5 Dariya News

सरकार तो बदली पर पंजाब के किसानों की किस्मत नहीं बदली-भगवंत मान

‘आप’ ने कैप्टन सरकार को 30 मई तक की मौहलत देते, दी संघर्ष की चेतावनी

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चंडीगड़ 12-May-2017

पंजाब में आर्थिक तंगी व किसान और कर्जे के बोझ के कारण आत्म हत्याएं कर रहे किसानों और खेत मजदूरों के बारे में आम आदमी पार्टी ने कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार को घेरते हुए कहा है कि कांग्रेस ने किसानों के साथ किया चुनावी वायदा तुरंत पूरा करे नहीं तो फिर तीखे संघर्ष का सामना करने के लिए तैयार रहे। ‘आप’ ने किसानों के साथ-साथ खेत मजदूरों के कर्जे माफी का भी मुद्दा उठाया।आम आदमी पार्टी के पंजाब प्रधान और मैंबर पार्लियामेंट भगवंत मान ने शुक्रवार को मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि कैप्टन सरकार के 56 दिनों के कार्य काल दौरान पंजाब में 40 किसान आत्म हत्याएं कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी अफसोस जनक घटनाओं के लिए कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने कैप्टन अमरिन्दर सिंह को याद करवाया कि सरकार बनी को 2 माह हो गए हैं, परंतु किसानों के कर्जे माफी बारे कोई कदम नहीं उठाया गया। जबकिचुनाव मौके कांग्रेस की तरफ से दिवारों पर लिखवाए गए कर्जे माफी के वायदे अब किसानों को ठगा-ठगा महसूस करवाने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि सिर्फ सरकार बदली है पर किसानों की किस्मत नहीं बदली। भगवंत मान ने कहा कि बादल सरकार की तरफ से पंजाब के सिर पर चढ़ाए कर्जे का हवाला देकर कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार अब किसानों के साथ कर्ज माफी का वायदा पूरा करने से भाग नहीं सकती, क्योंकि जिस समय वायदे करके किसानों को भरमाया जा रहा था, उस समय भी पंजाब की वित्तीय हालत ऐसी ही थी और पंजाब के वित्तीय संकट के बारे में सबको पता था। भगवंत मान ने कैप्टन अमरिन्दर सिंह से कांग्रेस के वायदे मुताबिक किसानों के कर्जे पर लाइन मारने की तिथि का ऐलान करने की मांग की ताकि कर्जे के कारण निराशा के आलम से गुजर रहे किसानों को हौंसला मिल सके। मान ने कैप्टन अमरिदंर सिंह सरकार को 2 हफ्तों की मौहलत देते हुए कहा कि यदि कैप्टन सरकार ने आती 30 मई तक किसानों के कर्जे माफ नहीं किए तो आम आदमी पार्टी किसानों के हक में संघर्ष शुरु करेगी। इसके साथ ही मान ने कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार से कृषि पर निर्भर खेत मजदूरों के सिर चढ़े कर्जे बारे अपनी नीति स्पष्ट करने की मांग की। मान ने कहा कि खेत मजदूरों की वित्तीय हालत किसानों से भी बदतर है क्योंकि खेत मजदूर पूरी तरह किसानों पर ही निर्भर हैं।