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ऑल इण्डिया फैडरेशन ऑफ सेल्फ फाईनेंस्ड कॉलेजिस ने सरकार से देश के छोटे कॉलेजिस की ओर ध्यान देने की गुहार लगाई

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नई दिल्ली 20-Mar-2017

भारत के हजारों तकनीकी संस्थाओं के सामने आ रही मुश्किलों को उजागर करने के लिए ऑल इण्डिया फैडरेशन ऑफ सैल्फ फाईनेंसिंग टैक्नीकल इंस्टीच्यूशन (एआईएफएसएफटीआई) की दूसरी एग्जीक्यूटिव मीटिंग आयोजित हुई। प्रेजिडेंट, डॉ अंशु कटारिया और चीफ पैटर्न, श्री आर एस मणीरत्तनम ने मीटिंग को सम्बोधित किया और केन्द्र सरकार से भारत के मरते हुए छोटे सैल्फ फाईनेंसिंग टैकनीकल इंस्टीच्यूशन को बचाने की गुहार लगाई।श्री आर एस मणीरत्नम ने अध्यापक-छात्र अनुपात पर चर्चा करते हुए कहा कि काव कमेटी ने 1:25 फैकल्टी रेशो की सिफारिश की है, जबकि एआईसीटीई का निर्धारित अनुपात 1:15 है। मणीरत्नत ने एचआरडी से विनती की कि काव कमेटी की विनती पर विचार करे और अध्यापक-छात्र अनुपात 1:25 फिक्स करें।श्री के वी के राव, जनरल सेकरेटरी ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि सभी इंस्टीच्यूशन के लिए एक समान स्त्तर होना चाहिए जिसमें प्राईवेट युनिवॢसटीस, डीमड युनिवॢसटीस, सैल्फ फाईनेंस्ड कॉलेजिस आदि शामिल है। उन्होने कहा कि जिस तरह एआईसीटीई, इण्डियन नॢसंग काउंसिल (आईएनसी); डेंटल काउंसिल ऑफ इण्डिया (डीसीआई); मैडिकल काउंसिल ऑफ इण्डिया (एमसीआई); सेन्ट्रल काउंसिल ऑफ इण्डियन मैडीसीन (सीसीआईएम) आदि प्राईवेट कॉलेजिस की इंटेक कैपस्टी, एडमिशन प्रोसेस, एडमीनीस्टरेशन प्रोसेस, एलिजीबिलटी प्रोसेस, इग्जामीनेशन प्रोसेस, स्लैबी, फी स्ट्रकचर को रैगुलेट करती है, उसी तरह प्राईवेट युनिवॢसटीस और डीमड युनिवॢसटीस को भी एआईसीटीई और स्टेट रेगुलेटरी बॉडी की परिधि में होना चाहिए।

राव ने आगे कहा कि 90' से ज्यादा तकनीकी शिक्षा प्राईवेट सेक्टर द्वारा ऑफर की जा रही है परन्तु कई कारणों से पिछले 5 वर्षो से यह सेक्टर भारी वित्तिय संकट से गुजर रहा है। उन्होने यह भी कहा कि एक तरफ तो प्राईवेट युनिवॢसटीस की इंटेक कैपस्टी पर कोई ऊपरी सीमा नही है जबकि दूसरी तरफ टैक्नीकल कॉलेजिस पूरी तरह से ऑल इण्डिया काउंसिल फॉर टैकनीकल एजुकेशन (एआईसीटीई), नई दिल्ली द्वारा रैगुलेटिड है।

डॉ अंशु कटारिया, प्रेजिडेंट ने कहा कि बहुत सी संस्थाओं ने इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए भारी कर्ज उधार लिए है ताकि वह एआईसीटीई, नई दिल्ली के रिकॉर्ड को पूरा कर सके। परन्तु बैंक हमेशा इस सेक्टर को सामान्य वाणिज्यिक क्षेत्र के रूप में ट्रिट करते है और सेल्फ फाईनेंस्ड कॉलेजिस और विद्याॢथयों पर उच्च ब्याज की दर लगाते है। कटारिया ने माँग की कि एजुकेशन सेक्टर को प्राथमिक सेक्टर के रूप में ट्रिट किया जाना चाहिए और कॉलेजिस को कम ब्याज दरों पर ऋण देना चाहिए और विद्याॢथयों को मुत एजुकेशन लोन दिया जाना चाहिए।कटारिया ने आगे कहा कि प्रत्येक राज्य में विविध पाठ्यक्रम और शुल्क संरचना को देखते हुए एसोसिएशन सरकार को गुहार लगाएगी कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ऑफ इण्डिया द्वारा नियुक्त दि कृष्णा कमेटी की सिफारिश पर क्वालिटी एजुकेशन प्रदान करने के लिए एक समान पाठ्यक्रम और फी स्ट्रक्चर लागू किया जाए।यह उल्लेखनीय है कि फैडरेशन इन मुद्दों को लेकर एचआरडी मिनिस्टर, श्री प्रकाश जावेडकर और युनियन मिनिस्टर, श्री एम वेंकेश नायडू से मिल चुकी है और जल्दी ही एआईसीटीई के चेयरमैन, प्रोफैसर अनिल डी सहस्त्रबुधे से भी मिलेगी।श्री सरिनी भुपलम (तेलंगाना), श्री पाँडूरंगा शैट्टी (कर्नाटका), श्री पी सेलवराज (तमिलनाडू), श्री ललित अग्रवाल (दिल्ली), श्री के वी के राव (आंध्र प्रदेश), श्री टी डी ईसावरा मूॢत (तमिलनाडू), श्री के जी मधु (केरल), श्री राजीव चन्द (महाराष्ट्र), श्री श्रीधर सिंह (राजस्थान), श्री वी के वर्मा (मध्य प्रदेश), श्री श्रीधर (आंध्र प्रदेश) आदि ने भी इस मीटिंग में भाग लिया।