5 Dariya News

सर्वोच्च न्यायालय ने विमुद्रीकृत नोटों पर सरकार से सवाल किया

5 Dariya News

नई दिल्ली 21-Mar-2017

सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को सरकार से पूछा कि उसने लोगों को नोटबंदी के बाद अमान्य हुए अपने पुराने नोट 31 दिसंबर के बाद जमा करने का कानूनी विकल्प प्रदान क्यों नहीं किया। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने सरकार से पूछा कि जो लोग 31 दिसंबर तक अपने पुराने नोट जमा नहीं करा पाए, उनके लिए ऐसी व्यवस्था का प्रावधान क्यों नहीं किया गया। अदालत ने सरकार को इस संबंध में शपथपत्र दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।अदालत ने सवाल किया, "आपने (कानून के तहत) एक और खिड़की खोलने का विकल्प क्यों नहीं दिया। आपके पास 20 कारण हो सकते हैं।"खंडपीठ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 8 नवंबर को दिए गए भाषण का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि जो लोग 30 दिसंबर पर अपने पुराने नोट बाजिब कारणों के कारण जमा नहीं करा पाएंगे, उन्हें 31 मार्च तक मौका दिया जाएगा।

अदालत ने यह सवाल तब पूछा जब महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने कहा कि संसद ने सरकार को विकल्प दिया था, लेकिन सरकार ने उसे नहीं अपनाने का फैसला किया, क्योंकि उसे ऐसा करना उचित नहीं लगा।महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा, "मैं (सरकार) नहीं समझता कि इस विकल्प का इस्तेमाल करना उचित रहेगा।"अदालत ने केंद्र सरकार को शपथपत्र दायर करने के लिए कहा। अदालत ने अटॉर्नी जनरल से कहा, "भले ही संसद ने आपको कुछ श्रेणियों के लोगों के संबंध में खिड़की (विकल्प) का प्रयोग करने की स्वतंत्रता दी, लेकिन आपने ऐसा नहीं किया।"अदालत ने अटार्नी जनरल से यह पूछा कि सरकार ने पुराने नोट जमा कराने की खिड़कियों को मनमाने ढंग से क्यों बंद किया। इस पर, अटॉर्नी जनरल रोहतगी ने कहा कि कानून पारित करने के लिए लोगों को किसी प्रकार का नोटिस देने की कोई जरूरत नहीं है।