5 Dariya News

माइनिंग की नई बोली लोग विरोधी और कुदरत हेतु विनाशकारी

बोली के सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही रेत-बजरी का ट्रक 40 हजार रुपए का मिलेगा- ऐडवोकेट चढ्डा

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चंडीगढ़ 21-May-2017

पिछले लम्बे समय से माइनिंग गुंडा टैकस माफिया के विरोध में और कुदरती स्रोतों को बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे आर.टी.आई. ऐकटिविस्ट और आप नेता एडवोकेट दिनेश चढ्डा ने पंजाब सरकार की तरफ से बीते दिन राज्य में 89 खढ्डों की माइनिंग की हुई बोली के आंकड़ों का हवाला देते हुए लोग विरोधी और कुदरती स्रोतों के लिए विनाशकारी बताते हुए पंजाब सरकार को इस पालिसी की ओर ध्यान देने व इस मामले में केंद्र के वातावरण मंत्रालय को भी दखल देने की अपील की है।चढ्डा ने पंजाब सरकार के खुद के आंकड़ों का हवाला देते बताया कि इस बोली के द्वारा 1.3 करोड़ टन मटीरियल पंजाब सरकार ने 1026 करोड़ में बेचा है। इस तरह  1 टन मटीरियल सरकार ने ठेकेदार को 789 रुपए में बेचा है। इसके इलावा पंजाब सरकार की शर्तों अनुसार ठेकेदार की तरफ से 60 रुपए प्रति टन रायलिटी, 6 रुपए प्रति टन वातावरण मैनेजमेंट फंड और 20 रुपए प्रति टन डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन फंड अदा करना जरूरी है। इस कच्चे माल को खड्ढों से करैशरों तक ला कर इससे बजरी बनाने तक लगभग 125 रुपए प्रति टन खर्च आएगा। इन आंकड़ों के मुताबिक बजरी की प्रति टन कीमत 789 + 60 + 6 + 20 + 125 = 1 रुपए हजार बन जाती है। रेता बजरी ट्रांसपोर्ट करने वाले टिप्पर में 30 टन मटीरियल आता है, इस तरह एक टिप्पर बजरी की कीमत 30 हजार रुपए बनती है, जबकि करैशरों से ले कर नजदीक के शहरों तक रेता, बजरी ट्रांसपोर्ट करने का इस टिप्पर का किराया कम से कम 10 हजार रुपए प्रति टिप्पर है। इस तरह इस बोली अनुसार ग्राहकों तक बजरी का टिप्पर 40 हजार रुपए में पहुंचेगा। दूसरी तरफ ठेकेदार का लाभ इससे अलग होगा। 

एडवोकेट चढ्डा ने बताया कि कम रेट और रेता बजरी बेचने के लिए और अपना लाभ कमाने के लिए इस पालिसी अनुसार ठेकदार की तरफ से अधिक से अधिक अंधाधुन्द नाजायज माइनिंग करवानी स्वाभाविक है, जिससे वह बोली हुए क्षेत्रफल के इलावा ओर फालतू क्षेत्रफल में से माइनिंग करवा कर अपने इस काम में से अधिक से अधिक लाभ कमाए, नहीं तो कानून अनसुार माइनिंग करके ठेकेदार 40 हजार रुपए प्रति ट्रक बजरी को अपने तरफ से पैसे डाल कर इस से कम रेट पर कैसे बेच सकेंगे। चढ्डा ने कहा कि इस पालिसी अनुसार जहां एक तरफ लोगों को रेता बजरी अति महंगा मिलेगा, वहीं साथ ही गैर वैज्ञानिक तरीके से नाजायज माइनिंग कर के कुदरती स्रोतों की तबाही होगी और माइनिंग क्षेत्रों के पास के निवासियों को गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे। एडवोकेट चढ्डा ने पंजाब के मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह, कैबिनेट मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को इन आंकड़ों का हवाला देते अपील की है कि इस बोली को रद्द करके नई लोग समर्थकी, कुदरत समर्थकी और मेहनतकश, इमानदार कारोबारियों के समर्थकी नई पालिसी बनाकर माइनिंग को सुचारू रूप से चलाया जाए। उन्होंने केंद्र के वातावरण विभाग को भी इस मामले में दखल अन्दाजी करने की अपील की है।