5 Dariya News

काटरेसैट, एनआईयूएसएटी और 29 विदेशी उपग्रह कक्षा में स्थापित

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श्रीहरिकोटा 23-Jun-2017

भारत ने एक बार फिर कई उपग्रहों को एक साथ अंतरिक्ष में छोड़ने की अपनी क्षमता प्रदर्शित की है। इस बार पृथ्वी अवलोकन उपग्रह काटरेसैट, नैनो उपग्रह एनआईयूएसएटी और 14 अन्य देशों के 29 उपग्रह शुक्रवार को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिए गए हैं। इसके साथ ही इसरो ने 200 से अधिक विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में छोड़ने का आंकड़ा पूरा कर लिया है। इसरो ने 1999 में विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में छोड़ने की शुरुआत की थी।पीएसएलवी के साथ भेजे गए उपग्रहों में से मुख्य उपग्रह काटरेसैट-2 श्रृंखला का पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है, जिसका वजन 712 किलोग्राम है। यह काटरेसैट श्रृंखला-2 के पूर्व के अन्य उपग्रहों के समान ही है।पीएसएलवी के साथ भेजे गए 30 छोटे उपग्रहों का कुल वजन 243 किलोग्राम है। इनमें 29 विदेशी उपग्रह 14 विभिन्न देशों -ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, ब्रिटेन, चिली, चेक गणराज्य, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, लातविया, लिथुआनिया, स्लोवाकिया और अमेरिका के हैं, तथा एक उपग्रह भारत का है।

पूरे प्रक्षेपण मिशन में करीब 23 मिनट का समय लगा।इसरो के अध्यक्ष ए.एस. किरण कुमार ने प्रक्षेपण के बाद कहा, "मिशन सफल रहा। सभी उपग्रह कक्षा में स्थापित हो गए हैं।"उन्होंने कहा कि शुक्रवार के मिशन के साथ कई सारी गतिविधियां जुड़ी हुई थीं, इसलिए किसी को केवल रॉकेट द्वारा छोड़े गए पेलोड पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीएसएलवी का अगला मिशन कक्षा में एक नौवहन उपग्रह को स्थापित करने का होगा, जो आईआरएनएसएस-1ए उपग्रह का स्थान लेगा, जिसकी तीन परमाणु घड़ियां खराब हो गई हैं।आगामी परियोजना के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने यह भी कहा कि इस साल दो संचार उपग्रह -जीसैट-17 और जीसैट-11- छोड़े जाएंगे। उन्होंने कहा कि विश्व में पीएसएलवी रॉकेट उपग्रहों को अंतरिक्ष में छोड़ने का एक अविश्वसनीय यान बनकर उभर रहा है और इसरो इसके अंदर विभिन्न क्षमताएं जोड़ने की कोशिश कर रहा है।इस माह की शुरुआत में जीसैट-19 संचार उपग्रह छोड़ा गया था।

उन्होंने कहा कि इस माह के अंत में एक और संचार उपग्रह छोड़ा जाएगा।कुमार ने कहा कि इसरो पृथ्वी अवलोकन, नौवहन व संचार उपग्रहों पर काम जारी रखेगा।इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, संगठन अर्ध-क्रायोजेनिक इंजन के विकास की दिशा में तेजी से काम कर रहा है, ताकि भारी उपग्रहों को छोड़ने में मदद मिल सके।इसरो उपग्रह केंद्र के निदेशक एम. अन्नादुरई ने कहा कि पीएसएलवी रॉकेट से छोड़े गए उपग्रह सही तरीके से काम कर रहे हैं।इसरो के अनुसार, काटरेसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह में उन्नत श्रेणी के कैमरे लगे हैं, जो शहरी व ग्रामीण नियोजन, तटीय भूमि के उपयोग, सड़क नेटवर्क की निगरानी आदि के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े उपलब्ध कराएंगे।काटरेसैट द्वारा भेजी जाने वाली तस्वीरों के सामरिक उपयोग के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि यह उपग्रह तस्वीरें उपलब्ध कराएगा और यह उपयोगकर्ता एंजेसियों की जरूरत के अनुसार मदद करेगा।

पीएसएलवी के साथ भेजे गए 30 छोटे उपग्रहों में भारत का एक उपग्रहण एनआईयूएसएटी भी है। 15 किलोग्राम वजनी यह उपग्रह तमिलनाडु की नूरल इस्लाम विश्वविद्यालय का है। यह उपग्रह कृषि फसल की निगरानी और आपदा प्रबंधन सहायता अनुप्रयोगों के लिए बहुआयामी तस्वीरें मुहैया कराएगा।सभी 31 उपग्रहों का कुल वजन 955 किलोग्राम है।44.4 मीटर लंबे और 320 टन वजनी पीएसएलवी रॉकेट ने सुबह 9.29 बजे इन उपग्रहों के साथ अंतरिक्ष के लिए प्रस्थान किया।पीएसएलवी रॉकेट में चार स्तरीय इंजन हैं, जो ठोस व तरल दोनों वैकल्पिक ईंधनों से संचालित होते हैं। करीब 16 मिनट की उड़ान के बाद पीएसएलवी ने 510 किलोमीटर की ऊंचाई पर काटरेसैट को अलग कर दिया। इसके बाद रॉकेट से एनआईयूएसएटी और अन्य 29 विदेशी उपग्रह अलग हुए।