5 Dariya News

केंद्र जनजातीय कानूनों के खिलाफ नहीं : मंत्री पी. पी. चौधरी

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अगरतला 25-Apr-2017

केंद्रीय मंत्री पी. पी. चौधरी ने मंगलवार को कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जनजातीय कानूनों के खिलाफ नहीं है, बल्कि समान आचार संहिता के पक्ष में है। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी, कानून एवं न्याय राज्यमंत्री चौधरी ने कहा, "भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार जनजातियों की परंपरा या रीति रिवाजों से जुड़े कानूनों के खिलाफ नहीं है, बल्कि सभी के लिए समान आचार संहिता के पक्ष में है।"चौधरी ने यहां पत्रकारों से कहा, "एक संसदीय समिति ने जनजातियों के पारंपरिक कानूनों पर अपनी रपट सौंपी है। केंद्र सरकार को अभी इस रपट पर कोई फैसला लेना बाकी है।"भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब के साथ मौजूद केंद्रीय मंत्री चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार तीन तलाक के विवादित मुद्दे का समाधान निकालने के लिए काम कर रही है।

नागालैंड, मेघालय, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश सहित पूर्वोत्तर के राज्यों में जनजातियों के अपने-अपने पारंपरिक कानून प्रचलन में हैं।पूर्वोत्तर के राज्यों में जनजाति समुदाय और स्थानीय स्वायत्त संगठन इन पारंपरिक कानूनों के आधार पर ही अपने विवाद निपटाते हैं।यह पारंपरिक रीति रिवाज से संबंधित कानून ग्राम एवं जिला परिषदीय इकाइयों को दो जनजातीय पक्षों, समूहों या दो व्यक्तियों के बीच के अधिकांश विवादों के निपटारे का अधिकार प्रदान करते हैं।इन जिला एवं ग्राम परिषदों द्वारा लिए गए फैसलों के खिलाफ सुनवाई का अधिकार सिर्फ उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय को है।

इसी वर्ष फरवरी में तत्कालीन मुख्यमंत्री टी. आर. जेलियांग द्वारा नगर निगम चुनाव में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा करने के बाद नागालैंड में व्यापक हिंसा का दौर चला।विभिन्न नागा जनजातीय समूहों ने महिलाओं को आरक्षण दिए जाने का विरोध यह कहकर किया कि यह उनके पारंपरिक कानून और संविधान के अनुच्छेद 371-ए का उल्लंघन है। संविधान का अनुच्छेद 371-ए नागालैंड को विशेष राज्य का दर्जा देता है और इन स्थानीय कानूनों के संरक्षण की गारंटी देता है।