5 Dariya News

आरबीआई ने प्रमुख दरें यथावत रखी

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मुंबई 08-Feb-2017

देश के केंद्रीय बैंक ने बुधवार को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है और इसे 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा है। शीर्ष बैंक ने मुद्रास्फीति में उतार-चढ़ाव और वैश्विक अनिश्चिताओं को देखते हुए यह फैसला किया है। वहीं, निवेशकों ने आरबीआई के ब्याज दरों को यथावत रखने के फैसले से निराशा जताई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने वित्त वर्ष 2016-17 की छठी और अंतिम मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर या वाणिज्यिक बैंकों के लिए अल्पकालिक उधारी दर को 6.25 फीसदी पर यथावत रखा है। वहीं, रिवर्स रेपो दर में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह 5.75 फीसदी पर बनी रहेगी। आरबीआई के मुताबिक एमपीसी समिति के सभी छह सदस्यों ने गर्वनर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति फैसले के पक्ष में मतदान किया। इस बैठक के मिनट्स 22 फरवरी को जारी किए जाएंगे। आरबीआई ने अपनी छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति बयान में कहा, "वर्तमान और उभरती व्यापक आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर आज की बैठक में एमपीसी ने तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत रेपो दर को 6.25 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है।"बयान में आगे कहा गया है, "इसके परिणामस्वरूप एलएएफ के तहत रिवर्स रेपो दर भी 5.75 फीसदी पर अपरिवर्तित है, तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 फीसदी है।"

इसमें कहा गया, "एमपीसी का फैसला मौद्रिक नीति के तटस्थ रुख के अनुरूप है। इसको ध्यान में रखते हुए किया गया कि वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) 5 फीसदी प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप है, जबकि विकास दर का समर्थन करते हुए मध्यम अवधि का लक्ष्य इसे 4 फीसदी (2 फीसदी कम/ज्यादा) पर रखना है।"आरबीआई की मौद्रिक नीति पर उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा, "आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती के लिए गेंद सरकार के पाले में डाल दी है। उसने कहा है कि दरों में कटौती इस पर निर्भर करती है कि सरकार बैंकों के एनपीए की समस्या, उधारदाताओं के पुर्नपूंजीकरण, छोटी बजट का प्रबंधन किस तरीके से करती है।"भारतीय स्टेट बैंक की गर्वनर अरुं धती भट्टाचार्य ने कहा, "घरेलू और वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता को देखते हुए, आरबीआई ने ब्याज दरों को यथावत रखा है।"उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा, "बैंकों ने पिछले महीने ही ब्याज दरों में कटौती की है। हालांकि, घरेलू निजी पूंजीगत खर्च के चक्र में बदलाव लाने के लिए एक अधिक निरंतर प्रयास की आवश्यकता होगी। "आर्थिक मामलों के सचिव शशिकांत दास ने कहा कि नोटबंदी के बाद से पुराने नोटों को बदलने के बाद बैंक ने अपने उधार दरों में 'काफी' कमी है।