5 Dariya News

डोडा के समर्थन ने अकालियों के साथ-साथ भाजपा का भी असली चेहरा किया नंगा - भगवंत मान

डोडा का नामजदगी भरना और वापिस लेना सिर्फ अकाली-भाजपा का था नाटक

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चंडीगढ़ 21-Jan-2017

आम आदमी पार्टी (आप) ने अबोहर के शराब कारोबारी शिव लाल डोडा की तरफ से नामजदगी दाखिल करने और भाजपा उम्मीदवार के समर्थन में नामजदगी वापिस लेने को सिर्फ अकालियों का नाटक कहा है। आम आदमी पार्टी (आप) के संसद मैंबर भगवंत मान ने कहा कि इस से पता लगता है कि भाजपा के भी शराब माफिया के साथ हाथ मिले हुए हैं। मान ने कहा कि दलित भीम टांक के हत्यारे से समर्थन लेने से भाजपा का दलित विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है। उन्होंने कहा कि अब भगवां पार्टी को शराब माफिया को समर्थन देने संबंधी स्पष्टीकरण देना चाहिए।हालांकि भाजपा ने आरएसएस प्रवक्ता मनमोहन वैद्या के उस ब्यान पर भी स्पष्टीकरण देना है, जिस में उन्होंने देश में आरक्षण खत्म किए जाने की मांग की थी। मान ने कहा कि अब अकाली दल और भाजपा की तरफ से कौन से मुंह से दलितों से वोट और समर्थन मांगा जायेगा।उन्होंने कहा कि आगामी विधान सभा चुनाव में अकालियों और भाजपा को अपनी हार साफ दिखाई दे रही है और उनकी तरफ से शराब कारोबारी शिव लाल डोडा के समर्थन से शराब माफिया को बचाने की आखिरी कोशिश की जा रही है। 

यहां यह खास वर्णनयोग्य है कि भीम टांक कत्ल केस में शिव लाल डोडा मुख्य दोषी है। डोडा और उसके भतीजे अमित बीज का डोडा पर आरोप है कि भीम टांक की हत्या करने से पहले उसके शरीर के अंगों को काट दिया था।भीम टांक का कत्ल डोडा के फार्म हाऊस पर किया गया था और उसने एक दिन पहले ही डोडा के शराब के कारोबार से नौकरी छोड़ी थी। उसके शरीर के अंगों को काट दिया गया था और अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उसकी मौत हो गई थी। उसके दोस्त गुरजंट सिंह का भी दाहिना हाथ काट दिया गया था, परन्तु उसकी जान बच गई।मान ने किहा कि आम आदमी पार्टी को हिंसक कहने वाले बादल साहिब बताएं कि दलितों के हाथ पैर काटने वाले डोडा, बेरोजगार बहु-बेटियों को पीटने वाले मलूका व विधान सभा में खुद को आंतकवादी बताने वाले विरसा सिंह वलटोहा कौन सी शांति का प्रतीक हैं।  मुख्य मंत्री प्रकाश सिंह बादल की तरफ से आप नेताओं को धमकी दिए जाने संबंधी अपना प्रतीकर्म देते मान ने कहा कि विधान सभा चुनाव में उनको अपनी हार साफ नजर आ रही है, जिस कारण वह बौखला गए हैं।मान ने कहा कि यह आम आदमी पार्टी किसी को भी नहीं भडक़ा रही, बल्कि अकालियों के खिलाफ लोगों का गुस्सा है और सुखबीर बादल पर पत्थरबाजी और उसके पिता प्रकाश सिंह बादल की तरफ जूता फेंकना इसी का ही नतीजा था।