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डोनाल्ड ट्रंप का 'बाय अमेरिकन', नरेंद्र मोदी का 'मेक इन इंडिया' एक-दूसरे को मददगार

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न्यूयॉर्क 30-Jan-2017

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मंत्र 'बाय अमेरिकन' और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' में कोई अंतर नहीं है, क्योंकि कारोबार शून्य परिणाम वाला खेल नहीं होता है। भारतीय मूल के रिपब्लिकन नेता और रिपब्लिकन हिंदू गठबंधन (आरएचसी) के संस्थापक शलभ कुमार का यह कहना है। कुमार ने आईएएनएस से कहा कि चीन के विशाल व्यापार अतिरेक को रोकने और उसके व्यापार की असमान शर्तो पर ट्रंप का कड़ा रुख भारत के लिए विनिर्मित उत्पादों का निर्यात बढ़ाकर इस अंतर को पाटने का एक सुनहरा मौका है।
कुमार ने कहा, "मैं चाहता हूं कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापार बढ़े।"उन्होंने कहा कि संतुलित व्यापार से दोनों देशों को एक-दूसरे को अधिक निर्यात करने और रोजगार बढ़ाने के साथ ही निवेश बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है।उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत और अमेरिका के बीच का व्यापार, जो फिलहाल 100 अरब डॉलर है, वह ट्रंप के वर्तमान कार्यकाल के समाप्त होने तक बढ़कर 300 अरब डॉलर और ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में यानी उसके बाद के चार सालों में बढ़कर 10 खरब डॉलर हो जाएगा।कुमार ने कहा कि ट्रंप और मोदी की अपने-अपने देशों में रोजगार सृजन और निवेश को बढ़ाने की नीतियों का अर्थ दोनों देशों के बीच व्यापार समाप्त करना नहीं है।
कुमार ने कहा कि दोनों देशों की एक-दूसरे से जुड़ी जरूरतें हैं। अमेरिका रक्षा, ऊर्जा, परमाणु और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में निर्यात बढ़ा सकता है और भारत अपने सेवा और विनिर्मित उत्पादों का निर्यात बढ़ा सकता है।उन्होंने कहा कि अगर व्यापार में द्विपक्षीय वृद्धि होती है तो इससे अमेरिका और भारत दोनों देशों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।कुमार ने ट्रंप के चुनाव में मदद के लिए ट्रंप अभियान, रिपब्लिकन नेशनल कमेटी और राज्यस्तरीय कमेटियों के संयुक्त कार्यक्रम, 'ट्रंप विक्ट्री फंड' में 8,98,000 डॉलर का व्यक्तिगत चंदा दिया था।
वह ट्रंप की फायनेंस स्थानांतरण कमेटी और पदग्रहण कमेटी में भी हैं।कुमार अक्टूबर में आरएचसी रैली के प्रमुख नेतृत्वकर्ताओं में भी शामिल थे, जिसमें ट्रंप ने भारतीय मूल के अमेरिकियों और हिंदुओं का दोस्त बने रहने का वादा किया था और नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की थी।पिछले सप्ताह प्रमुख चंदादाताओं और महत्वपूर्ण व्यक्तियों के लिए आयोजित कैंडललाइट डिनर में ट्रंप ने कुमार के परिवार और आरएचसी सदस्यों के साथ 20 मिनट बिताए थे।आरएचसी की सह-संस्थापक अनिका अरोड़ा ने कहा कि ट्रंप ने जब भोज के समय उनसे मुलाकात की तब उन्होंने मतदाताओं का समर्थन हासिल करने में मदद के लिए आरएचसी का आभार व्यक्त किया और अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों से उनका परिचय कराया।
कुमार ने कहा कि ट्रंप का तीन भारतीय अमेरिकियों और हिंदुओं को अपने प्रशासन में उच्चस्तरीय पदों पर और दो को व्हाइट हाउस में शीर्ष पदों पर नियुक्त करना दर्शाता है कि उन्होंने अपना वादा निभाया और व्हाइट हाउस में वह भारतीय समुदाय के दोस्त बने रहेंगे।कुमार ने कहा कि ट्रंप की हस्तांतरण टीम ने आरएससी को नए प्रशासन के सैंकड़ों पदों के लिए योग्य उम्मीदवारों के नाम प्रस्तावित करने को कहा है।उन्होंने कहा कि वह प्रतिभावान लोगों की तलाश में हैं और उनके प्रशासन में और योग्य भारतवंशियों के लिए अवसर हैं। कुमार ने कहा कि भारतीय समुदाय के लिए उनके प्रशासन के द्वार खुले हैं।
अमेरिका में हर प्रशासन नीतियों के बेहतर क्रियान्वन के लिए कार्यकाल की अवधि तक के लिए राजनीतिक नियुक्तियां कर सकता है। और प्रशासक अपने समर्थकों को योग्य व्यक्तियों की सिफारिश के लिए कह सकते हैं।एक अनुमान के अनुसार, अमेरिकी प्रशासन में करीब 4,000 राजनीतिक पदों के अवसर हैं और उनमें से करीब 1,200 के लिए सीनेट की मंजूरी जरूरी है। इनमें से करीब 475 पद व्हाइट हाउस के लिए हैं और 750 शीर्ष कार्यकारी स्तर के पद हैं।