5 Dariya News

पंजाब सरकार की माइनिंग की दूसरी बोली में भी कोई सुधार नहीं - दिनेश चढ्डा

नजाइज माइनिंग माफिया को सीधे तौर पर उत्साहित करने की योजना है यह बोली

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चंडीगड़ 06-Jul-2017

बीते दिन पंजाब की मौजूदा कांग्रेस सरकार की तरफ से अपने समय की माइनिंग की दूसरी बोली की है, परन्तु पहली बोली की तरह यह दूसरी बोली भी सीधे तौर पर सूबे में नजाइज माइनिंग माफिया को काबिज करवाने की योजना है और सरकार ने पहली बोली में माफीये के हुए कब्जे से सबक ले कर दूसरे बोली के लिए कोई भी सुधार नहीं किया है।एक प्रैस नोट जारी करते आम आदमी पार्टी के नेता और आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट दिनेश चढ्डा ने बताया कि बीते दिन सरकार ने 43 खड्ढों की बोली की है जिनमें से कुल 29 लाख टन रेता -बजरी निकलना है। यह 29 लाख टन रेत बजरी सरकार ने 206 करोड़ रुपए में बेचा है। इस तरह सरकार ने 710 रुपए प्रति टन रेत बजरी बेचा है। जिस पर 20 रुपए प्रति टन डिस्ट्रीक मिनरल फांउडेशन फंड, 60 रुपए प्रति टन रोयलीटी और 6 रुपए प्रति टन एनवायरमैंट मैनेजमेंट फंड ठेकेदार ने अलग से अदा करना है। जबकि कच्चे माल से क्रैशर के द्वारा रेत बजरी तैयार करने का खर्च लगभग 125 रुपए प्रति टन आता है। इस तरह कुल मिला कर ठेकेदार को यह रेता बजरी 921 रुपए प्रति टन पड़ेगा। रेता बजरी ले कर जाने वाले एक टिपर में 30 टन मटीरियल आता है, इस तरह 30 टन वाला यह टिपर ठेकेदार को 27 हजार 630 रुपए में पड़ेगा जबकि टिपर का करैशरों से नजदीकी शहरों तक का किराया लगभग 10 -12 हजार रुपए है। इस तरह इस रेता बजरी के टिपर की कीमत लगभग 40 हजार रुपए बन जाती है। यह कीमत 29 लाख टन की औसतन कीमत के हिसाब से बनती है, जबकि कुछ खड्ढों से रेता बजरी के टिपर की कीमत बहुत ही हैरानीजनक बनती है। 

जिला पठानकोट की गजूजगीर खड्ढा जिस में 11 हजार टन मटीरियल है, इस की बोली प्रो -न्युूट्रिशियन फर्म ने 90846000 रुपए में ली है। इस तरह इस ठेकेदार को 60 रुपए प्रति टन रोयलीटी, 20 रुपए प्रति टन डिस्ट्रीक मिनरल फांउडेशन फंड, 6 रुपए प्रति टन एनवायरमेंट मैनेजमेंट फंड और 125 रुपए प्रति टन प्रोसेसिंग का खर्चा डाल कर प्रति टन रेता बजरी लगभग 8469 रुपए का पड़ेगा। मतलब ठेकेदार को खुद को रेता बजरी का टिपर ट्रांसर्पोट के खर्च डाल कर 264091 रुपए का पड़ेगा। इस तरह ही जिला अमृतसर साहिब की चाहरपुर खड्ढ की बोली रजीव भक्त के नाम पर 84151398 रुपए में हुई है। जिस में 44493 टन मटीरियल है इस तरह ठेकेदार को शहर तक पहुंच करके एक टिपर 73060 रुपए का पड़ेगा,जिला अमृतसर साहिब की 25896 टन मटीरियल वाली बरवाला खड्ढ की बोली 66977056 रुपए में हुई है, उपरोक्त खर्च डाल कर इस खड्ढ के ठेकेदार राजीव भक्त को एक टिपर 92500 रुपए का पड़ेगा। जिला फिरोजपुर की 20200 टन मटीरियल वाली गट्टा बादशाह खड्ढ की बोली 39512200 रुपए में हुई है। इस ठेकेदार को उपरोक्त सभी खर्च डाल कर एक टिपर रेता बजरी 75010 रुपए का पड़ेगा। जिला फिरोजपुर की 7400 टन वाली कामलवाला खड्ढ की बोली 36511400 रुपए में हुई है, इस तरह इस खड्ढ के ठेकेदार सत्या पाल शर्मा को एक टिपर रेता बजरी उपरोक्त सभी खर्च डाल कर 164349 रुपए में पड़ेगा। 

जिला जालंधर की 30000 टन मटीरियल वाली सलक्यिाणा खड्ढ की बोली जसवीर कुमार ने 71630000 रुपए में ली है। इस तरह इस ठेकेदार को उपरोक्त सभी खर्च डाल कर एक टिपर रेता बजरी 87940 रुपए में पड़ेगा। जिला पठानकोट की 18500 टन मटीरियल वाली अदालतगड़ खड्ढ अमित महाजन ने 91091000 रुपए में ली है। इस तरह इस ठेकेदार को उपरोक्त सभी खर्च डाल कर एक टिपर रेता बजरी 164020 रुपए में पड़ेगा। इससे यह साबित है कि इस बोली में रेता बजरी के एक टिपर की औसतन कीमत 40 हजार रुपए से ले कर सब से महंगी खड्ढ के रेता बजरी की कीमत 264000 रुपए तक है। जबकि इस रेट पर रेता बजरी बिकना संभव नहीं है। इस लिए अपने पैसे पूरे करने के लिए और लाभ कमाने के लिए ठेकेदारों की तरफ से हजार एकड़ों की नजाईज माइनिंग समेत पहाड़ों की कटाई, गैर वैज्ञानिक अति गहरी माइनिंग का रास्ता अपनाया जायेगा। सूबे में पहले ही नजाईज माइनिंग के कारण पानी का स्तर गहरा होता जा रहा है, पानी का बाहव बदल रहा और हरे -भरे पहाड़ खतरे में हैं और अब सूबा सरकार ने ऐसी बोली करके कुदरती आफतों को न्योता दिया है। इस लिए पंजाब सरकार को चाहिए कि इस लोक विरोधी और कुदरत विरोधी बोली को तुरंत रद्द करके लोग समर्थकी और कुदरत समर्थकी नई नीति बना कर रेता बजरी बेचे। नैशनल ग्रीन ट्रिब्युनल को इन आंकड़ों के अदार पर दखल दे कर इस बोली को रद्द करना चाहिए।