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विश्वशांति के लिए रंगभेद से दूरी जरूरी : दलाई लामा

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देवास (मध्यप्रदेश) 19-Mar-2017

बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने विश्व में सुख, समृद्धि और शांति के लिए जाति-धर्म और रंगभेद से दूर रहने की जरूरत बताई है। मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए चल रही 'नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा' में हिस्सा लेने देवास जिले के तुरनाल पहुंचे दलाई लामा ने रविवार को कहा कि आज विश्व को भौतिकता की नहीं प्रेम, करुणा एवं मैत्री की शिक्षा दिया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा, "भौतिक ज्ञान की नहीं, बल्कि भावनात्मक ज्ञान की आवश्यकता है, और समूचे विश्व को यह शिक्षा, यह ज्ञान केवल भारत ही प्रदान कर सकता है। भारत विश्व को आधुनिकता के ज्ञान के साथ आध्यात्मिकता का ज्ञान भी दे सकता है।"उन्होंने आगे कहा, "विश्व में सुख, समृद्धि एवं शांति के लिए जाति, धर्म के भेद, रंगभेद अदि को दूर करना होगा। इसके लिए आवश्यक है कि हम सब अपनी पारस्परिक एकता को समझें। विश्व के समूचे सात अरब लोग एक हैं। मैं भी उन सात करोड़ लोगों में से एक हूं। हमें स्वार्थ की सोच को छोड़ना होगा और एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सद्भाव की भावना रखनी होगी।

"धर्मगुरु ने कहा, "पर्यावरण संरक्षण, नदी संरक्षण के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा नर्मदा सेवा यात्रा के रूप में किए जा रहे प्रयास अत्यंत सराहनीय है। हमें मानव मात्र की तरक्की एवं उन्नति के लिए लगातार प्रयास करने होंगे। कड़ी मेहनत करनी होगी। केवल बोलने से यह सब संभव नहीं है। हमें अपने पर्यावरण को पूर्ण रूप से स्वच्छ एवं पानी को निर्मल करना होगा।"दलाई लामा ने कहा, "वृक्ष, पानी, हवा आदि के रूप में हमारे पूर्वजों ने जो धरोहर हमें दी हैं, उसे हमें बचाना होगा। मैं स्वयं जल संरक्षण एवं पर्यावरण की स्वच्छता के लिए निरंतर प्रयास करता हूं। पानी बचाने के लिए मैं कभी बाथटब का इस्तेमाल नहीं करता, बल्कि शावर से ही नहाता हूं।"दलाई लामा ने आगे कहा कि भारत की अधिकांश जनता ग्रामों में निवास करती है। इसलिए यहां ग्रामीण क्षेत्रों का विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है। जो सुविधाएं शहरों को मिलती हैं, वे गांव में भी होना चाहिए। तकनीकी विकास जरूरी है, लेकिन इससे भी ज्यादा आवश्यक है कि हर व्यक्ति को भोजन, पानी, स्वच्छ हवा मिले। 

उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री ने गांव के विकास की बात कही है, मैं उनकी सराहना करता हूं। गांव में भी शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय, मनोरंजन के लिए सिनेमा वगैरह होने चाहिए। वहां अच्छे अस्पताल भी होने चाहिए।"दलाई लामा ने कहा कि विकास में महिलाओं की अधिक सक्रिय भूमिका होनी चाहिए। पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक संवेदनशील होती हैं। दुनिया को बेहतर बनाने के लिए महिलाओं की उन्नति पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।दलाई लामा ने अपना वक्तव्य अंग्रेजी में दिया, मगर 'अहिंसा' शब्द उन्होंने हिंदी में कहा और उसका विशेष महत्व बताया। उन्होंने बताया कि इसी से विश्व में सद्भावना, प्रेम एवं शांति स्थापित होगी। उन्होंने कहा कि भारत ही विश्व में एकमात्र ऐसा राष्ट्र है, जहां विभिन्न धर्मो के अनुयायी एक साथ, आपसी प्रेम व सद्भावना एवं भाईचारे के साथ रहते हैं। यह इस देश की विशिष्टता है। भारत ही ऐसा देश है जो भौतिक प्रगति के साथ अंतज्र्ञान को जोड़ सकता है।मुख्यमंत्री शिवराज शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "धर्मगुरु दलाई लामा विश्व के महान धर्मगुरु एवं आध्यात्मिक व्यक्ति हैं। उनके स्पर्श से आज मैंने आत्मिक शांति एवं नई ऊर्जा महसूस की है।"इस अवसर पर स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी, स्थानीय विधायक, जनप्रतिनिधि, विभिन्न धर्मो एवं संप्रदायों के संत और अधिकारी उपस्थित थे।