5 Dariya News

गांधीजी का कद इतना छोटा नहीं : केवीआईसी अध्यक्ष

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नई दिल्ली 23-Jan-2017

खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) की 2017 की डायरियों और कैलेंडर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर छपने से मचा राजनीतिक भूचाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। महात्मा गांधी की जगह मोदी की तस्वीर छपने को लेकर केवीआईसी निशाने पर है, लेकिन इन सबके बीच संगठन के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना कहते हैं कि महात्मा गांधी का कद इतना छोटा नहीं है कि कोई उनका स्थान ले सके। वह कहते हैं कि डायरियों और कैलेंडर में महात्मा गांधी की ही तस्वीर लगाए जाने का भी कोई नियम नहीं है और जो लोग इसे राजनीतिक रंग देकर हड़ताल करने पर उतारू हैं, वे केवीआईसी से जुड़े हुए नहीं हैं।इस विवाद को तूल देने का हवाला देते हुए सक्सेना ने आईएएनएस को बताया, "इन डायरियों और कैलेंडर पर मोदी की जो तस्वीर लगी है वह 18 अक्टूबर 2016 को लुधियाना के एक कार्यक्रम की है, जहां मोदी ने स्थानीय कारीगरों को 500 चरखे बांटे थे। उस तस्वीर पर हमारा कॉपीराइट है और हम जहां चाहें उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।"
केवीआईसी के इस कदम के विरोध में लगभग 2,8000 कर्मचारियों का 26 जनवरी से आंदोलन शुरू होने वाला है लेकिन सक्सेना कहते हैं, "आंदोलन की खबरें झूठी हैं। हमारा कोई भी कर्मचारी प्रदर्शन नहीं कर रहा है और जो लोग प्रदर्शन करने जा रहे हैं वे अलग-अलग श्रमिक संघों से जुड़े हुए हैं, वे केवीआईसी से जुड़े हुए नहीं हैं। इनका राजनीतिक रूप से इस्तेमाल कर विवाद को तूल दिया जा रहा है।"उन्होंने कहा, "यह बात समझनी होगी कि गांधीजी का कद इतना छोटा नहीं है कि कोई भी उनका स्थान ले सकता है। इस मामले को बेवजह राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।"वह कहते हैं, "ऐसा कोई नियम नहीं है कि गांधी जी की ही तस्वीर का इस्तेमाल किया जाएगा। 1984 में कैलेंडर के प्रथम पृष्ठ पर महात्मा गांधी की जगह इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की तस्वीर लगाई गई।
इसके बाद 1986, 2002,2005, 2011 और 2012 में भी महात्मा गांधी की तस्वीर नहीं लगाई गई थी तब कोई हंगामा नहीं बरपा।"उन्होंने कहा कि मोदी जी युवाओं के आदर्श हैं, 2014 के बाद से खादी की मांग में जबरदस्त उछाल आया है। खादी की 50 फीसदी मांग बढ़ी है। 22अक्टूबर को एक दिन में ही खादी की एक करोड़ आठ लाख की रिकॉर्ड बिक्री हुई है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।सक्सेना ने आईएएनएस को बताया, "मोदी की तस्वीर वाले इन कैलेंडरों और डायरियों को खासा पसंद किया जा रहा है। इन्हें बेचे जाने की मांग की जा रही है। हमारे पास इस तरह के 38,000 संदेश आए हैं जो चाहते हैं कि इन कैलेंडरों और डायरियों को बांटा जाए।"