5 Dariya News

भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते का इच्छुक तुर्की : रेसेप तईप एर्दोगन

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नई दिल्ली 01-May-2017

भारत तथा तुर्की ने सोमवार को विभिन्न संस्थागत तंत्रों के माध्यम से द्विपक्षीय व्यापार तथा निवेश संबंधों को बढ़ावा देने पर सहमति जताई और तीन समझौते किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन के बीच यहां प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता के बाद भारत व तुर्की ने तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने ट्वीट किया, "भारत तथा तुर्की ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी), प्रशिक्षण तथा संस्कृति के क्षेत्र में तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए।"साल 2017-2020 के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया।भारत के फॉरेन सर्विस इंस्टीट्यूट (एफएसआई) तथा तुर्की के डिप्लोमेसी अकादमी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया।आईसीटी के क्षेत्र में सहयोग को लेकर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया।तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने भारत-तुर्की बिजनेस फोरम में कहा, "मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सहमत हूं कि हमें हमारे आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाना चाहिए और आज (सोमवार) हम इसपर और चर्चा करेंगे।" इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी भी मौजूद थे।उन्होंने कहा, "मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर चर्चा के लिए यह उपयुक्त अवसर होगा, जो हमारे संबंधों को और ऊंचाई प्रदान करेगा।"

इस बात का उल्लेख करते हुए कि कार्यक्रम के आयोजक भारतीय उद्योग चैंबर फिक्की ने तुर्की में एक संपर्क कार्यालय खोलने की मंजूरी देने का आग्रह किया है और तुर्की निर्यात कार्यालय को भारत में कार्यालय की शुरुआत करनी चाहिए, एर्दोगन ने कहा कि तुर्की को व्यापार संतुलन पर बेहद जोर देना होगा।एर्दोगन ने कहा, "संयुक्त व्यापार में संतुलन होना चाहिए। इसे हासिल करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।"भारत तथा तुर्की के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले साल 6.5 अरब डॉलर रहा, जिसमें भारत का निर्यात लगभग 5.8 अरब डॉलर, जबकि तुर्की द्वारा भारत को निर्यात मात्र 65.2 करोड़ डॉलर रहा।उन्होंने कहा, "यह तुर्की के लिए टिकाऊ नहीं है और पारस्परिक निवेश को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि व्यापार संतुलन हासिल हो।"कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि सामाजिक तथा आर्थिक बुनियादी ढांचा निर्माण के लिए भारत ने निवेश की व्यापक योजना बनाई है और ढांचागत इमारतों के निर्माण के लिए तुर्की की निर्माण कंपनियों को आमंत्रित किया है।मोदी ने कहा, "मूलभूत सहित सामाजिक व औद्योगिक बुनियादी ढांचा के साथ हमारी ढांचागत जरूरतें बेहद व्यापक हैं। हमारी इच्छा इसे मजबूत करने और इसे तेजी से अंजाम देने की है। इन कार्यो में तुर्की की कंपनियां आसानी से भागीदारी कर सकती हैं।"

उन्होंने दोनों देशों की पूरकता की ओर इशारा किया।मोदी ने कहा, "तुर्की के पास मजबूत विनिर्माण क्षेत्र है और भारत कम लागत वाला विनिर्माण केंद्र है। लागत के अलावा, हमारे पास कौशल युक्त तथा अर्ध कौशल युक्त कार्यबल हैं और मजबूत अनुसंधान एवं विकास क्षमताएं हैं।"उन्होंने कहा, "आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी सहयोग पर भारत-तुर्की की संयुक्त कमेटी बढ़िया काम कर रही है। इसकी अगली बैठक में कमेटी द्विपक्षीय व्यापार तथा निवेश को बढ़ावा देने को लेकर किए गए उपायों की समीक्षा हो सकती है।"एर्दोगन ने कहा, "यह बैठक व्यापार संबंधों के नए युग का सूत्रपात है।"इससे पहले, सोमवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन में एर्दोगन की अगवानी की और गार्ड ऑफ ऑनर के साथ उनका औपचारिक स्वागत किया गया।इसके बाद, एर्दोगन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की।विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने तुर्की के राष्ट्रपति से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की।बाद में मोदी तथा एर्दोगन ने सीआईआई, फिक्की तथा एसोचैम द्वारा आयोजित एक व्यापार सम्मेलन को संबोधित किया, जहां दोनों नेताओं ने भारत-तुर्की के व्यापार तथा आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने का आह्वान किया।राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सोमवार शाम एर्दोगन के सम्मान में रात्रिभोज की मेजबानी करेंगे।एर्दोगन दो दिवसीय भारत दौरे पर रविवार को यहां पहुंचे। उनके साथ एक कारोबारी प्रतिनिधिमंडल भी आया है, जिसमें तुर्की की 150 कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हैं।