5 Dariya News

बुंदेलखंड के मतदाता नरेंद्र मोदी, मायावती और अखिलेश यादव से नाराज नहीं

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झांसी 16-Feb-2017

उत्तर प्रदेश में चुनावी दंगल के बीच बुंदेलखंड का मतदाता पसोपेश में है, क्योंकि उसके मन में सीधे तौर पर किसी भी दल के मुखिया के खिलाफ नाराजगी नहीं है, बल्कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख मायावती और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, तीनों में खूबियां नजर आती हैं। समस्याओं का पर्याय बन चुके बुंदेलखंड इलाके में सुविधाओं का टोटा है। यहां रोजगार, पलायन, पेयजल संकट जैसी समस्याओं ने लोगों की जिंदगी को बदरंग कर दिया है। मगर चुनावी मौसम में इन समस्याओं की न तो कोई राजनीतिक दल चर्चा कर रहा है और न ही किसी राजनीतिक दल ने इन्हें मुद्दा बनाना ही मुनासिब समझा है। केवल राज्य की कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार, विकास और अपराध पर ही बात हो रही है।झांसी में मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले रामेश्वर को इन दिनों नियमित रूप से काम नहीं मिल रहा है। उनका कहना है कि नोटबंदी के बाद उनकी रोजी-रोटी प्रभावित हुई है, मगर उन्हें प्रधानमंत्री मोदी से कोई शिकायत नहीं है। वह कहते हैं कि इससे देश को लाभ होगा। लाभ किस तरह और किस रूप में होगा, यह हालांकि उन्हें पता नहीं है। 

वहीं, बात जब चुनाव की होती है तो वह सभी नेताओं की खूबियां गिनाने लगते हैं। वह कहते हैं कि मायावती के राज में गुंडागर्दी पर अंकुश लग जाता है, जहां तक अखिलेश यादव की बात है तो वह अच्छा नेता हैं और उन्होंने गुंडागर्दी के खिलाफ अपने चाचा से भी लड़ाई लड़ ली, वहीं प्रधानमंत्री मोदी देश का मान बढ़ाने में लगे हुए हैं।ऑटो रिक्शा चलाने वाले नसीम को तीनों प्रमुख दल भाजपा, बसपा और गठबंधन (सपा व कांग्रेस) के दिल्ली और लखनऊ में बैठे नेताओं से कोई नाराजगी नहीं है। वह कहते हैं कि कोई बड़ा नेता बुरा नहीं है, सब अपने हिसाब से और गरीबों के लिए काम करते हैं, मगर स्थानीय नेता वह नहीं करते जो उन्हें करना चाहिए। जिस उम्मीदवार पर मतदाताओं को भरोसा होगा, उसी को वोट मिलेगा।वरिष्ठ पत्रकार अशोक गुप्ता कहते हैं, "बुंदेलखंड का मतदाता होशियार है, वह सीधे तौर पर यह नहीं बताता कि किसे वोट देगा, क्योंकि उसके अंदर डर हर दल के नेता को लेकर है, जिसकी सत्ता आ जाती है, वही विरोधी को सबक सिखाने में जुट जाता है। यही कारण है कि यहां मतदाता किसी की आलोचना नहीं करता।" 

बकैाल गुप्ता, यह बात सही है कि कानून व्यवस्था को लेकर मायावती को यहां के लोग याद करते हैं तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी के (सेना के नहीं) 'सर्जिकल स्ट्राइक' ने मतदाताओं के मन में जगह बनाई है, वहीं कांग्रेस के कार्यकाल में बुंदेलखंड केा मिले विषेश पैकेज को लेकर राहुल गांधी को अब भी लोग याद करते हैं, तो अखिलेश की साफ -सुथरी छवि और बुंदेलखंड में तालाब निर्माण और विशेष राहत सामग्री ने मतदाताओं को प्रभावित किया है।बुंदेलखंड के 19 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान 23 फरवरी को होना है। यहां मुकाबला रोचक है, लगभग हर विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला है, क्योंकि इस बार कांग्रेस और सपा मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। सभी दल अपनी अपनी ताकत को झोंक रहे हैं, मगर अभी चुनावी माहौल गरमाया नहीं है। यहां का मतदाता राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को तौल रहा है, और उसमें भविष्य की संभावनाएं तलाश रहा है।