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गो-रक्षकों पर मोदी के शब्द बनावटी : विपक्ष

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नई दिल्ली 29-Jun-2017

विपक्षी दल के नेताओं ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गो-रक्षकों के खिलाफ की गई टिप्पणी की गंभीरता को लेकर सवाल खड़े किए हैं। विपक्षी नेताओं ने कहा कि उनकी पहले की चेतावनियों के बावजूद बहुत कम बदलाव आया है।मोदी गुरुवार को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि गौ-भक्ती के नाम पर हत्या को स्वीकार नहीं किया जा सकता और किसी को अपने हाथ में कानून लेने का अधिकार नहीं है।कांग्रेस के प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने आईएएनएस से कहा, "प्रधानमंत्री को खुद से पूछना चाहिए कि किसने इस देश में अराजकता का माहौल बनाया है। औपचारिकता के तौर पर आलोचना पर्याप्त नहीं है। प्रधानमंत्री को इसकी पुष्टि करनी चाहिए कि वह भारत के संस्थापक मूल्यों में विश्वास करते हैं।"महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि गांधी जी की आत्मा की साबरमती आश्रम में मौजूदगी का मोदी पर असर पड़ना चाहिए।गोपालकृष्ण गांधी ने आईएएनएस से कहा, "उन्होंने जो भी कुछ कहा वह पूरी तरह से सही है, लेकिन इसका जमीनी तौर पर मजबूत कार्रवाई के साथ पालन किया जाना चाहिए। सभी अपराधियों (नफरत फैलाने वालों) को पकड़ा जाना चाहिए। उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए और जनता का कानून व व्यवस्था में विश्वास बहाल किया जाना चाहिए।"

उन्होंने कहा कि राज्य गाय के नाम पर हत्या में शामिल रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि मोदी के बयान से बदलाव की शुरुआत होगी।जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता के. सी. त्यागी ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री के बयान में कोई तत्व नहीं दिखाई देता।त्यागी ने कहा, "मैं नहीं मानता कि प्रधानमंत्री की तथाकथित चेतावनी गो-रक्षकों के लिए कोई मायने रखती है। प्रधानमंत्री पहले भी गो-रक्षकों पर बोल चुके हैं, लेकिन इसका जमीनी हकीकत पर थोड़ा ही असर हुआ। वास्तव में वह हर बार इस तरह के सलाह गो-रक्षकों को देते हैं, इसके बावजूद गाय के नाम पर हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं।"राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि मोदी के शब्द खोखले हैं।झा ने आईएएनएस से कहा, "प्रधानमंत्री के शब्द खोखले प्रतीत होते हैं। उन्होंने देरी से रोहित वेमुला और उना में दलितों के उत्पीड़न पर इस तरह के बयान दिए हैं। क्या इस तरह की घटनाएं रुकीं। वास्तव में इस तरह के गो-रक्षक समूहों पर हकीकत में कोई कार्रवाई नहीं हुई। राष्ट्र को भीड़ द्वारा हत्या किए जाने पर तत्काल कानून बनाए जाने की जरूरत है।"पूरे देश में बुधवार को कई शहरों में 'नाट इन माई नेम' अभियान के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में हाल के दिनों में भीड़ द्वारा की गई हत्याओं के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन किया गया।