5 Dariya News

शैमराक स्कूल मे दो दिवसीय फेकल्टी डिवेल्पमेंट प्रोग्राम का आयोजन

विश्व स्तर पर शिक्षा जगत में हुए नए बदलाव पर हुई चर्चा

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एस.ए.एस. नगर (मोहाली) 08-Apr-2017

शैमराक सीनियर सैकंडरी स्कूल सेक्टर 69 में दो दिवसीय फैकल्टी डिवेल्पमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया। इस दौरान दुनिया भर के विभिन्न देशों में शिक्षा जगत में आ रहे बदलावों बारे चर्चा की गई। इस दौरान विश्व स्तर पर मशहूर शिक्षाविद जानहावी मिलनकेरी और डोरोथी साएकफार्म ने अध्यापकों के साथ स्टेम प्रोग्राम संबंधी जानकारी शेयर की। जानहावी मिलनकेरी ने जानकारी देते हुए बताया कि स्टेम लर्निंग प्रोग्राम विश्व के 112 देशों के स्कूलों द्वारा सफलतापूर्वक अपनाया जा चुका है। स्टेम सेल लर्निंग साईंस, टैक्नोलाजी, इंजीनियरिंग और मैथ का मिला जूला रूप है। जिसमें छात्रों को सीखने में आसानी होती है। इस अवसर पर स्कूल में एक वर्कशाप चलाते हुए छात्रों ने इस मशहूर विधि को सीखा। उन्होंने आगे बताया कि स्टेम लर्निंग प्रोग्राम में कूडा-कबाड से गलाईडर जहाज, पनडुब्बी, हुवरक्राफ्ट, गुब्बारा कार, बायो बैटरी और पैराशूट सहित कई साईंस के चमतकारों का निर्माण किया जा सकता है। इसके साथ ही बच्चों के उम्र की सोच अनुसार इन्हे जोडा जाता है। उन्होंने आगे कहा कि छोटी उम्र में शिक्षा तमाम उम्र चलती है। इसलिए इस तकनीक से बच्चे खुद कुछ नया करना, मुकाबले की तैयारी होते हुए कुछ नया सीखने के साथ साथ रचनात्मक सोच वाले बनते हैं।

डोरोथी साएकफार्म ने जानकारी देते हुए बताया कि बच्चे के पहले 2000 दिन यानि पहले 6 वर्ष में जो दिमाग पूरी तरह विकसित हो जाता है वही तमाम उम्र उसके साथ चलता है। छोटी आयु बच्चे दुनिया को समझने के लिए अपना पूरा ध्यान और जोर लगा देते हैं। इसके साथ ही इस आयु में बच्चे हर चीज को समझने और जाननने की प्रबल इच्छा होती है। इसलिए पहले 6 वर्ष हर वर्ष बच्चे के लिए बेहद जरूरी होती है। उन्होंने पश्चिमी देशों और भारत के प्राईमरी शिक्षा बारे जानकारी देते हुए कहा कि क्योंकि 6 वर्ष तक के बच्चे का दिमाग सुचारू रूप में विकास होना जरूरी है इसलिए अमेरिका सहिम पश्चिमी समाज में किंडर गार्डनन की पढ़ाई की ओर अधिक ध्यान दिया जाता है। यही कारण है कि उन्हें देश में बच्चे के लिए प्री नर्सरी और के जी कक्षा की पढ़ाई बेहद अर्थ रखती है। इसके उल्ट भारत में खास करके उत्तरी भारत में आम तौर पर इन कक्षाओं की पढाई पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता जिसके कारण बच्चे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मुकाबलों में अपना सही मुकाम लेने से पिछड जाते हैं। इस अवसर पर उन्हें एक अच्छे माता पिता के गुर भी अभिभावकों के साथ शेयर किए।