5 Dariya News

थोक मूल्य सूचकांक मार्च में गिरकर 5.70 फीसदी

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नई दिल्ली 17-Apr-2017

थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की सालाना दर में गिरावट आई है और मार्च में यह 5.70 फीसदी रही, जबकि फरवरी में यह तीन सालों में सबसे तेज 6.55 फीसदी थी। आंकड़ों पर निराशाजनक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उद्योग जगत ने कहा है कि इससे आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) द्वारा प्रमुख ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद घटी है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2016 के मार्च में थोक मूल्य सूचकांक घटकर (-)0.45 फीसदी रही थी।समीक्षाधीन माह में खाद्य पदार्थो की कीमतें बढ़कर 3.12 फीसदी रही, जबकि 2016 के मार्च में यह 4.09 फीसदी थी।हालांकि मार्च में प्राथमिक वस्तुओं पर खर्च, जो थोक मूल्य सूचकांक के कुल वजन का 20.12 फीसदी है, 4.63 फीसदी बढ़ा, जबकि एक साल पहले समान माह में यह 2.97 फीसदी थी। 

मार्च में प्याज की थोक मुद्रास्फीति दर सालाना आधार पर (-) 10.78 फीसदी थी, जबकि आलू की (-)17.07 फीसदी रही। कुल मिलाकर, मार्च में सब्जियों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी हुई और यह 5.70 फीसदी पर रही, जबकि एक साल पहले की इसी महीने में यह (-) 2.03 फीसदी नकारात्मक स्तर पर थी। समीक्षाधीन माह में सालाना आधार पर गेहूं बढ़कर 4.65 फीसदी रहा, जबकि प्रोटीन आधारित खाद्य पदार्थ जैसे अंडे, मांस और मछली की मुद्रास्फीति दर घटकर 3.12 फीसदी रही। विनिर्मित उत्पादों की कीमतें, जो सूचकांक में लगभग 65 फीसदी हैं, मार्च में बढ़कर 2.99 फीसदी रही, जो पिछले साल मार्च में 0.13 फीसदी थी।विनिर्मित खाद्य उत्पादों की उप-श्रेणी में बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 6.96 फीसदी रही, जबकि एक साल पहले 5.58 फीसदी थी। 

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) या खुदरा मुद्रास्फीति में मार्च के दौरान माह-दर-माह आधार पर बढ़ोतरी हुई और यह 3.81 फीसदी बढ़ी, जबकि फरवरी में सीपीआई महंगाई दर 3.65 फीसदी थी।मंत्रालय ने इसके अलावा साल 2016 के डब्ल्यूपीआई के आंकड़ों को संशोधित किया है और इसे 5.53 फीसदी बताया है, जबकि पहले आरंभिक रिपोर्टों में इसे 5.25 फीसदी बताया गया था।सरकार ने खुदरा मुद्रास्फीति की दर अगले पांच सालों के लिए 4 फीसदी (2 फीसदी ऊपर-नीचे) रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस महीने की शुरुआत में आरबीआई ने ब्याज दरों की समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था और 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा था। वित्त वर्ष 2015-16 में खाद्य मुद्रास्फीति की औसत दर 4.9 फीसदी रही। 

उद्योग मंडल एसोचैम के अध्यक्ष संदीप जाजोदिया ने यहां एक बयान में कहा, "डब्ल्यूपीआई के 5.70 फीसदी रहने का असर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक भी पड़ेगा, जिससे आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती करने की संभावना और भी कम हो गई है। पहले आरबीआई ने मुद्रास्फीति को देखते हुए ब्याज दरों में कटौती के संकेत दिए थे, लेकिन अब ऐसा होने की उम्मीद नहीं है।"घरेलू रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के प्रमुख अर्थशाी अदिति नायर ने एक बयान में कहा, "हमें अप्रैल माह में गर्मी बढ़ने के साथ खाद्य मुद्रास्फीति और भी बढ़ने की उम्मीद है। वहीं, मानसून की गतिशीलता और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने का असर अगले कुछ महीनों में सामने आएगा। इसके कारण आरबीआई अभी नीतिगत दरों में बदलाव के लिए शायद लंबे समय तक इंतजार करेगी।"उद्योग संगठन फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा, "खाद्य मुद्रास्फीति थोड़ी बढ़ी है और मौसम में हो रहे बदलाव के मद्देनजर इसकी अधिक निगरानी की जरूरत होगी।"