बिहार : विशेष पैकेज न मिलने से निराशा
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पटना 01-Feb-2017
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की ओर से बुधवार को लोकसभा में पेश किए गए आम बजट में बिहार के लिए विशेष पैकेज का जिक्र न किए जाने से अधिकांश लोग इसे निराशाजनक बजट बता रहे हैं। एक अर्थशास्त्री ने इसे रुटीन बजट बताया तो दूसरे अर्थशास्त्री ने जल प्रबंधन और बाढ़ के लिए बजट में कोई घोषणा न किए जाने की आलोचना की। बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पी़ क़े अग्रवाल ने इस बजट को बिहार के लिए निराशाजनक कहा।उन्होंने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "इस बजट में बिहार जैसे पिछड़े राज्य के लिए कुछ नहीं कहा गया है। राज्य विभाजन के बाद बिहार के आर्थिक और औद्योगिक रूप से पिछड़ेपन को देखते हुए इसे विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज दिया जाना चाहिए था।"उन्होंने हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर बजट में मनरेगा की राशि बढ़ाए जाने को सही कदम बताया।
पटना के जानेमाने अर्थशास्त्री शैवाल गुप्ता ने बजट को रूटीन बजट करार दिया। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों को इस बजट से उम्मीदें थीं, लेकिन इस बजट में बिहार को खास तौर पर कुछ भी नहीं मिल सका है। शैवाल ने कहा कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था पर जेा प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, उसके सुधार के लिए भी इस बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट से जो बिहार के आम लोगों की जो उम्मीदें थीं, वे पूरी नहीं हुई हैं।
पटना के एक निजी विद्यालय की शिक्षिका रोमा श्रीवास्तव ने आयकर छूट की सीमा बढ़ाए जाने और राजनीतिक दलों के चंदे को पारदर्शी बनाए जाने के कदम की प्रशंसा की। उन्हें लगता है कि इससे कालेधन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। उन्होंने कहा, "बजट में महिला से लेकर बुजुर्ग तक के लिए काफी कुछ नया है। गांव के विकास पर और कुछ किया जा सकता है।
गर्भवती महिला को स्वास्थ्य प्रसव के लिए छह हजार देने की बात अच्छी है। इससे गरीब महिला बच्चों की बेहतर परवरिश कर सकती है।
" वरिष्ठ अर्थशास्त्री और पटना कालेज के पूर्व प्राचार्य डॉ़ नवल किशोर चौधरी ने बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कई तरह के कदम उठाए जाने का स्वागत किया, लेकिन जल प्रबंधन और बाढ़ को लेकर बजट में किसी तरह का प्रावधान न किए जाने की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिससे मांग बढ़ने की संभावना है। लेकिन बजट में क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने का कोई उपाय नहीं किया गया है। डॉ़ चौधरी ने कहा कि बिहार के लोगों को उम्मीद थी कि विशेष पैकेज को लेकर की गई घोषणा का असर बजट में देखने को मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं दिखा।