5 Dariya News

वीरभद्र सिंह के आदेशों को ठेंगा, विकास को तरसता पालमपुर

5 Dariya News (मनोज रत्न )

पालमपुर 02-Aug-2017

वर्षों से राजनीती के पटल पर अपनी पहचान बनाने में अग्रणी रहने वाली चाय नगरी पालमपुर के  विधानसभा क्षेत्र में समस्याएं आज भी समाधान का इंतजार कर रही हैं. गत वर्षों में यहां पार्किंग, यातायात, कूड़ा निष्पादन जैसी समस्याएं पहले से भी ज्यादा गंभीर हो चुकी हैं. मल्टी स्टोरी पार्किंग का शिलान्यास मुख्यमंत्री के कर कमलों से हुआ था और इसे रहेजा ग्रुप द्वारा ट्रपल पी मोड पर बनाया जाना था. स्वयं मुख्यमंत्री महोदय ने उक्त काम्प्लेक्स को एक साल मे पूरा करने की घोषणा भी की थी। कॉम्पलेक्स का काम पूरा करना तो दूर उस काम पर एक ईंट तक नही लगी जिस से ये बात साफ हो जाती है कि पालमपुर में मुख्यमंत्री के आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है जिस काऱण आम जनता में आक्रोश है और वे हताश हो चुके हैं. मज़े की बात ये है कि कांग्रेस का कार्यकाल पूरा होने से 6 माह पहले ये जमीन रहेजा ग्रुप के नाम हुई। स्थानीय लोगो का कहना है कि जब काँग्रेस सत्ता मे आई थी और बड़े जोर-शोर से घोषणाये हुई थी कि अब पालमपुर को नगर निगम का दर्जा मिलेगा जिस मुद्दे को पालमपुर के मीडिया ने भी काफी हवा दी थी और पत्रकारों का एक दल इस मुद्दे को ले कर मुख्यमंत्री महोदय  से मिला था मगर् आज ये भी ठंडे बस्ते में है। 

इस मुद्दे के लिये भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने भी अपनी सहमति जताई थी और कहा था कि स्थानीय विधायक को नगर निगम बनाने के लिए अगर हमारी किसी मदद की जरूरत होगी तो हम करने को तैयार है मगर हैरानी की बात है कि स्थानीय विधायक इस मुद्दे पर बात तक न कर पाए। आज-कल पालंमपुर के साथ लगती पंचायत लोहना मे कूड़ा निष्पादन की समस्या वहां के वाशिंदों के गले की फांस बना हुआ है मगर यहां के स्थानीय विधायक को शायद इस समस्या का ज्ञान तक नही है क्योंकि इस पंचायत के प्रधान, पंच, बी डी सी मेंबर उपमण्डल अधिकारी को इस समस्या से निजात दिलाने हेतु ज्ञापन तक दे चुके है मगर हैरानी की बात है कि विधायक महोदय ने इस समस्या के निदान हेतु एक बार भी गाँव वालों से मीटिंग तक नही की। पालमपुर की समस्याएं यही नही खत्म होती यहां का जिस अस्पताल की 200 बिस्तर करने की घोषणा की जा चुकी थी महज 100 बिस्तरों तक ही सीमित है और यहां का अस्पताल रेफरल अस्पताल बन कर रह गया है क्योंकि सुविधाओं के अभाव के कारण रोगी को चरण टांडा रेफर कर दिया जाता है। करीव पांच वर्ष पहले चिकित्स्कों के लिए आवासीय परिसर भवन बनाने के लिए शिलान्यास किया गया था लेकिन वहां भी आज दिनतक एक भी ईंट नहीं लग पायी। स्थानीय लोगों में इन सब समस्याओं को लेकर चर्चा है कि कभी देश एवं प्रदेश की राजनीती में अपनी पहचान बनाने वाले पालमपुर का विकास के लिए यूँ तरसना दुर्भाग्यपूर्ण है और वे अब नए नेतृत्व से ही उम्मीद लगाए बैठे हैं.