5 Dariya News

एसवाईएल पर इनेलो हर कुर्बानी देने को तैयार है: अभय चौटाला

बिजली-पानी संकट का तुरंत समाधान करे सरकार: अभय चौटाला

5 Dariya News

बहादुरगढ़ ( झज्जर ) 01-May-2017

इनेलो की ओर से एसवाईएल के अधूरे निर्माण को जल्द पूरा किए जाने और प्रदेश में बिजली-पानी संकट का तुरंत समाधान किए जाने की मांग को लेकर विधानसभा क्षेत्र स्तर पर शुरू किए गए धरने व प्रदर्शनों के अंतर्गत आज झज्जर जिले के बहादुरगढ़ में नेता प्रतिपक्ष चौधरी अभय सिंह चौटाला के नेतृत्व में धरना दिया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। इनेलो कार्यकर्ताओं ने स्थानीय प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक ज्ञापन भेजकर एसवाईएल के अधूरे निर्माण को जल्द से जल्द पूरा करवाए जाने की मांग की गई। इनेलो नेताओं ने प्रशासन को बिजली-पानी संकट का फौरी समाधान किए जाने और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में 24 घण्टे बिजली सप्लाई सुनिश्चित किए जाने की मांग के साथ-साथ आगजनी से हुए फसलों को नुकसान की भरपाई के लिए प्रभावित किसानों को 25 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा भी दिए जाने की मांग करते हुए अलग से एक ज्ञापन भी सौंपा। धरने में नेता प्रतिपक्ष चौधरी अभय चौटाला के अलावा कर्मवीर राठी, संजय दलाल, धर्मवीर फौजी, नरेश जून, राजवीर करनाला, धमेंद्र गुलिया व प्रीतम सहित अनेक प्रमुख पार्टी नेता व कार्यकर्ता मौजूद थे।

धरने को सम्बोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष चौधरी अभय सिंह चौटाला ने कहा कि एसवाईएल हरियाणा की जीवनरेखा है और इसके निर्माण के लिए इनेलो बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने के लिए भी तैयार है और जब तक नहर का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो जाता इनेलो अपना आंदोलन जारी रखेगी। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हरियाणा अलग राज्य के रूप में अस्तिव में आने के बाद पंजाब पुनर्गठन कानून 1966 के अंतर्गत पानी के बंटवारे के लिए गठित की गई कमेटी में हरियाणा को उसके हिस्से का 3.78 मिलियन एकड़ फीट पानी देने की सिफारिश की थी लेकिन केंद्र सरकार ने 24 मार्च, 1976 को हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ पानी देने का निर्णय लिया। जननायक चौधरी देवीलाल के मुख्यमंत्रित्व काल में एसवाईएल का निर्माण कार्य शुरू हुआ और ज्यादातर काम उनके कार्यकाल में ही मुकम्मल हुआ। उसके बाद नहर का निर्माण कार्य ठप्प हो जाने पर चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली सरकार की जोरदार पैरवी से 2002 में सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा के पक्ष में फैसला देते हुए पंजाब सरकार को एक वर्ष के अंदर नहर का निर्माण पूरा करने का आदेश दिया और साथ ही केंद्र सरकार को भी आदेश दिया कि अगर पंजाब सरकार एक वर्ष में नहर पूरा नहीं करती तो केंद्र अपनी एजेंसियों के माध्यम से इस नहर के निर्माण को पूरा करवाए।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले पर पंजाब ने कई तकनीकी आपत्तियां उठाई और उन सबको खारिज करते हुए 4 जून, 2004 को सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार से अपनी किसी एजेंसी के माध्यम से नहर के अधूरे निर्माण को पूरा करवाने के आदेश दिए। इन आदेशों के बाद उस समय की पंजाब की कैप्टन अमरेंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने सभी नदी जल समझौते रद्द करने का विधानसभा से एक विधेयक पारित कर दिया। उस विधेयक की वैधानिकता जांचने के लिए राष्ट्रपति ने उसे सर्वोच्च न्यायालय के पास भेज दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने 10 नवम्बर, 2016 को पंजाब विस द्वारा पारित उस विधेयक को असंवैधानिक घोषित करते हुए आदेश जारी कर दिए। 28 नम्बर को हरियाणा का एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमण्डल महामहिम राष्ट्रपति से मिला और नहर का निर्माण जल्द से जल्द पूरा करवाने की मांग की। इसी बीच पंजाब ने अपने खिलाफ फैसला आ जाने के भय से विस में एक प्रस्ताव पारित करते हुए नहर के लिए अधिग्रहण की गई जमीन को किसानों को वापिस देने का निर्णय लिया और यह निर्णय भी संविधान के संघीय ढांचे पर फिर से प्रहार था। उन्होंने प्रधानमंत्री से सर्वोच्च न्यायालय का फैसला तुरंत लागू किए जाने और नहर के अधूरे निर्माण को पूरा करवाए जाने की मांग की।

इनेलो नेताओं ने हरियाणा में बिजली-पानी संकट को लेकर भी सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि सरकार की जनविरोधी नीतियों और बिजली की सप्लाई में की जा रही निरंतर कटौती के कारण आज भीषण गर्मी में प्रदेश के लोग गम्भीर संकट से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार दावा करती है कि उनके पास सरप्लस बिजली है और दूसरी तरफ बिजली निगम बारह घंटे के घोषित कट और उसके अलावा अनेक बार अघोषित कट लगाकर लोगों को परेशान कर रही है जिसके चलते लोगों का सब्र का बांध टूट गया है और लोग जगह-जगह बिजली पानी संकट को लेकर धरने-प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिजली व पानी संकट के कारण लोगों के साथ-साथ पशुधन भी बेहद परेशान है। इनेलो नेताओं ने ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में 24 घण्टे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग करते हुए लोगों के लिए पीने के पानी की पूरी व्यवस्था और पशुधन के लिए भी जोहड़ों में समुचित पानी की आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने की मांग की। इनेलो नेताओं ने कहा कि गेहूं की फसल पकने के बाद 200 से ज्यादा स्थानों पर आगजनी की घटनाएं हुई हैं जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में सरकार किसानों को 25 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा देने के साथ-साथ फायरब्रिगेड की गाडिय़ों के बिलों का भुगतान भी सरकार के अपने स्तर पर किए जाने की मांग की। इनेलो नेताओं ने स्थानीय प्रशासन को एसवाईएल व बिजली-पानी संकट को लेकर दो ज्ञापन भी सौंपे गए।