5 Dariya News

कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा देश के विभाजन संबंधी विश्व का पहला अजायब घर देश को समर्पित

ऐसा दुखांत फिर घटित होने से रोकने के लिए इतिहास से सबक सीखने का आह्वान

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अमृतसर 17-Aug-2017

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आज देश के विभाजन को मूर्तिमान करता विश्व का पहला अजायब घर देश को समर्पित करके उन लाखों लोगों की बलिदानों को सजदा किया जिन्होंने 1947 में देश के विभाजन में अपनी, अमूल्य जानें व घर गंवा  लिए थे। इस अवसर पर उन्होंने इतिहास से सबक सीखने का भी आह्वान किया ताकि दुनिया के किसी भी हिस्से में ऐसा दुखांत फिर न घटित हो सके। आज यहां विशेष यादगारी समारोह दौरान ‘दी आर्टस एंड कल्चरल हेरिटेज ट्रस्ट ’ के उद्यम के साथ बनाऐ अजायब घर की तख्ती से जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पर्दा हटाया तो इस मौके माहौल बहुत भावुक हो गया और इस तख्ती पर बंटवारा यादगारी दिवस के तौर पर 17 अगस्त अंकित था। ऐतिहासिक टाऊन हाल जहां यह अजायब घर स्थापित किया गया, में इस उद्घाटनी रस्म के बाद एक मिनट का मौन भी रखा गया। मुख्यमंत्री ने आज के इस मौके यह अजायब घर देश को समर्पित किया जो सूबा सरकार की हिस्सेदारी के द्वारा अस्तित्व में आया।भारतीय इतिहास के दुखदायक पलों और यादों का जि़क्र करते कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने संबोधन में मेघनद देसाई के प्रयासों की श्लाघा की जिन्होंने इस विलक्षण किस्म के अजायब घर में हमारे इतिहास के बहुत ही दुखदायी अध्याय को पुनर्जीवित कर दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अजायब घर और जालंधर में स्थित जंग -ए -आज़ादी यादगार एक ही जैसे उपराले हैं जो हमारी नवयुवा पीढिय़ों के  लिए अपने पृष्टभूमि को समझने और इससे सबक सीखने में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कोई भी मुल्क अपने इतिहास से सबक सीखे बिना आगे नहीं बढ़ सकता।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नई पीढ़ी के लिए विभाजन के दिन आंकड़ों तक सीमित हो कर रह गए जबकि जिन लोगों को इस दुखांत में से गुजऱना पड़ा, उन्होंने लोगों के अंदर इस समय की बहुत ही दुखदायक और कड़वी यादों को संजोया हुआ है। उन्होंने कहा कि यह म्युजिय़म नवयुवकों  को इतिहास में मुल्कों को बाँटने की सब से बड़ी घटनाओं में से एक हमारे देश के विभाजन  को देखने और तजुर्बा हासिल करने के लिए सहायक होगा। मुख्यमंत्री ने विभाजन से जुड़ी अपनी यादों को याद करते कहा कि वह उस समय नौजवान थे और एक रेल गाड़ी के द्वारा शिमला में स्थित अपने बोर्डिंग स्कूल से घर वापस आ रहे थे और जब उन्होंने डिब्बे का पर्दा हटाया तो एक स्टेशन पर लाशें पड़ीं देखीं। उन्होंने कहा कि यह याद आज भी उन के मन में गुदी हुई है।मुख्यमंत्री ने अपनी माता राजमाता महिंदर कौर जो हाल ही में चल बसे हैं, की तरफ से मुल्क के विभाजन के समय पर किये कार्यो को याद किया जिन्होंने शरणार्थी लड़कियों को उनके घरों तक पहुंचाने में मदद की थी। मुख्यमंत्री ने उन दिनों के साथ जुड़ी अपनी माता की याद को याद किया कि कैसे सरहद पार अपने नये घरों में ख़ुशी-ख़ुशी रह रही ज्यादातर लड़कियों को धक्के के साथ उनके घरों में वापस भेज दिया गया। वह अपने बच्चों व परिवारों को छोड़ कर नहीं थी जाना चाहतीं परंतु भारत और पाकिस्तान की सरकार दरमियान हुए समझौते मुताबिक उनको ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया।इसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अजायब घर का दौरा भी किया और उन्होंने इसको एक यादगारी तजुर्बा बताया जो उन के जीवन की कई यादों को दर्शाता है।

पंजाब सरकार ने इस अजायब घर के निर्माण के लिए मदद दी और 17 अगस्त को ‘बटवारा यादगारी दिवस ’ के तौर पर मनाने का ऐलान पहले ही किया हुआ है। भारत की आज़ादी के 70 वर्षो  बाद सैंकड़े नौजवानों को अपने जीवन में पहली बार इस बात का एहसास हुआ कि मुल्क के बंटवारे की हिजरत दौरान उनके बुजुर्गो को कितने दुख और कष्ट बर्दाश्त करने पड़े। जैसे ही इन नौजवानों ने दुखदायक इतिहास को मूर्तिमान करते दृश्योंं को देखा तो उन की आंखें नम होती देखीं जा सकतीं थीं।इससे पहले स्थानीय निकाय, पर्यटन, संस्कृतिक मामले, पुरातत्व और अजायब घर संबंधी मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने संबोधन करते इस म्युजिय़म को मानवीय संकल्प व पुन: उभरने और अमिट मानवी जज़बे का दौर बताया। उन्होंने कहा कि इस म्युजिय़म ने समय की धूल में खो रहे इतिहास को पुनर्जीवित किया है। उन्होंने कहा कि यह म्युजिय़म देश को समर्पित करके कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इतिहास सृजन किया  है।समारोह दौरान गुलज़ार की कविता का वृतांत पेश किया गया जिन्होंने अपनी नयी अनुवाद हुई किताब ‘फुटप्रिंटस आफ ज़ीरो लाईन ’ जारी की गई जो बंटवारे पर लिखी गई है। इस दौरान प्रसिद्ध माहिरों की विचार-चर्चा भी हुई जिन में उर्वशी बुटालिया और सुरजीत पात्र भी थे। कहानीवाला की तरफ से बटवारे पर लघु नाटक भी खेला गया और हशमत सुलताना बहनों की तरफ से सूफ़ी संगीत पेश किया गया।समागम को संबोधन करते इस म्युजिय़म के ट्रस्ट की मुखी किशवर देसाई ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार द्वारा इस विलक्षण अजायब घर को स्थापित करने में दिए सहयोग के लिए धन्यवाद किया। 

यह अजायब घर मुल्क के विभाजन के अवसर पर जीवित रह गये लोगों के जज़बे और उत्साह को समर्पित है। किशवर देसाई ने उन लोगों का भी धन्यवाद किया जिन के सहयोग और दान के बिना यह अजायब घर हकीकत नहीं था बन सकता।इश्तिहारबाज़ी गुरू सुहैल सेठ जिस के माता पिता भी हिजरत करके आए थे, ने अपने योगदान को एक शुक्रगुजार पुत्र द्वारा असली श्रद्धांजलि बताया। पदमश्री वी.एस. साहनी (ट्रस्ट के मैंबर) और थे फाउूंडेशन के प्रमुख ने इसको लोगों का म्युूजिय़म बताया जिनकों समर्पित समारोह संजीदा पल हैं। दरबार साहिब कंप्लैक्स नज़दीक कटरा आहलूवालीया स्थित लंबे समय से नजरअंदाज टाउन हाल में स्थापित किया म्युूजिय़म उर्दू लेखक साअदत हसन मंटो की कहानियों को प्रेरित करता है जो अमृतसर के थे और उनका घर गली वकीलों में था जो बंटवारे की सांप्रदायिक हिंसा में तबाह किये 40 प्रतिशत घरों में शामिल थे। इस यादगार में अलग -अलग लोगों की तरफ से 1947 के साथ दी गई संबंधी सामग्री और महत्वपूर्ण निशानियां रखी गई हैं। इनमें तस्वीरे, चित्र और वीडीयोज़ भी हैं। हाल के में मधुर संगीत और पृष्टभूमि में अमृता प्रीतम की तरफ से वारिस शाह को सम्बोधत उदासी भरी कविता को पेश किया गया। दीवार पर दर्शाया गया कि भारत में से दिसंबर, 1947 से जुलाई, 1948 तक अगवा की 9423 औरतें निर्यात की गई और भारत से पाकिस्तान भेजा गया। इसी तरह पाकिस्तान में से अगवा की 5510 औरतें मिलीं जो भारत भेजी गई।