5 Dariya News

पेट्रोल बिक रहा 71.14 रुपये, विपक्ष क्यों मौन?

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नई दिल्ली 21-Jan-2017

फरवरी, 2013 में जो पार्टी विपक्ष में थी, आज वह सत्ता में है। याद है, उन दिनों राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल की कीमत 69.06 रुपये पहुंच जाने पर कितना जोरदार विरोध प्रदर्शन किया गया था। विपक्षी पार्टियों, खासतौर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे जनता के साथ 'विश्वासघात' बताया था, मगर मौजूदा विपक्ष महंगाई के मुद्दे पर खामोश है।उन दिनों भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा था, "यह देश के लोगों के साथ विश्वासघात है और भाजपा ऐसा नहीं होने देगी।" नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बने रूड़ी को अब शायद यह 'विश्वासघात' नहीं लगता होगा।
राष्ट्रीय राजधानी में इस समय पेट्रोल 71.14 रुपये और डीजल 59.02 रुपये बिक रहा है और किरासन तेल व घरेलू गैस के दाम क्रमश: 18.54 रुपये लीटर और 585 रुपये प्रति सिलेंडर तक बढ़ चुके हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि आज कच्चे तेल की कीमतें फरवरी, 2013 के मुकाबले आधे से भी कम हैं। फिर भी दाम बढ़ क्यों रहे हैं?दुबई और ओमान से आनेवाले कच्चे तेल की कीमत तब 114 रुपये प्रति बैरल थी और अब यह 54 रुपये प्रति बैरल है। हालांकि रुपया-डॉलर विनिमय दर उस वक्त 54.30 रुपये प्रति डॉलर थी और अब 68 रुपये प्रति डॉलर है। लेकिन इसका हिसाब लगाने के बाद भी कच्चे तेल की कीमतें आधी से ज्यादा कम हुई हैं।
सरकारी तेल कंपनियों के थिंक टैक पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में पेट्रोल, डीजल, किरोसिन और घरेलू गैस की कीमतें पड़ोसी देशों के मुकाबले भी काफी तेजी से बढ़ी हैं। उदाहरण के लिए भारतीय रुपये में पेट्रोल की कीमत पाकिस्तान में 43.70 रुपये, श्रीलंका में 54.18 रुपये और बांग्लादेश में 75.42 रुपये है। नेपाल जहां पेट्रोलियम पदार्थ भारत के रास्ते से ही जाता है, लागत बढ़ने के बावजूद पेट्रोल 64.38 रुपये प्रति लीटर है।डीजल की कीमतें पाकिस्तान में 49.60 रुपये, श्रीलंका में 43.99 रुपये, बांग्लादेश में 57 रुपये और नेपाल में 49.16 रुपये है।आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 16 जनवरी को कच्चे तेल की कीमत 68.88 प्रति बैरल थी, जिस पर शोधन का खर्च 29.19 रुपये प्रति लीटर थी। तेल कंपनियां इसे 31.94 रुपये प्रति लीटर की दर से पेट्रोल पंप को बेचती है।
इस पर 21.48 रुपये कर लगते हैं, डीलर इस पर प्रति लीटर 2.6 रुपये कमीशन लेता है और राज्य सरकार 15.12 रुपये प्रति लीटर वैट वसूलती है। इस तरह उपभोक्ता 71.14 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल पर 36.60 रुपये कर चुकाता है। ताज्जुब की बात यह है कि इसके बावजूद विपक्ष की ओर से इस पर कोई आवाज नहीं उठाई जा रही है। सचमुच, आज कितना कमजोर हो चला है विपक्ष। क्या ऐसे में बच पाएगा लोकतंत्र?हां, एक आवाज सुदूर दक्षिणी समुद्र तटीय राज्य से उठी है जरूर। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता ओमन चांडी का कहना है, "महंगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाकर एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सत्ता में आई है, लेकिन अब वे ईंधन की कीमतें हद से ज्यादा बढ़ाकर जनता को लूट रहे हैं।"लेकिन क्या चांडी की आवाज के साथ हितधारकों और अन्य विपक्षी दल भी सुर में सुर मिलाएंगे? अपनी आवाज दिल्ली तक पहुंचाएंगे?