5 Dariya News

लाईको के भारत में पतन की कहानी

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नई दिल्ली 03-Mar-2017

पिछले साल जनवरी में चीनी इंटरनेट और प्रौद्योगिकी समूह लाईको ने भारतीय बाजार में प्रवेश किया था और बेहतर कीमत में बेहतरीन उत्पाद उतारकर गहरी पैठ बना ली थी, जिसके बाद कंपनी ने यहां अत्याधुनिक संयोजन / विनिर्माण इकाई लगाने की भी घोषणा की। अब खबर है कि कंपनी ने भारत में अपने करीब 85 फीसदी कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया है, जिसमें बिक्री, विपणन और वितरण विभाग के कर्मचारी है। कंपनी के एक सूत्र ने शुक्रवार को आईएएनएस से इसकी पुष्टि की। इसके साथ ही लाईको का भारतीय बाजार में छाने का महत्वाकांक्षी सपना धराशायी हो गया। चर्चा यह भी है कि लाईको जल्द ही भारत से अपना बोरिया-बिस्तर पूरी तरह समेटने वाली है, जबकि कंपनी ने यहां 'सुपरफोन्स' और 'सुपर टीवीज' के प्रचार-प्रसार में लाखों रुपये खर्च किए थे। आईडीसी दक्षिण एशिया के प्रबंध निदेशक जयदीप मेहता ने आईएएनएस को बताया, "लाईको गंभीर वित्तीय संकट से घिरी है, जिसका नतीजा है कि उसका भारतीय परिचालन ठप्प हो गया है। कर्मचारियों की छुट्टी करना इसी का नतीजा है। 

यहां तक कि पिछली तिमाही में भी कंपनी की लगभग शून्य बिक्री हुई थी।"भारत में आने के बाद कंपनी 5 सुपरफोन, एक लाईको के कंटेट और इंटरनेट सेवाओं की सदस्यता तथा अपने ईकॉमर्स प्लेटफार्म लामॉल को लांच किया था।साइबर मीडिया रिसर्च (सीएमआर) के मुख्य विश्लेषक फैसल कावूसा ने आईएएनएस को बताया, "लाईको मुख्य रूप से पारिस्थितिक तंत्र वाली कंपनी है। यह सिर्फ स्मार्टफोन नहीं बनाती है बल्कि ग्राहकों को अपने पारिस्थितिकी तंत्र से जोड़ती है। हालांकि भारत जैसे देशों व दुनिया के कई अन्य देशों में अभी तक कंपनी का पारिस्थितिकी तंत्र पूरी तरह से तैयार नहीं है।ऑनलाइन सामग्री के लिए भुगतान करना यहां फिलहाल लोकप्रिय नहीं है। वहीं, डिवाइस की बिक्री से कंपनी को कोई खास कमाई हो नहीं रही थी।"वहीं, दूसरी स्मार्टफोन कंपनियों की मुख्य कमाई स्मार्टफोन की बिक्री से होती है और बहुत थोड़ी कमाई ही मूल्य वर्धित सेवाओं व सामग्री से होती है।लाईको ने हाल ही में देश में साल 2016 के अंत तक हर महीने 2,00,000 'सुपरफोन्स' के उत्पादन का लक्ष्य रखा था, लेकिन इस सपने को पूरा करने से पहले ही कंपनी गंभीर वित्तीय संकट से घिर गई। 

नई दिल्ली स्थित काउंटरप्वाइंट रिसर्च के वरिष्ठ विश्लेषक (मोबाइल डिवाइस एंड इकोसिस्टम्स) तरुण पाठक का कहना है, "मैं समझता हूं कि उनकी विपणन रणनीति में खामी थी। एक ऑनलाइन कंपनी होने के बावजूद बिना पर्याप्त ऑफलाइन नेटवर्क और वितरक के, वे विपणन पर धुंआधार खर्च कर रहे थे। हालांकि उनके उत्पाद अच्छे हैं, लेकिन उनकी विपणन रणनीति के कारण ही वे नकदी गंवा बैठे।"कावूसा का कहना है, "आखिरकार, यहां पारिस्थितिक तंत्र मजबूत होने के बाद उन्हें अपना लाईको कार्ड खेलना चाहिए था। मैं समझता हूं कि प्रयोग होते रहेंगे। देश में कंपनियां आएंगी, कई सफल होंगी तो कई असफल होकर लाईको की तरह लौट जाएंगी। मैं नहीं समझता कि यह कोई झटका है।"कावूसा ने कहा, "चूंकि भारत एक विविध बाजार है। इसलिए केवल एक रणनीति ही समूचे देश में सफलता की गारंटी नहीं है। देश का स्मार्टफोन खंड काफी अधिक प्रतिस्पर्धी है और इसमें कमाई बेहद कम है। इसलिए कंपनियों को बुद्धिमानी से निवेश करने पर प्रचार-प्रसार पर सोचसमझ कर खर्च करने की जरूरत है।"मेहता कहते हैं, "यह एक अतिमहत्वाकांक्षी कंपनी के पतन की कहानी है।"