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जीएसटी पर सहमति सहकारी संघवाद का उदाहरण : नरेंद्र मोदी

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नई दिल्ली 23-Apr-2017

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों की इस बात के लिए सराहना की कि सभी ने वैचारिक और राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर जीएसटी व्यवस्था पर एक सहमति बनाई। उन्होंने इसे इतिहास में सहकारी संघवाद का एक महान उदाहरण बताया। नीति आयोग शासी परिषद की यहां तीसरी बैठक में अपने उद्घाटन भाषण में मोदी ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर सहमति भारतीय संघीय ढांचे की ताकत और संकल्प को दर्शाता है और एक देश की एक भावना, एक आकांक्षा, एक संकल्प को दर्शाता है।नीति आयोग की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा कि नए भारत का दृष्टिकोण सभी राज्यों और उनके मुख्यमंत्रियों के संयुक्त प्रयास के जरिए ही फलीभूत हो सकता है।नीति (नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रॉन्सफार्मिग इंडिया) आयोग एक 15 वर्षीय दृष्टिकोण, सात वर्षीय मध्यकालिक रणनीति, और तीन वर्षीय कार्य योजना पर काम कर रहा है, जिसे बैठक में पेश किया जाएगा। यह आजादी के बाद से मौजूद पंचवर्षीय योजना का स्थान लेगा।

मोदी ने कहा कि इस प्रयास को राज्यों के समर्थन की जरूरत है, और इससे उन्हें लाभ होगा।मोदी अपने संबोधन के दौरान राज्यों से पूंजीगत खर्च और अवसंरचना सृजन में तेजी लाने का आग्रह किया।प्रधानमंत्री ने राज्य विधानसभाओं और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने पर बहस और चर्चा जारी रखने का भी आह्वान किया।मोदी ने निजी क्षेत्र और नागरिक समाज से आग्रह किया कि वे राष्ट्रीय विकास के लिए सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करें।बजट पेश करने की तिथि में बदलाव पर मोदी ने कहा कि इससे वित्त वर्ष के प्रारंभ में ही समय पर धन सुलभ होगा।प्रधानमंत्री ने कहा, "इसके पहले योजनाओं के लिए आवंटित धन संसद द्वारा आमतौर पर मई तक मंजूर नहीं हो पाते थे, उसके बाद उनके बारे में राज्यों और मंत्रियों को सूचित किया जाता था। तबतक मानसून आ जाता था। 

इस तरह योजनाओं के लिए काम करने का सबसे अच्छा समय बर्बाद हो जाता था।"इस वर्ष से सरकार ने बजट पेश करने की तिथि एक महीने पहले पहली फरवरी कर दी।मोदी ने रंगराजन समिति की 2011 में आई सिफारिशों पर आधारित योजना और गैर योजना खर्च के बीच अंतर समाप्त करने का भी जिक्र किया।उन्होंने कहा, "खर्च के कई महत्वपूर्ण विषय गैर योजना में शामिल कर दिए गए और इस तरह उन्हें नजरअंदाज किया गया। इसके बाद यहां एक तरफ विकास और कल्याण खर्च के बीच अंतर करने पर जोर होगा, तो दूसरी तरफ प्रशासनिक खर्च पर।"प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नीति आयोग परिषद की बैठक में अधिकांश राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया।