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पंदोआ में पंदोई देवता के प्रांगण में कोट भझारी शेषनाग नतमस्तक

5 दरिया न्यूज

शिमला 26-Nov-2013

जिला कुल्लू के प्रसिद्ध आराध्य देव कोट भझारी शेषनाग 30 वर्षों बाद शिमला जिला के महाकालेश्वर पंदोई देवता के दरबार में नतमस्तक होने पहुंचे। दो सुवि यात देवताओं के इस विशेष मिलन पर्व पर कुल्लुू, मण्डी और शिमला जनपद से हजारों श्रद्धालुओं ने शोभा यात्रा में भाग लिया।  इस दौरान पारंपरिक लोक वाद्य यन्त्रों ढोल नगाड़े, रणसिंघा, करनाल और शहनाई की मधुर धुनों के बीच देव नृत्य का नजारा देखते ही बनता था । कुल्लू के कोट भझारी शेषनाग के साथ कुल्लू के 1200 देवलुओं का जत्था चार दिनों की पदयात्रा का सफर तय करने के बाद पंदोआ पंहुचा। इस दौरान रास्ते में कुल्लू, मण्डी और शिमला जिला के सैंकड़ों गावों में हजारों लोगों ने भझारी शेषनाग के दुर्लभ दर्शन किए और अपने परिवारों के सुखद जीवन के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया। यहां लोगों की मान्यता है कि भझारी शेषनाग एक निश्चित अवधि के पश्चात् महाकालेश्वर पंदोई देवता से मिलने अवश्य आते हैं। इस दौरान पंदोआ गांव के प्रसिद्ध महाकलेश्वर पंदोई देवता के कारदारों ने भझारी शेषनाग और उनके देवलुओं के स्वागत, भोजन व रात्रि ठहराव के लिए विशेष प्रबन्ध किए थे। दो देवताओं के इस दिव्य मिलन पर्व पर महाकालेश्वर और भझारी शेषनाग के एक साथ दर्शनों का यह दुर्लभ और अद्भुत अवसर था। दूर-दराज ग्रामीण क्षेत्रों से इन दोनों देवों के दर्शनों के लिए लगभग 10000 से अधिक भक्तों का जमावड़ा जब पंदोई देवता के प्रांगण में पहुंचा तो स्वत: ही एक धार्मिक उत्सव का माहौल बन गया । शनिवार को जब भझारी शेषनाग देवता महाकालेश्वर पंदोई देवता का आशीर्वाद लेकर वापिस कुल्लू जनपद की ओर लौटें तो हजारों भाव विभोर श्रद्धालुओं ने इस विदाई समारोह को नम आंखों से देखा। श्रद्धालुओं का कहना है कि इस प्रकार के भव्य देव मिलन देखने  के अवसर कई दशकों बाद मिलते हैं।