5 Dariya News

रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने नई जल प्रबंधन नीति जारी की

‘विकल्‍प’ योजना वर्तमान में केवल ई-टिकटों के लिए ही उपलब्‍ध है

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नई दिल्ली 22-Mar-2017

रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने भारतीय रेलवे में नई जल प्रबंधन नीति जारी की और डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (वाराणसी), पेराम्बुर कैरेज वर्कशॉप (चेन्नई), लालागुडा कैरेज वर्कशॉप (हैदराबाद) को ग्रीनको प्रमाण पत्र प्रदान किए। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा विकसित किया गया प्रमाण पत्र अच्‍छे हरित तौर-तरीके अपनाने के लिए दिया जाता है। श्री सुरेश प्रभु ने अन्‍य क्षेत्रों में ‘विकल्‍प’ योजना के विस्‍तार का भी उद्घाटन किया। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन श्री ए.के. मित्‍तल, सदस्‍य (यातायात) श्री मोहम्‍मद जमशेद, सदस्‍य (इंजीनियरिंग) श्री ए के मित्‍तल, सदस्‍य (रोलिंग स्‍टॉक) श्री रविन्‍द्र गुप्‍ता, सदस्‍य (स्टाफ) श्री प्रदीप कुमार और रेलवे बोर्ड के अन्‍य सदस्‍य तथा वरिष्‍ठ अधिकारीगण भी इस अवसर पर उपस्‍थित थे।इस अवसर पर रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा कि विश्‍व जल दिवस को वर्ष में सिर्फ एक बार नहीं मनाया जाना चाहिए। केवल एक बार इसे मनाने का कोई औचित्‍य नहीं है, बल्‍कि इसके बजाय इस विश्‍व जल दिवस को और ज्‍यादा सार्थक बनाने के लिए प्रतिदिन ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। रेलवे में भूमि का विशाल क्षेत्र उसके क्षेत्राधिकार में है। अत: इसके परिणामस्‍वरूप बड़ी संख्‍या में जल क्षेत्र उसके क्षेत्राधिकार में आते हैं। इस जल नीति के तहत जल ऑडिट, जल क्षेत्रों की बहाली और जल की रिसाइक्‍लिंग सुनिश्‍चित की जाएगी। भारतीय रेलवे की जल नीति महज एक दिन की बात नहीं है, बल्‍कि इस बारे में हमारी प्रतिबद्धता सदा के लिए है। वृक्षारोपण के लिए लक्ष्‍य तय किया गया है। तीन वर्षों में 5 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे। इस साल के लिए 1.25 करोड़ पौधों का लक्ष्‍य रखा गया है। 

रेलवे बोर्ड में पर्यावरण निदेशालय स्‍थापित किया गया है। ऊर्जा बिल में बचत के लिए 41000 करोड़ रुपये का एक मिशन तय किया गया है। रेलवे पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध है। रेलवे इसे हासिल करने के लिए यूएनईपी के साथ मिलकर काम कर रही है।उन्‍होंने कहा कि रेलवे में सुधार सुनिश्‍चित किया जा रहा है और इसके लिए एक स्‍पष्‍ट खाका तैयार किया गया है। उन्‍होंने कहा कि हम सभी को कन्‍फर्म टिकट सुनिश्‍चित करने, यात्रियों की सुरक्षा, शून्‍य दुर्घटना, रेलगाड़ियों की गति बढ़ाने और देश के दूर-दराज क्षेत्रों में रेलवे की पहुंच सुनिश्‍चित करने के लिए प्रयासरत हैं। ‘विकल्‍प’ योजना से यात्रीगण काफी लाभान्‍वित होंगे। यह एक पारदर्शी योजना है, जिसमें यात्रियों को कोई अतिरिक्‍त किराया दिए बगैर अथवा किराये में अंतर को रिफंड किए बिना ही वैकल्‍पिक ट्रेनों में कन्‍फर्म आरक्षण सुलभ कराया जाएगा। इससे यात्रियों की समस्‍याएं काफी कम हो जाएंगी।भारतीय रेलवे ने अब एक जल प्रबंधन नीति को अंतिम रूप दिया है, जो जल के उपयोग, रिसाइक्‍लिंग, संरक्षण और भूजल के पुनर्भरण के सभी पहलुओं को कवर करती है। यह एक प्रगतिशील एवं रचनात्‍मक नीति है, जिसके तहत फील्‍ड यूनिटों को जल की रिसाइक्‍लिंग एवं बचत करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसका उद्देश्‍य जल रिसाइक्‍लिंग संयंत्रों, जल हार्वेस्‍टिंग संयंत्रों, सीवेज प्रशोधन संयंत्रों और रेलवे की भूमि पर अपशिष्‍ट प्रशोधन संयंत्रों की स्‍थापना करके जल उपयोग की दक्षता में बेहतरी सुनिश्‍चित करना है।  

रेलवे वर्कशॉप को ग्रीनको प्रमाण पत्र

सीआईआई द्वारा विकसित की गई ग्रीनको रेटिंग प्रणाली दुनिया में अपनी तरह की पहली रूपरेखा (फ्रेमवर्क) है, जिसका उद्देश्‍य भारतीय उद्योग जगत को हरित तौर-तरीके अपनाने के लिए प्रेरित करना है।

वैकल्‍पिक ट्रेन सुविधा योजना (विकल्‍प)      

वैकल्‍पिक ट्रेन सुविधा योजना (एटीएएस) की परिकल्‍पना के साथ-साथ इसका शुभारंभ नवंबर, 2015 में ‘विकल्‍प’ नाम के तहत किया गया था। इसके तहत प्रतीक्षा सूची वाले यात्रियों को एक वैकल्‍पिक सुविधा दी गई जिसके तहत वे समान रूट पर विशिष्‍ट समयांतर पर चलने वाली किसी अन्‍य ट्रेन में कन्‍फर्म टिकट पा सकते हैं। आरंभ में यह योजना दिल्‍ली-जम्‍मू और दिल्‍ली-लखनऊ रूटों के लिए लागू की गई, जिसके तहत केवल इंटरनेट के जरिए ई-टिकट की बुकिंग करने वाले यात्रियों को ही मेल/एक्‍सप्रेस/सुपरफास्‍ट ट्रेनों में स्‍थानांतरित करने की सुविधा दी गई। ‘विकल्‍प’ अपनाने वाले प्रतीक्षा सूची के यात्रियों को चार्ट बन जाने के बाद पीएनआर स्‍टैटस चेक करना चाहिए। वैकल्‍पिक सुविधा पाने वाला यात्री अपने मूल टिकट के आधार पर ही वैकल्‍पिक ट्रेन में सफर कर सकता है। मूल ट्रेन के प्रतीक्षा सूची वाले यात्रियों को अगर वैकल्‍पिक सुविधा दे दी जाती है तो उन्‍हें मूल ट्रेन से सफर करने की अनुमति नहीं होगी। यदि वे मूल ट्रेन से ही सफर करते पाए गए तो उन्‍हें बेटिकट मान लिया जाएगा और उसी के अनुसार उनसे चार्ज वसूला जाएगा। कन्फर्म वैकल्‍पिक सुविधा मिल जाने पर यात्री के रजिस्‍टर्ड मोबाइल फोन नंबर पर एसएमएस अलर्ट भी आएगा। 

एटीएएस को अपनाने पर वैकल्‍पिक ट्रेन सुविधा मिल जाने के बाद अगर कोई यात्री अपने टिकट को रद्द कराता है तो उसे कन्‍फर्म यात्री माना जाएगा और उस पर टिकट निरस्‍तीकरण के नियम लागू होंगे। जब किसी एटीएएस यात्री को वैकल्‍पिक सुविधा दे दी जाएगी तो उसके बाद अपनी यात्रा में बदलाव करने की इजाजत उसे नहीं होगी। यदि आवश्‍यक हुआ तो यात्री को अपना टिकट रद्द कराना होगा और संशोधित यात्रा के लिए नया टिकट लेना होगा। यदि किसी यात्री को वैकल्‍पिक ट्रेन सुविधा मुहैया करा दी जाती है और उसके बावजूद वह वैकल्‍पिक ट्रेन से सफर नहीं कर पाता है, तो वह टीडीआर अनुरोध दाखिल करके रिफंड का दावा कर सकता है।इस योजना की समीक्षा की गई और अप्रैल, 2016 में पांच और मार्गों पर इसका विस्‍तार किया गया जिनमें दिल्‍ली-हावड़ा, दिल्‍ली-मुंबई, दिल्‍ली-चेन्‍नई, दिल्‍ली–बेंगलुरू और दिल्‍ली–सिकंदराबाद रूट शामिल हैं।1 अप्रैल, 2017 से विकल्‍प/एटीएएस योजना का और विस्‍तार किया जा रहा है, जिसके तहत किसी ट्रेन के प्रतीक्षा सूची वाले यात्रियों से किराये में अंतर को वसूले अथवा रिफंड किए बगैर ही सभी श्रेणियों की ट्रेनों में स्‍थानांतरित किया जा सकेगा। अत: इस योजना को अपनाने पर किसी सामान्‍य मेल/एक्‍सप्रेस ट्रेन में सफर के लिए टिकट बुक करने वाले यात्री को किसी वैकल्‍पिक मेल/एक्‍सप्रेस, राजधानी, हमसफर, दुरंतो, शताब्‍दी, विशेष ट्रेन अथवा सुविधा ट्रेन में समान श्रेणी में स्‍थानांतरित किया जा सकेगा।इस सुविधा से सभी रेलगाड़ियों में बर्थ का अधिकतम उपयोग होने, अपेक्षाकृत ज्‍यादा यात्रियों को ढोए जाने और प्रतीक्षा सूची वाले टिकटों के रिफंड में कमी होने की आशा है, जिससे रेलवे की आमदनी में बढ़ोतरी होगी। विस्‍तारित विकल्‍प योजना आरंभ में केवल ई-टिकटों पर ही लागू होगी, लेकिन बाद में इसका विस्‍तार करके इसे पीआरएस टिकटों पर भी लागू किया जाएगा।