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लोगों को धार्मिक चयन की आजादी होनी चाहिए : दलाई लामा

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गुवाहाटी 02-Apr-2017

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने धर्म परिवर्तन का विरोध करते हुए रविवार को यहां कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन अच्छा नहीं है, लेकिन लोगों को स्वेच्छा से अपना धर्म चुनने की आजादी होनी चाहिए। दलाई लामा ने जबरन धर्म परिवर्तन से संबंधित एक सवाल के जवाब में कहा, "आप किसी धर्म को स्वीकारते हैं या नहीं, यह खास व्यक्ति पर निर्भर करता है। धर्म चुनने के लिए किसी भी व्यक्ति को पूरी आजादी होनी चाहिए।"दलाई लामा गुवाहाटी में आईटीए सेंटर फॉर परफॉर्मिग आर्ट्स में थे, जहां एक विशाल जनसमूह के साथ उन्होंने बातचीत की।उन्होंने कहा, "मैं एक बौद्ध हूं, लेकिन मैंने पश्चिम में बौद्ध धर्म का कभी भी प्रचार नहीं किया। कभी-कभी धर्म बदलने से भी भ्रम की स्थिति पैदा होती है। इसलिए मैं जबरन धर्म परिवर्तन का समर्थन नहीं करता, लेकिन यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से अपना धर्म बदलना चाहता है कि तो उसे उसकी आजादी होनी चाहिए।"

दलाई लामा यहां चल रहे नमामि ब्रह्मपुत्र महोत्सव में हिस्सा लेने आए हुए हैं।उन्होंने असम और पूर्वोत्तर के अपने दौरे पर खुशी जाहिर की और उन्होंने उन दिनों को याद किया, जब मार्च 1959 में तिब्बती विद्रोह के बाद चीनी कार्रवाई के कारण वह तिब्बत से असम पहुंचे थे।दलाई लामा उस समय भावुक हो उठे, जब असम राइफल्स के अधिकारियों ने उनके समक्ष असम राइफल्स के उन पांच जवानों में से एक को पेश किया, जिन्होंने दलाई लामा को तिब्बत सीमा से अरुणाचल प्रदेश तक सुरक्षा प्रदान की थी।दलाई लामा ने कहा, "मैं इस बुजुर्ग से मिलकर बहुत खुश हूं, जिन्होंने मार्च 1959 में मुझे सुरक्षा प्रदान की थी। मुझे बहुत खुशी है। यह लगभग 58 साल पहले का वाकया है। आप अब सेवानिवृत्त हो चुके होंगे। आपके चेहरे को देखकर मुझे आज महसूस हो रहा है कि मैं भी बहुत बूढ़ा हो गया हूं।"उन्होंने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को शिक्षा की धर्मनिरपेक्ष नीति लागू करने का सुझाव दिया, जिसे धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार कुछ अमेरिकी विश्वविद्यालयों और विद्वानों की सलाह पर तैयार कर रही है।