5 Dariya News

उत्तर प्रदेश : फिर पाला बदल सकते हैं नरेश अग्रवाल

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लखनऊ 30-Apr-2017

उत्तर प्रदेश के हरदोई में एक पहचान बना चुके सांसद नरेश अग्रवाल इन दिनों योगी सरकार की तारीफ करते नहीं अघा रहे हैं। वह योगी शासन को 'राम राज्य' की संज्ञा देते नहीं अघाते। सियासी गलियारे में चर्चा तेज हो गई है कि नरेश फिर पाला बदल कर भाजपा का दामन थाम सकते हैं। राज्यसभा सदस्य नरेश कभी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तारीफ के पुल बांधते थे, लेकिन इन दिनों वह उन्हीं पर हमला बोल रहे है। नरेश अग्रवाल यूं तो पुराने कांग्रेसी हैं, लेकिन उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर लोक तांत्रिक कांग्रेस बना ली। इसी के जरिये वह कल्याण एवं मुलायम सरकार में मंत्री बने। यूपी में बसपा की जब पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तो उन्होंने पाला बदल कर बसपा का दामन थाम लिया। लेकिन बसपा के हाथों से सत्ता खिसकते ही वह फिर समाजवादी पार्टी में चले गए। अब उनके भाजपा में जाने का कयास लगाया जा रहा है।

सपा नेता नरेश हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर चुके हैं। उन्होंने योगी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि सपा सरकार में अधिकारी मंत्रियों की सुनते तक नहीं थे, जनता को बाहर से ही भगा देते थे। लेकिन योगी की प्रशासनिक व्यवस्था सबसे सही है।वह कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को अलग पहचान दिलाई है और सीएम योगी की इतने कम दिनों की सरकार में ही लग रहा है जैसे रामराज्य आ गया है। वह कहते हैं, "योगी के काम करने को देखकर वह बेहद उत्साहित हूं। उनकी अधिकारियों पर जो ग्रिप है, वो कहीं ज्यादा अच्छी है।"नरेश अग्रवाल कभी अखिलेश यादव की तारीफ करते नहीं अघाते थे। 

लेकिन आज वह सपा की कमान फिर मुलायम सिंह यादव को सौंपने की सलाह देने में गुरेज नहीं कर रहे हैं। वह यह भी बेबाकी से कहते हैं कि योगी सरकार जिस तरह से काम कर रही है, उस तरह अखिलेश यादव की सरकार काम नहीं कर पाई।ईवीएम पर उठ रहे सवाल को नकारते हुए नरेश अग्रवाल कहते हैं कि इन्हीं मशीनों से वह 2012 के चुनाव में यूपी जीते थे। बसपा मुखिया मायावती को भी इन्हीं ईवीएम से 2007 में सफलता मिल चुकी है। अखिलेश यादव को कुछ लोगों ने बहका दिया है, इसलिए वह भी ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं।नरेश शायद इस बात पर गौर नहीं कर रहे हैं कि नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते उनके मुख्य सचिव रहे अचल कुमार ज्योती को निर्वाचन आयोग में लाए जाने के बाद हुए चुनावों में ईवीएम को संदेह की नजर से देखा जाने लगा है। आयोग ईवीएम की जांच कराने के बजाय 80 लाख वीवीपैट मशीन खरीदने की बात कह रही है।