5 Dariya News

विश्व पुस्तक मेला : अंतिम दिन भी पहुंचीं नामचीन लेखिकाएं

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नई दिल्ली 15-Jan-2017

राष्ट्रीय राजधानी के प्रगति मैदान में नौ दिन से चले आ रहे विश्व पुस्तक मेले के अंतिम दिन रविवार को भी पुस्तक प्रेमियों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखी। कई महत्वपूर्ण पुस्तकों का लोकार्पण हुआ और नामचीन लेखिकाओं के साथ चर्चा, परिचर्चा का दौर चला। पुस्तक मेले की थीम 'मानुषी' के अनुरूप राजकमल प्रकाशन ने हर दिन देश की नामचीन लेखिकाओं- अनुराधा बेनीवाल, मृदुला गर्ग, मैत्रेयी पुष्पा, कृष्णा सोबती व अन्य को मंच देकर मेले की महत्ता बढ़ाई। पुस्तक प्रेमियों को भी इन लेखिकाओं से मिलकर खुशी हुई और उन्हें करीब से जानने का मौका मिला। रविवार को राजकमल प्रकाशन समूह के मंच पर ख्वाजा अहमद अब्बास की चयनित कहानियों के संकलन 'मुझे कुछ कहना है' का लोकार्पण हुआ। इस किताब का एक खास आकर्षण ख्वाजा अहमद अब्बास का एक साक्षात्कार है, जो प्रसिद्ध कथाकार कृश्न चंदर ने लिया था। साथ ही सुधीर चंद्र के उपन्यास 'बुरा वक्त अच्छे लोग' का लोकार्पण हुआ और उस पर परिचर्चा चली।
राजकमल प्रकाशन के मंच पर बने सेल्फी पॉइंट 'हिंदी हैं हम' और एक अनोखी स्कीम चलाकर लोगों को लुभाया। जिन लोगों ने सेल्फी फोटो लेकर फेसबुक पर पोस्ट किया, उन्हें किताबों पर 5 प्रतिशत की अतिरक्त छूट दी गई।इस बार के विश्व पुस्तक मेले में राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित वर्षा दास के तीन नाटक- खिड़की खोल दो, चहकता चौराहा और प्रेम और पत्थर, कुसुम खेमानी की किताब 'जड़िया बाई', गीत चतुर्वेदी की 'न्यूनतम मैं', दिनेश कुशवाह की 'इतिहास में अभागे', आर. चेतनक्रांति की 'वीरता पर विचलित', प्रेम रंजन अनिमेष की 'बिना मुंडेर की छत', राकेश रंजन की 'दिव्य कैदखाने में', विवेक निराला की 'धुव्र तारा जल में', सविता भार्गव की 'अपने आकाश में', समर्थ वशिष्ठ की 'सपने में पिया पानी', मोनिका सिंह की 'लम्स', प्रकृति करगेती की 'शहर और शिकायतें' और पवन करण की 'इस तरह मैं', अल्पना मिश्र की किताब 'स्याही में सुर्खाब के पंख' और क्षितिज रॉय का उपन्यास 'गंदी बात' जैसी किताबों का लोकार्पण हुआ।