5 Dariya News

गांधीजी के विचार जन-जन तक पहुंचाना जरूरी : नीतीश कुमार

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पटना (बिहार) 23-May-2017

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां मंगलवार को कहा कि आज देश और समाज में जिस तरह का माहौल बनता चला जा रहा है, वैसी स्थिति में गांधीजी के विचार को जन-जन तक पहुंचाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि गांधीजी की बातें आज भी प्रासंगिक हैं और उनके विचारों में ही समस्याओं का समाधान है। चंपारण सत्याग्रह के 100 साल के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में नीतीश ने कहा कि चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी समारोह का मुख्य उद्देश्य गांधीजी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि गांधीजी को सब मानते हैं, लेकिन गांधीजी के विचारों को अपनाने के लिए नजरिया सबके पास नहीं है। 

उन्होंने कहा, "हम बापू के विचारों को लेकर घर-घर दस्तक देंगे। गांधीजी के जीवन एवं उनके विचारों पर फिल्मों को प्रदर्शित किया जा रहा है। साथ ही गांधीरथ के माध्यम से प्रत्येक गांव तक गांधीजी पर आधारित फिल्मों का प्रदर्शन कराया जा रहा है।" मुख्यमंत्री ने आने वाले दिनों में बिहार के स्कूलों में गांधीजी की 50 कहानियों के संकलन को पढ़ाए जाने की चर्चा करते हुए कहा कि बिहार सरकार उसकी तैयारी में जुटी है और बहुत जल्द स्कूलों में गांधीजी के विचारों से जुड़ी 50 कहानियां स्कूलों में भिजवाई जाएंगी, जिसे पढ़कर बच्चे गांधीजी के विचारों से अवगत होंगे। उन्होंने इन कार्यक्रमों में युवाओं की भागीदारी पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि इन कार्यक्रमों में हमारी युवा पीढ़ी उपस्थित रही और युवाओं ने न केवल उन विचारों को सुना, बल्कि ऐसा प्रतीत हुआ कि युवा पीढ़ी की इसमें पूर्ण सहभागिता है। 

नीतीश ने कहा कि चंपारण सत्याग्रह के 100 वर्ष पूरे होने पर राज्यभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार देश की सत्ता का केंद्र रहा है, यहां राजनैतिक आंदोलन बहुत हुए हैं, लेकिन सामाजिक आंदोलन कम हुए हैं। अब सामाजिक क्षेत्र में परिवर्तन की जरूरत है।इस मौके पर महात्मा गांधी के परपोते और लेखक तुषार गांधी ने कहा, "गांधी मार्ग बिल्कुल आसान नहीं है, इसलिए ज्यादातर लोग आजकल गांधी की भक्ति कर रहे हैं, क्योंकि वह आसान है। गांधी के बताए मार्ग पर चलना कठिन है, इसलिए उस मार्ग पर चलने की ताकत बहुत कम लोगों में होती है।"उन्होंने कहा कि गांधी के मार्ग पर चलने के लिए शेर का जिगर चाहिए। काम करने के लिए बोलना नहीं पड़ता, काम स्वयं बोलता है।