लिए एक विस्तृत प्रोजेक्ट तैयार करेगी। इस कमेटी के शेष सदस्यों में प्रमुख सचिव सिंचाई, प्रमुख सचिव विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी, प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास एवं  पंचायत और प्रमुख सचिव वित्त शामिल हैं।मीटिंग के बाद एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस विषय से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ने अलग -अलग विभागों के तालमेल के द्वारा एक व्यापक नीति तैयार करने के भी आदेश जारी किये हैं।

केंद्रीय स्कीम संबंधी विस्तृत जानकारी देते हुए प्रवक्ता ने बताया कि ग़ैर विशेष सूबों के लिए इस में केंद्र का हिस्सा 60 प्रतिशत और सूबे का 40 प्रतिशत है परंतु अगर यह प्रोजेक्ट कारगुज़ारी मापदण्डों के साथ मेल खाता है तो केंद्रीय सहायता का हिस्सा 70 प्रतिशत भी हो सकता है। इन मापदण्डों में समय सिर प्रोजेक्ट को मुकम्मल करना, पानी के प्रयोग की कुशलता को अधिक से अधिक स्तर तक बढ़ाना और प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए सफल प्रबंधन शामिल हैं।इस स्कीम का उद्देश्य सिंचाई क्षमता रचना (आई.पी.सी.) और सिंचाई क्षमता प्रयोग (आई.पी.यू) के बीच के अंतर का खत्म करना है। यह देश का मुकम्मल जल स्रोत प्रोजेक्ट है। पंजाब में यह प्रोजेक्ट 21 जिलों में 12 नहरों के द्वारा 1249.257 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल को बढिय़ा सिंचाई सुविधाएं मुहैया करवाएगा। इस के साथ सूबे के 3.10 लाख किसान परिवारों को फ़ायदा होगा जिनको जल प्रयोग कुशलता में सुधार लाकर हर खेती क्षेत्रफल के लिए यकीनी जलापूर्ति मुहैया करवाई जायेगी। इसके इलावा यह सूबा सरकार पर बोझ को घटायेगा। ट्यूबवैलों के लिए इस्तेमाल की जाती बिजली में कमी आयेगी और इस के विपरीत  सूबे में खेती उत्पादन बढ़ेगा।मुख्यमंत्री ने सूबे में भू-जल की स्थिति पर गंभीर चिंता प्रकट की क्योंकि यहां धरती निचला पानी निकाल कर इस्तेमाल कि ये जाने की दर सबसे अधिक है और पंजाब में ही देश के सब से अधिक डार्क जोन हैं। गत् दो दशकों दौरान सूबे का समूचा सेम वाला क्षेत्र तबाह हो गया है। पंजाब में पानी का स्तर नीचे जाने की दर देश में सब से अधिक है। सूबे में भू-जल का स्तर औसतन 1.6 फुट वार्षिक नीचे जा रहा है। उपलब्ध आंकड़ों से यह बात सामने आई है कि साल 1970 -71 दौरान ट्यूबवैलों की जो संख्या दो लाख थी वह 2015-16 में अधिक कर 14.5 लाख हो गई है।

बैठक के दौरान भू-जल पर निगरानी रखने और नियंत्रण करने के लिए उठाये जाने वाले कदमों पर विचार -विमर्श किया गया। इसके साथ ही भू-जल के प्रयोग के संबंध में लोगों को अवगत् करवाने के लिए जागरूकता मुहिम शुरू की जायेगी।धान अधीन क्षेत्रफल बढऩे, फ़सली विभिन्नता को बढ़ावा देने में असफलता, ज्ञान की कमी और पानी बचाने की तकनीकें को प्रयोग में लाने की कमी, भू-जल का स्तर नीचे जाने के कुछ कारण हैं। गत् तीन दशकों दौरान बारिश में भी 30-40 प्रतिशत वार्षिक कमी आई है जिसके कारण भू-जल और नीचे चला गया है। घरेलू और औद्योगिक क्षेत्र में भी भू-जल की खपत बढ़ गई है।बैठक में उपस्थित अन्यों में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान सुनील जाखड़, वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल, सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत सिंह, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रमुख सचिव सुरेश कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास एम.पी.सिंह, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव तेजवीर सिंह, प्रमुख सचिव सिंचाई वी.के. सिंह, विशेष मुख्य सचिव मुख्यमंत्री गुरकीरत किरपाल सिंह, सचिव सिंचाई ए.एस. मिगलानी, चीफ़ इंजीनियर जल स्रोत के. एस तकशी और चीफ़ इंजीनियर नहरें विनोद चौधरी शामिल थे।