5 Dariya News

सुरेश प्रभाकर प्रभु ने आज साइंस एक्‍सप्रेस के सिंधुदुर्ग चरण का उद्घाटन किया

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नई दिल्ली 17-Jul-2017

प्रतिष्ठित साइंस एक्सप्रेस प्रदर्शनी ट्रेन जो 17 फ़रवरी, 2017 से राष्ट्रव्यापी दौरे पर है। अपने नौवें चरण में आज 17 जुलाई 2017 को महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में पहुंची। ट्रेन के इस चरण का 'साइंस एक्सप्रेस क्‍लाइमेट एक्‍शन स्‍पेशल (एसईसीएएस)' के रूप में उल्‍लेख किया गया है जिसमें जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने आज दिल्‍ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साइंस एक्सप्रेस के सिंधुदुर्ग चरण का शुभारंभ किया। एसईसीएएस जलवायु परिवर्तन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इस प्रदर्शनी में जलवायु परिवर्तन के बारे में संदेश दिया गया है और इसने इस बारे में  बातचीत तथा चर्चा करने का अच्छा अवसर भी जुटाया है। यह प्रदर्शनी ट्रेन 18 जुलाई को रोहा रेलवे स्टेशन पर सार्वजनिक रूप से देखने के लिए उपलब्ध होगी। इसके बाद यह ट्रेन 19 से 22 जुलाई, 2017 तक मुंबई सीएसटी पर जनता के लिए उपलब्ध रहेगी और इसके बाद ट्रेन अपने यात्रा कार्यक्रम के अनुसार अगले गंतव्‍य स्‍थलों के लिए आगे बढ़ जाएगी। 

पृष्‍ठभूमि

साइंस एक्सप्रेस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है। यह एक अभिनव मोबाइल विज्ञान प्रदर्शनी है। इस ट्रेन में 16 एसी डिब्‍बे लगे हैं और यह भारत भर में अक्टूबर 2007 से भ्रमण कर रही है। इसने  देश के आठ भ्रमण कर लिए हैं और लगभग 1,53,000 किलोमीटर की यात्रा करके 495 स्थानों पर अपना प्रदर्शन किया है। अपने 1712 से भी अधिक प्रदर्शनी दिवसों के दौरान साइंस एक्सप्रेस ने 1.64 करोड़ से भी अधिक आगंतुकों से व्‍यापक प्रतिक्रिया प्राप्‍त की है। साइंस एक्सप्रेस सबसे लंबी, सबसे अधिक लंबे समय तक चलने वाली और सबसे अधिक देखी जाने वाली मोबाइल साइंस प्रदर्शनी बन गई है। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में इसकी बारह प्रविष्टियां दर्ज हैं।साइंस एक्सप्रेस ने एक से चार चरण में दुनियाभर से लाई गई विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अत्याधुनिक अनुसंधान का प्रदर्शन किया है। पांच से सातवां चरण जैवविविधता के विषय पर आधारित था जिसे जैव विविधता विशेष (एसईबीएस) का नाम दिया गया है। इसमें भारत की समृद्ध जैव विविधता और इसके संरक्षण उपायों का प्रदर्शन किया गया है। आठवां चरण 'साइंस एक्सप्रेस क्‍लाइमेट एक्‍शन स्‍पेशल (एसईसीएएस)' के रूप में है जिसमें जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौती पर प्रकाश डाला गया है। 

साइंस एक्सप्रेस के वर्तमान नौवें चरण का 17 फरवरी, 2017 को दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर रेल मंत्री मंत्री श्री सुरेश प्रभु, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री श्री हर्षवर्धन और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री स्‍वर्गीय श्री अनिल माधव दवे ने उद्घाटन किया था। एससीएसी का वर्तमान दौरा 17 फरवरी से 8 सितंबर 20 17 तक तय किया गया है जिसके दौरान यह 19000 किमी की यात्रा पूरी करके देश के 68 स्टेशनों पर प्रदर्शनी दिखायेगी। सईसीएएस ने जलवायु परिवर्तन तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस प्रदर्शनी द्वारा जलवायु परिवर्तन के बारे में संदेश दिया गया है और इसने बातचीत और चर्चा के लिए अच्छा अवसर जुटाया है। एसईसीएएस द्वितीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), पर्यावरण मंत्रालय, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, बायोटेक्नोलॉजी विभाग (डीबीटी), रेल मंत्रालय, भारतीय वन्‍य जीव संस्‍थान और विक्रम ए साराभाई कम्युनिटी साइंस सेंटर (वीएएससीएससी) की विशिष्‍ट सहयोगी पहल है। 

जलवायु परिवर्तन एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दा है, जिसके कई अल्पावधि और दीर्घकालिक प्रभाव हैं। मौसम के पैटर्न को बदलने से खाद्य उत्‍पादन और  समुद्र का स्‍तर बढ़ने की  चुनौती से खतरनाक बाढ़ के जोखिम बढ़ते हैं, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव न केवल वैश्विक और अप्रत्‍याशित स्‍तर के हैं बल्कि ये गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोगों को अधिक गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। हालांकि, जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों के बारे में बहुत कम सूझबूझ है।

एसईसीएएस में दशाई गई इस अत्याधुनिक प्रदर्शनी का उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों में यह जागरूकता पैदा करना है कि जलवायु परिवर्तन का किस प्रकार शमन और अनुकूलनता के जरिये सामना किया जा सकता है।पेरिस समझौता 4 नवम्बर, 2016 को लागू हुआ। इसका मुख्‍य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के खतरे के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया को मजबूत बनाना तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए देशों की क्षमता को मजबूत बनाना है। पेरिस समझौता (सीएमए 1) नवंबर 2016 माराकेच में संपन्‍न हुआ। 

इस सम्मेलन में सफलतापूर्वक दुनिया को यह दिखाया कि पेरिस समझौते का कार्यान्वयन चल रहा है और जलवायु परिवर्तन पर बहुपक्षीय सहयोग की रचनात्मक भावना भी कार्य कर रही है। साइंस एक्सप्रेस  एसईसीएएस  को पुन डिजाइन किया गया जिसका उद्देश्‍य जलवायु परिवर्तन के विज्ञान की समझ बढ़ाने, इसके प्रभावों का अनुमान लगाना और विभिन्न संभावित प्रतिक्रियाओं  के बारे में योगदान देना है। साइंस एक्सप्रेस के पिछले 3 चरणों को डीएसटी और एमओईएफसीसी की संयुक्त पहल के रूप में जैव विविधता विशेष के रूप में शुरू किया गया और इसमें भारत की असीमित जैव विविधता का प्रदर्शन किया गया। इस प्रकार जलवायु परिवर्तन के  विषय पर फोकस करने के लिए ऐसा करना तर्कसंगत था क्योंकि इसका न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के जैव विविधता पर भी असर होगा।