5 Dariya News

पूर्वोत्तर : डिजिटल चुनौतियों के बावजूद व्यापारी अपना रहे जीएसटी

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अगरतला/गुवाहाटी 08-Jul-2017

शुरुआती हिचकिचाहट और भ्रम के बावजूद पूर्वोत्तर के व्यापारियों ने अंतत: नई वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था को स्वीकार कर लिया है और अधिकारियों को उम्मीद है कि शुरुआती परेशानियों को शीघ्र ही सुलझा लिया जाएगा। द फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स ऑफ नार्थ इस्टर्न रीजन (एफआईएनईआर), द नार्थइस्ट चैप्टर ऑफ द फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की), द इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स, नार्थ इस्ट इनिसिएटिव और द त्रिपुरा चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (टीसीसीआई) ने जीएसटी का स्वागत किया है और सरकार से व्यापारियों को नई प्रणाली को समझने के लिए वक्त देने का आग्रह किया गया है। अगरतला के एक मध्यम स्तर के व्यापारी बिजन बानिक ने कहा, "पहले हम कर प्रबंधन का ज्यादातर काम मैनुअली करते थे। लेकिन अब हमें व्यक्तिगत बाधाओं और उपकरणों की कमी के बावजूद ऑनलाइन सिस्टम अपनाना होगा।"

द इंडियन चैंबर ऑफ कामर्स, नार्थ इस्ट इनिसिएटिव के अध्यक्ष महेश सहारिया ने बताया, "उद्योग के लिए तरसते उत्तरपूर्व के राज्य ज्यादातर उपभोक्ता राज्य हैं। इसलिए जीएसटी इस क्षेत्र के लिए फायदेमंद होगा।"उन्होंने आईएएनएस को बताया, "जीएसटी लागू करने के बाद क्षेत्र के व्यापारियों को इनपुट क्रेडिट मिलेगा, जो पहले यहां नहीं था। नए कर शासन को लागू करने के लिए कराधान अधिकारियों को व्यापारियों की मदद करनी चाहिए।"उत्तरपूर्व के राज्यों के उन सभी व्यापारियों को जिनका सालाना लेनदेन 10 लाख से ज्यादा है, उन्हें जीएसटी के अंतर्गत पंजीकरण कराना होगा, जबकि देश के बाकी हिस्सों में यह सीमा 20 लाख रुपये रखी गई है। 

इस क्षेत्र में 8 जीएसटी आयुक्तालय खोले गए हैं, जिनमें से दो असम में (गुवाहाटी और डिब्रूगढ़) और एक-एक शिलांग (मेघालय), इंफाल (मणिपुर), ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश), आइजॉल (मिजोरम), अगरतला (त्रिपुरा) और कोहिमा (नागालैंड) में है। केंद्रीय उत्पाद एवं सेवा कर के त्रिपुरा आयुक्तालय के सहायक आयुक्त संजय मजूमदार ने आईएएनएस को बताया, "जिन व्यापारियों का सालाना कारोबार 10 लाख रुपये से कम है, लेकिन वे अंतर्राज्यीय या अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करते हैं, तो उन्हें जीएसटी के अंतर्गत पंजीकरण कराना ही होगा।"सिलचर (दक्षिणी असम) के जीएसटी सहायक उपायुक्त जितेश जैन ने कहा कि शुरुआत में नई कर प्रणाली को अपनाने में मुश्किलें आई और पंजीकरण की चुनौतियां पैदा हुई, लेकिन वक्त बीतने के साथ जीएसटी आसानी से काम करने लगा है।